जलवायु परिवर्तन के बढ़ते कुप्रभावों के बीच पाया गया है कि साफ पानी की झीलों में अम्लीयकरण बढ़ता जा रहा है. इस नई जानकारी ने वैज्ञानिकों की चिंताएं बढ़ा दी हैं क्योंकि इसने साफ पानी के पारिस्थितिकी तंत्रों में रहने वाली मछलियां पौधे और अन्य जीवों के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा कर दिया है जो पहले से ही बहुत संवेदनशील होते हैं.

जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया में चरम मौसमी घटनाएं बढ़ रही हैं. इसमें वायु प्रदूषण की वजह से ग्लोबल वार्मिंग, महासागरों का अम्लीयकरण, अम्लवर्षा या ऐसिड रेन जैसी परिघटनाओं में इजाफा होने लगा है. इन सब के बीच साफ पानी की झीलों पर मडंरा रहे खतरे ने वैज्ञानिकों को एक चिंता में डाल दिया है. पाया जा रहा है कि दुनिया में साफ पानी के तंत्र, खास तौर पर साफ पानी की झीलें और ज्यादा अम्लीय होते जा रहे हैं और इससे यहां पाए जाने वाले पौधों और यहां की मछलियों सहित अन्य जीवों की आवासीयत कम होती जा रही है.

अम्लवर्षा से अलग
वायुमंडल में कार्बनडाइऑक्साइड के बहुत ज्यादा होने से जो अम्लीयकरण होता है, वह अम्लवर्षा से अलग होता है. अम्लवर्षा सल्फरडाइऑक्साइड और नाइट्रोजन की ऑक्साइड से होती है. ये गैसें जीवाश्म ईंधन की उपयोग की वजह से वायुमंडल में ज्यादा मात्रा में आ जाती हैं. अम्लवर्षा छोटे इलाकों में होती हैं.

खाद्य जाल होता है प्रभावित
अमेरिका के नेशनल ओशियानिक एंड एटमॉस्फिरिक एडमिस्ट्रेशन के ग्रेट लेक्स एनवायर्नलमेंट के रिसर्च इकोलॉजिस्ट रीगन एरेरा कहना है कि रासायनिक बदलाव चीजों के बर्ताव बदल देते हैं जिसमें खाद्य जाल भी शामिल है. उनके प्रोजेक्ट का लक्ष्य पिछले कई सालों में पांच बड़ी झीलों में कार्बन डाइऑक्साइड और पीएच स्तरों की निगरानी करना है. ये सुपीरियर, मिशिगन, हूरोन, ऐर और ओन्टारियो झीले हैं.

एक विशेष नेटवर्क
वैज्ञानिक अब एक सेंसर नेटवर्क बनाने पर काम कर रहे है जिससे वे पानी के रसायनशास्त्र की बेहतर तरह से निगरानी कर सकें. उन्होंने मिशिगन के एलपीना के पास थंडर बे नेशनल मरीन सैंक्चूरी में लगाए हैं. इनमें से एक पानी की गहराई तक कार्बनडाइऑक्साइड का दबाव और दूसरा पीएच का मापन करता है. इस क्षेत्र के 11137 वर्ग किलोमीटर में अलग अलग गहराइयों में पानी के नमूने जमा किए जा रहे हैं.

महासागर और कार्बनडाइऑक्साइड
महासागरों में वायुमंडल से कार्बनडाइऑक्साइड अवशोषित करने की एक प्रक्रिया होती है. वे वायुमंडल की अतिरिक्त कार्बनडाइऑक्साइड भी अवशोषित कर लेते हैं जिससे उनका अम्लीयकरण होता है. यही वजह है कि मानवीय गतिविधियों के कारण वायुमंडल में जा रही बहुत सारी कार्बनडाइऑक्साइड महासागरों में जाती है जिससे मूंगा की चट्टाने और अन्य महासागरीय जीवन को खतरा हो रहा है.

साफ पानी की झीलों में भी
जहां शोधकर्ताओं का मानना है कि महासागरों में ऐसा होने से वहां विलुप्त होने की वजह से विनाश की स्थिति नहीं होगी, लेकिन फिर भी सगारीय जीवन में बड़े बदलाव देखने को जरूर मिल रहे हैं. कम्प्यूटर प्रतिमानों के आधार पर किए गए अध्ययन बता रहे हैं कि ऐसा ही कुछ साफ पानी की झीलों में भी हो रहा है.

कम हो रहे हैं अध्ययन
लेकिन इस बारे में जानकारी हासिल करने के लिए बहुत ही कम कार्यक्रम या अध्ययन किए जा रहे हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि इसका मतलब यह नहीं है कि साफ पानी की झीलें तैरने के लिहाज से भी असुरक्षित हो रही हैं. हम इन झीलों को किसी एसिड की झीलों में नहीं बदल रहे हैं. उनका कहना है कि इंसानों की वजह से हो रहे इन बदलावों की गंभीरता को हम अभी समझ नहीं रहे हैं.

वास्तव में वैज्ञानिक कह रहे हैं कि धीरे धीरे यह एक बड़े प्रभाव में बदलने लगेगा. साफ पानी का पारिस्थितिकी तंत्र महासागरों के तंत्र से बहुत अलग होता है. इसके जीवों की संवेदनशीलता भी अलग और ज्यादा होती है. थोड़ा सा भी बदलाव उनके लिए घातक हो सकता है. इसके अलावा दुनिया की कई झीलों का भी ऐसा ही हाल है. खासतौर पर बर्फीले इलाकों के पास की झीलों में जरूरत से ज्यादा पानी बह कर पहुंचने से वहां के तंत्र को प्रभावित कर रहा है.

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