भारत की स्पेस एजेंसी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान इसरो इस साल कुछ ऐसे अभियानों को अंजाम देगा जो पहले कभी नहीं हुए थे. इसमें सबसे प्रमुख गगनयान अभियान की शुरुआत होगी. इसके अलावा चंद्रमा और सूर्य दोनों के लिए बड़े अभियान भी प्रक्षेपित होंगे.

2020 और 2021 में भारत सहित दुनिया में भर में कोविड-19 महामारी के कारण अनुसंधान कार्य प्रभावित हुए, इसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान इसरो, भी अछूती ना रह सकी और उसके कई महत्वाकांक्षी अभियान कार्यक्रमों पर ब्रेक लग गया. 2022 में जब धीरे धीरे स्थितियां सामन्य होने लगीं तो इसरो के कार्यों में भी तेजी आई है और अब हम उम्मीद कर सकते हैं साल 2023 में दुनिया भारत के कुछ बड़े अहम अभियान प्रक्षेपित होते देखेगी. इसमें सबसे प्रमुख भारत से ही प्रक्षेपित होने वाला देश का सबसे पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान, गगनयान अभियान का पहला चरण होगा.

2022 में भी हुए थे बड़े काम
साल 2022 में भी इसरो ने कई बड़े कार्य या उपलब्धियां भी हासिल कीं लेकिन वे  सतही तौर पर दिखने वाली उपलब्धि तो नहीं फिर भी बड़ी उपलब्धियां जरूर थीं. इममें गगनयान के लिए कई तरह का परीक्षणों पर कार्य किया गया. इसके अलावा इसरो ने देश में अंतरिक्ष उद्योग के विकास में योगदान देने के लिए निजी क्षेत्र की कई कंपनियों को शामिल किया. देश का पहला निजी क्षेत्र द्वारा विकसित रॉकेट के प्रक्षेपण इसकी मिसाल है.

गगनयान-1 अभियान
गगनयान अभी भारत का सबसे महत्वाकांक्षी अभियान है.जहां भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को साल2024 में ही अंतरिक्ष में भेजा जाएगा, लेकिन उससे पहले गगनयान की परीक्षण बिना मानव के प्रक्षेपण कर किया जाएगा. यह परीक्षण इसी साल जून में होना है. यह एक तरह से नासा के आर्टिमिस 1 अभियान की तरह है बस यह चंद्रमा के लिए ना होकर अंतरिक्ष यात्रा के लिए होगा.

तीन चरणों का अभियान
गगनयान अभियान  के पहले चरण जिसे गगगनयान 1 या क्रूविहीन जी1 अभियान भी कहते हैं, इसी साल परीक्षण का अभियान होगा. यह पहली बार होगा कि भारत किसी यात्री वाले अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण करेगा. इससे पहले भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा सोवियत संघ के सुयोजटी-11 यान के जरिए अंतरिक्ष में गए थे. क्रूविहीन जी1 केबाद क्रूविहीन 2 अभियान भी जाएगा जिसमें कई तकनीकों और प्रक्रियाओं का परीक्षण होगा.

चंद्रयान-3 अभियान
2022 में नासा के आर्टिमिस अभियान के पहले चरण की सफलता ने दुनिया के देशों को एक तरह से नई तरह की अंतरिक्ष होड़ में ला दिया है. भारत भी इसमें पीछे नहीं हैं. वह पहले से ही अपने चंद्रयान-3 की तैयारी कर रहा है. चंद्रयान को जीएसएलवी एमके-11 प्रक्षेपण यान के जरिए चंद्रमा पर एक रोवर भेजा जाएगा. बताया जा रहा है कि यह अभियान पिछले दो चंद्रायान अभियानों से ज्यादा मजबूत अभियान होगा.

आदित्य एल-1 अभियान
फिलहाल अंतरिक्ष में गहन अन्वेषण की श्रेणी में सूर्य के अध्ययन के लिए केवल अमेरिका और यूरोप ने ही अपने अभियान भेजे हैं. सूर्य के बहुत सारी प्रक्रियाओं और प्रणालियों का अध्ययन करने के लिए पृथ्वी से बाहर जाकर अवलोकन करना बहुत जरूरी है क्योंकि कई अवलोकन पृथ्वी से हो ही नहीं हो सकते. इसीलिए भारत का इसरो का आदित्य एल-1 अभियान 2023 में प्रक्षेपित किया जाएगा जो लैगरेंज बिंदु1 पर स्थापित किया जाएगा.

वह रीयूजेबल लॉन्च व्हीलकल तकनीक
भारत इस तरह की तकनीक विकसित कर रहा है जिससे अंतरिक्ष यान धरती पर लौटें और उन्हें हवाई जहाज की तरह धरती पर ही लैंड किया जा सके. इसके लिए पुन: प्रयोज्य लॉन्च वाहन-प्रौद्योगिकी के लिए अपना पहला रनवे लैंडिंग एक्सपरिमेंट का परीक्षण भी इसी साल करेगा. इससे अंतरिक्ष प्रक्षेपण की लागत बहुत तेजी से नीचे आजाएगी.

इसरो ने खुद को निजी क्षेत्र के छोटे सैटेलाइट प्रक्षेपण क्षमता पर बहुत कार्य किया है और अब वह निजी क्षेत्र के लिए भीअपनी सेवाएं देने के लिए तैयार है. पिछले साल इसरो ने पहले निजी क्षेत्र निर्मित स्कायरूट एरोस्पेस नाम का यान अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक भेजा था. इस साल निजी क्षेत्र के इसमें तेजी से बढ़ने की उम्मीद है और इसरो के साथ भारत सरकार ने इस दिशा में कई जरूरी कदम उठा लिए हैं.

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