कक्षा तीसरी, पांचवीं की तुलना में आठवीं और दसवीं कक्षा तक आते-आते छात्रों में सीखने की क्षमता घट रही है। यह खुलासा राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण 2021 की रिपोर्ट में हुआ है। इसमें भाषा, गणित, पर्यावरण विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और अंग्रेजी में योग्यता-आधारित मूल्यांकन पर केंद्रित था।

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इसमें पाया कि जैसे-जैसे वे उच्च कक्षा में जाते हैं, छात्रों में सीखने के स्तर (उपलब्धियों) में गिरावट आती है। राष्ट्रीय स्तर पर 500 के स्कैल में किए स्कोर में छात्रों का औसत प्रदर्शन उच्च कक्षाओं में घटने लगता है। कक्षा तीसरी में छात्र का भाषा में राष्ट्रीय औसत प्रदर्शन 500 में से 323 है तो दसवीं कक्षा में यह घटकर 260 रहा गया है। वहीं, गणित में कक्षा तीसरी के स्तर पर राष्ट्रीय औसत स्कोर 306 है, जो घटकर 284 हो जाता है। कक्षा पांचवीं  और कक्षा आठवीं में 255 और कक्षा दसवीं में यह 220 पर पहुंच गया है। खास बात यह है कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में तीसरी और पांचवीं कक्षा की रिपोर्ट बेहद अच्छी है। राष्ट्रीय औसत की तुलना में यह बेहद कम है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण 2021 की रिपोर्ट बुधवार शाम को जारी की है। यह तीन साल की चक्र अवधि के साथ कक्षा तीसरी, पांचवीं, आठवीं और दसवीं कक्षा में बच्चों की सीखने की क्षमता का व्यापक मूल्यांकन सर्वेक्षण करके देश में स्कूली शिक्षा प्रणाली के स्वास्थ्य का आकलन करती है। यह स्कूली शिक्षा प्रणाली के समग्र मूल्यांकन को भी दर्शाती है। इससे पहले पिछली रिपोर्ट 2017 में जारी की गई थी।

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केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा 34 लाख से अधिक छात्रों पर किए गए सर्वेक्षण के मुाबिक देशभर के स्कूलों में पढ़ने वाले 87 प्रतिशत छात्र स्कूल में पढ़ाए गए कोर्स को अपने परिवार के साथ साझा करते हैं। हालांकि इनमें से करीब 25 परसेंट छात्रों को पढ़ाई को लेकर अभिभावकों या परिवार के किसी अन्य सदस्य की मदद नहीं मिलती। देश भर में केवल 3 प्रतिशत छात्र ही ऐसे हैं जो कार से स्कूल जाते हैं।

देश भर के 48 फीसदी छात्र पैदल ही स्कूल पहुंचते हैं और नौ प्रतिशत छात्र ही ऐसे हैं जो स्कूल जाने के लिए स्कूल के वाहनों का उपयोग करते हैं। अन्य 9 प्रतिशत छात्र स्कूल जाने के लिए सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करते हैं। 18 प्रतिशत छात्र साइकिल से, 8 प्रतिशत छात्र अपने दोपहिया वाहनों और सबसे कम 3 प्रतिशत छात्र अपनी कार से स्कूल जाते हैं।

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रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण 2021 के लिए देशभर में 12 नवंबर को परीक्षा आयोजित की गई थी। इसमें देश के सभी सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों के छात्र शामिल हुए थे। इसमें कुल 34,01,158 छात्र और लगभग 1,18,274 स्कूलों के 26, 824 शिक्षकों ने सर्वेक्षण में भाग लिया था। अधिकतर राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की स्कूली प्रदर्शन की यह रिपोर्ट अच्छी नहीं है। लेकिन पंजाब, केरल, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल, महाराष्ट्र व चंडीगढ़ की रिपोर्ट राष्ट्रीय औसत में बेहतर है।

शिक्षा का हाल समझिए
पिछला राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण 2017 में हुआ था। उससे तुलना करें तो नए सर्वे में प्रदर्शन और भी निराशाजनक मालूम पड़ता है। कक्षा तीन का गणित में राष्ट्रीय औसत अंक 57 प्रतिशत रह गया है जो पिछले सर्वे में 64 प्रतिशत था। एक सामान्य व्याख्या यह है कि ऊंची कक्षाओं में विषय और जटिल होता जाता है और ऐसे में बच्चों को ज्यादा शैक्षणिक कौशल के साथ पढ़ाने की आवश्यकता है। उचित सहयोग और प्रशिक्षण के बगैर, सीनियर स्टूडेंट्स के सीखने के स्तर और जरूरतों को पूरा करने में टीचर कहीं ज्यादा असफल साबित होंगे। यह भी समझना जरूरी है कि इस पर महामारी का कितना प्रभाव है?

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38 फीसदी छात्रों का मानना महामारी में शिक्षा कठिन थी
देशभर में तीसरी, पांचवीं, आठवीं और 10 वीं कक्षा के 3.4 मिलियन स्कूली छात्रों में से 38 फीसदी ने कहा कि महामारी में उनकी शिक्षा के लिए कठिन चरण था। जबकि 24 फीसदी ने कहा कि उनके घर पर डिजिटल उपकरणों की पहुंच नहीं है। इसका अर्थ है कि लगभग एक चौथाई स्कूली छात्रों के पास घर पर डिजिटल उपकरण तक की पहुंच नहीं है। वहीं, 80 फीसदी बच्चों को लगता है कि वे अपने साथियों की मदद से स्कूल में बेहतर सीखते हैं। सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि भारत में 48 फीसदी छात्र पैदल ही स्कूल जाते हैं।

झारखंड के बच्चों की शिक्षा में गिरावट

अगर झारखंड की बात करें तो पिछले बार की तुलना में रिजल्ट में कुछ गिरावट आई है. रिजल्ट में जो गिरावट आई है उसकी वजह कोरोना काल में दो साल स्कूल का बंद रहना है. ये सर्वे क्लास 3 , 5 ,8 और 10 के स्टूडेंट के बीच किया गया था. कक्षा 8 और 10 में झारखंड का पोजिशन नेशनल एवरेज के बराबर है. कुछ मापदंड में ये बच्चे ऊपर भी हैं. जबकि कक्षा तीन और पांच के बच्चों का रिपोर्ट उतना अच्छा नहीं है. 

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सर्वे की बड़ी बातें, जो आपको जाननी चाहिए

  • देश में 48 प्रतिशत बच्चे अपने विद्यालय पैदल जाते हैं, 18 प्रतिशत बच्चे साइकिल से, 9 प्रतिशत सार्वजनिक वाहनों से, 9 प्रतिशत स्कूली वाहनों से, 8 प्रतिशत अपने दोपहिया वाहन तथा 3 प्रतिशत अपने चौपहिया वाहन से स्कूल जाते हैं।
  • स्कूल जाने वाले बच्चों में 18 प्रतिशत की मां पढ़ या लिख नहीं सकती हैं जबकि 7 प्रतिशत साक्षर हैं, लेकिन स्कूल नहीं गई हैं।
  • 72 प्रतिशत छात्रों के पास घर पर डिजिटल उपकरण नहीं है।
  • 89 प्रतिशत बच्चे स्कूल में पढ़ाये गए पाठ को अपने परिवार के साथ साझा करते हैं और 78 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जिसके घर पर बोली जाने वाली भाषा स्कूल के समान है।
  • 96 प्रतिशत बच्चे स्कूल आना चाहते हैं और 94 प्रतिशत स्कूल में सुरक्षित महसूस करते हैं।
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