जलवायु परिवर्तन  के कारण मौसम में बदलावों पर पौधों की जड़े भी प्रतिक्रिया देती हैं. नए अध्ययन में पाया गया है कि पौधों की जड़े मिट्टी में नमी की उपलब्धता  के अनुसार अपनी शाखाओं में विस्तार और विराम देती हैं. इस शोध में वैज्ञानिकों ने उस पूरी प्रणाली का पता लगाया है जिसमें पौधों में हारमोन के जरिए पानी की उलब्धता के अनुसार प्रतिक्रिया कर जड़ों के विस्तार की प्रक्रिया को प्रभावित करती है.

पेड़ पौधों के विकास और वृद्धि के साथ मिट्टी पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर तो बहुत से अध्ययन हुए हैं. लेकिन जड़ों पर बहुत कम अध्ययन हुए हैं. जलवायु परिवर्तन का जड़ों के काम करने की प्रक्रिया पर क्या असर होता है, इस पर हुए अध्ययन में पाया गया है कि जड़े अपनी पानी  की जरूरतों  के अनुसार बदल लेती हैं जिससे सूखे की स्थिति में भी पेड़ या पौधे का असतित्व कायम रखना सुनिश्चित कर सकते हैं.

पौधों की जड़ें जब पानी से अपना संपर्क गंवा देती हैं तो वे अपनी शाखाएं बढ़ाना बंद कर देती हैं और उसे फिर से तभी शुरू करती हैं जब उनका नमी से फिर से संपर्क हो पाता है. नॉटिंघम .यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस पानी को संवेदनात्मक रूप से पहचानने की नई प्रणाली खोजी है जिसे उन्होंने हाइड्रो सिग्नलिंग नाम दिया है.

इस अध्ययन के नतीजे दर्शाते हैं कि पैधों में हारामोन की गतिविधि कैसे पानी की उपलब्धता में होने वाले उतार चढ़ाव से संबंधित है. जलवायु परिवर्तन ने पौधों  पर पानी का दबाव बढ़ा दिया है क्योंकि बारिश के स्वरूपों में अनियमितता आने लगी है और बारिश पर ज्यादा निर्भर फसलों पर इसका खासा असर हुआ है. जड़ें पौधों पर पानी के दबाव को कम करने किलए अपना आकार में अनुकूलनता लाती हैं जिससे वे ज्यादा पानी ग्रहण कर सकें.

पानी के दबाव में जड़े किस तरह से अपनी संवेदनशीलता दिखाती हैं यह समझने से फसलों का लचीलेपन का बढ़ाने के लिए मदद मिलेगी. शोधकर्ताओं ने एक्स रे इमेजिंग के जरिए पाया कि जड़ें बाह्य नमी की उपलब्धता के अनुसार पानी की गतिविधि और जड़ों की शाखाओं को नियंत्रित करने वाले पौधों के हारमोन संकेतों से नाता जोड़कर अपना आकार बदल लेती हैं.

इस शोध ने पानी की सीमित उपलब्धता होने की स्थिति में प्रतिक्रिया करने वाली जड़ों की शाखाओं के नियंत्रित करने वाली प्रक्रियाएं और प्रमुख जीन्स के बार में जानकारी दी है. इसके नतीजे वैज्ञानिकी जड़ों की संरचना को प्रभावित करने वाली डिजाइन की तकनीक और फसलों की उत्पादकता के साथ पानी ग्रहण करने की क्षमता को बढ़ाने में मददगार हो सकती है.

डॉ पूनम मेहरा ने बताया कि जब जड़े नमी के संपर्क में आती हैं तो ऑक्सिन नाम का एक प्रमुख हारमोन संकेत पानी  के साथ अंदर की ओर आता है जिससे नई शाखाए बनने की प्रक्रिया बढ़ती है. लेकिन जब जड़ों का नमी से संपर्क टूट जाता है, तो वे अंदर के ही पानी के स्रोतों पर निर्भर होते हैं जिससे एक दूसरा हार्मोन संकेत बाहर की ओर निकलता है जोकि शाखाओं के संकेतों के अंदर के ओर की गतिविधियों को रोकने का काम करता है.

जिसमें शोधकर्ताओं ने नई तकनीकी उपकरणों का उपोयग किया था. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह सरल प्रणाली पौधों की जड़ों का स्थानीय जरूरतों और स्थितियों के अनुसार बनाए रखती हैं. जलवायु परिवर्तन पहले ही जड़ों के लिए पानी की उपलब्धता को प्रभावित कर रहा है जिसकी वजह से वैज्ञानिक ऐसे पौधे डिजाइन कर रहे हैं जिससे बदलते हालात में वे पानी तक पहुंच हासिल कर सकें.

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