हर घर को रोशन करने वाले बल्ब की कहानी बहुत रोचक है। बल्ब के आविष्कार को किसी चमत्कार से कम नहीं माना जाता है। 19वीं शताब्दी के आखिर में बल्ब का आविष्कार हुआ था जिसे विज्ञान की दुनिया में सर्वश्रेष्ठ आविष्कारों में से एक माना जाता है। बल्ब ने रात के अंधरे में रोशनी फैलाने का काम किया।

मशहूर वैज्ञानिक थॉमस एल्वा एडिसन ने दुनिया को बल्ब की रोशनी का तोहफा दिया था। आज ही के दिन यानी 27 जनवरी को 1880 में एडिसन को बल्ब का पेटेंट हासिल करने में सफलता मिली थी। लेकिन एक समय मशहूर वैज्ञानिक को स्कूल ने पढ़ाने से इंकार कर दिया था और उनको कमजोर दिमाग वाला बताया था। लेकिन उन्होंने अपनी प्रतिभा के दम पर फोनोग्राम और बल्ब समेत हजारों आविष्कार किए। उनके आवष्किरों से लोगों का जीवन और आसान हो गया।

अमेरिका के महान आविष्कारक थॉमस एल्वा एडिसन का जन्म 11 फरवरी 1847 में हुआ था। उन्होंने मेहनत के दम पर 1093 पेटेंट अपने नाम किए हैं। उन्होंने अपने आविष्कार का दुनिया में लोहा मनवाया है। उनका सबसे बड़ा आविष्कार बिजली के बल्ब को माना जाता था। बताया जाता है कि बल्ब बनाने में थॉमस एल्वा एडिसन 10 हजार से ज्यादा बार फेल हुए थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और बल्ब का आविष्कार किया।

एडिसन जब 10 साल के थे तभी उन्होंने अपनी पहली प्रयोगशाला स्थापित की थी। उनकी मां ने कई सारे रसायनिक प्रयोग वाली एक पुस्तक दी जो एडिसन को पसंद आ गई। थॉमस एडिसन कई दिनों तक बिना सोए प्रयोग करते रहते थे और सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि वह कभी कभी खाना खाना भी भूल जाते थे।

थॉमस एल्वा एडिसन के बचपन की कई ऐसी कहानियां हैं जो लोगों को सीख देती हैं। बताया जाता है कि एडिसन जब प्राइमरी स्कूल में पढ़ाई करते थे, तो उनको टीचर ने एक कागज देकर कहा कि इसे अपनी मां को दे देना। सुशिक्षित डच परिवार से ताल्लुक रखने वाली एडिसन की मां नैंसी मैथ्यू इलिएट कागज पढ़ते ही रोने लगीं।

एडिसन ने मां को रोता देख पूछा, आप क्यों रो रही हैं। जवाब में उनकी मां ने कहा बेटा खुशी के आंसू हैं। इसमें लिखा है कि आपका बेटा बहुत होशियार है जबकि स्कूल निचले स्तर का है। हमारे स्कूल में टीचर भी अधिक पढ़े लिखे नहीं हैं इसलिए वह तुमको नहीं पढ़ा सकते। एडिसन को आप खुद ही पढाएं। इसके बाद एडिसन ने अपनी मां से ही पढ़ना लिखना शुरू कर दिया।

कई साल बीत जाने के बाद जब वह एक महान वैज्ञानिक बन चुके थे और उनकी मां का निधन हो चुका था। एक दिन घर में उनको अपनी मां की आलमारी से टीचर का दिया हुआ पत्र मिल गया। इस पत्र को पढ़ने के बाद एडिसन खूब रोए। इस पत्र में लिखा था कि आपका बेटे का दिमाग कमजोर है इसलिए अब उसको स्कूल मत भेजिएगा। एडिसन ने अपनी डायरी में लिखा है एक मां ने कमजोर दिमाग वाले बच्चे को महान वैज्ञानिक बना दिया।

पहली बार बल्ब बनाने के लिए 40 हजार डॉलर खर्चा करना पड़ा था। 1879 से 1900 तक एडिसन ने सभी मुख्य आविष्कार कर दिए थे। वह वैज्ञानिक होने के साथ ही एक धनवान बिजनेसमैन बन गए थे। 18 अक्टूबर 1931 को एडिसन का निधन हो गया था।

एडिसन की टेलीग्राफिक थ्योरी के आधार पर पर ही माइक्रोफोन और फैक्स मशीन जैसी वस्तुएं अस्तित्व में आईं. टेलीफोन के रिसीवर में प्रयोग होने वाला कार्बन माइक्रोफोन एडिसन का ही अविष्कार था जो पूरे सौ साल तक प्रयोग होता रहा. किंतु एडिसन का सबसे चर्चित अविष्कार निस्संदेह विद्युत बल्ब है. पूरे दो साल की जीतोड़ मेहनत के बाद एडिसन ने ऐसा बल्ब बनाने में सफलता प्राप्त की जो सस्ता, टिकाऊ था और जिसका बड़े पैमाने पर औद्योगिक उत्पादन किया जा सकता था.
इस बल्ब में कार्बन फिलामेंट का प्रयोग किया गया था. वर्तमान में टंगस्टन का फिलामेंट प्रयोग होता है. X-Ray रेडिओग्राफ उतरने के लिए एडिसन ने फ्लोरोस्कोप का अविष्कार किया. वर्तमान में यही तकनीक इस्तेमाल होती है.
फ़िल्म मीडिया में भी एडिसन ने उल्लेखनीय कार्य किए. उसने आवाज़ की रिकॉर्डिंग व पुनरुत्पादन के यंत्र फोनोग्राफ का अविष्कार किया, जो बाद में ग्रामोफोन के नाम से लोकप्रिय हुआ. उसका बनाया काइनेटोग्राफ़ विश्व का पहला मूवी कैमरा था.
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