विशाखा सिंह

प्रत्येक वर्ष 11 अक्टूबर को, बालिकाओं की सहभागिता को वृद्धि देने, उनके स्वस्थ जीवन को प्रोत्साहित करने, और उनकी शिक्षा और करियर के लिए मार्ग तैयार करने के उद्देश्य के साथ, अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस  मनाया जाता है। इस साल 2023 में दुनियाभर में, 11वां अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाएगा। 

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 11 अक्टूबर को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य दुनिया भर में बालिकाओं के अधिकारों और उनके सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। इस दिन, महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में और महिला सशक्तिकरण के प्रति जागरूक किया जाता है। भारत समेत कई देशों में, महिलाएं जन्म से ही, परिवार में उनकी स्थिति, उनके शिक्षा के अधिकार, और उनके करियर के विकास में आने वाली चुनौतियों का सामना करती हैं। बालिका दिवस का उद्देश्य इस तरह की चुनौतियों को दूर करने के लिए जागरूकता फैलाना है।

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 2023 थीम 

अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम हर साल अलग-अलग होती है। इस वर्ष की थीम “लड़कियों के अधिकारों में निवेश: हमारा नेतृत्व और कल्याण” है।

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का उद्देश्य 

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का उद्देश्य निम्नलिखित है: बालिकाओं के अधिकारों की सुरक्षा और सुनिश्चिति: इस दिवस का उद्देश्य बालिकाओं के अधिकारों की सुरक्षा, सुरक्षा, और समरक्षण है। यह उन्हें हानि, बाधा, और उन्नति के लिए उनके अधिकारों की प्रमोशन और सुनिश्चिति का माध्यम बनाता है।

शिक्षा की पहुंच: इस दिन का उद्देश्य बालिकाओं को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा तक पहुंचाना है और उनके लिए शिक्षा के लिए उपलब्ध विकल्पों को बढ़ावा देना है।

महिला सशक्तिकरण: इस दिन का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है, जिसमें महिलाएं अपने स्वास्थ्य, शिक्षा, और करियर के क्षेत्र में समानता और समर्थन प्राप्त कर सकती हैं।

समाज में जागरूकता: अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का उद्देश्य समाज को बालिकाओं के अधिकारों, महत्व, और योगदान के प्रति जागरूक करना है ताकि उन्हें इस समाज में उनकी वास्तविक स्थिति का सम्मान मिले।

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का महत्व 

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस एक महत्वपूर्ण दिन है जो दुनिया भर में बालिकाओं के अधिकारों और उनके सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करता है। यह दिन हमें बालिकाओं के जीवन में सुधार के लिए काम करने और उन्हें एक बेहतर भविष्य देने के लिए प्रेरित करता है।

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास 

1995 में बीजिंग में महिलाओं पर विश्व सम्मेलन में देशों ने सर्वसम्मति से बीजिंग घोषणा और कार्रवाई के मंच को अपनाया – न केवल महिलाओं बल्कि लड़कियों के अधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए अब तक का सबसे प्रगतिशील खाका। बीजिंग घोषणापत्र विशेष रूप से लड़कियों के अधिकारों की बात करने वाला पहला घोषणापत्र है।

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत ‘प्लान इंटरनेशनल,’ एक गैर-सरकारी संगठन, द्वारा एक प्रोजेक्ट के रूप में की गई थी। इस संगठन ने “क्योंकि मैं एक लड़की हूं” नामक एक अभियान की भी शुरुआत की थी। इस अभियान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार के लिए, कनाडा सरकार से संपर्क किया गया था।

कनाडा सरकार ने 55वें आम सभा में इस प्रस्ताव को प्रस्तुत किया और 19 दिसंबर, 2011 को संयुक्त राष्ट्र ने इस प्रस्ताव को स्वीकृत किया। परिणामस्वरुप, 19 दिसंबर, 2011 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने लड़कियों के अधिकारों और दुनिया भर में लड़कियों के सामने आने वाली अनोखी चुनौतियों को पहचानने के लिए 11 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस घोषित करने के लिए संकल्प 66/170 को अपनाया।

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस कैसे मनाया जाता है?

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस को विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है, जो बालिकाओं के अधिकारों, महत्व, और समर्थन को प्रमोट करने का उद्देश्य रखते हैं। यह आमतौर पर निम्नलिखित तरीकों से मनाया जाता है:

सभी स्तरों पर सेमिनार और वेबिनार: स्कूल, कॉलेज, और विभिन्न संगठनों में बालिकाओं के अधिकारों और महत्व को बढ़ावा देने के लिए सेमिनार और वेबिनार का आयोजन किया जाता है।

गैर-लाभकारी संगठनों के कार्यक्रम: गैर-लाभकारी संगठन बालिकाओं के अधिकारों को प्रमोट करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित कर सकते हैं, जैसे कि महिला सशक्तिकरण वाले संगठनों द्वारा संचालित कार्यक्रम।

रैली और आवाज उठाना: इस दिवस के मौके पर रैली और प्रदर्शन आयोजित किए जाते हैं जिसमें लोग बालिकाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाते हैं।

सोशल मीडिया कैंपेन्स: इस दिवस को सामाजिक मीडिया के माध्यम से जागरूकता फैलाने के लिए विशेष हैशटैग्स और कैंपेन्स का आयोजन किया जाता है।

चर्चा और विचार-विमर्श: बालिकाओं के अधिकारों और महत्व के मुद्दों पर चर्चा और विचार-विमर्श का समय निकाला जाता है, ताकि लोग इन मुद्दों के बारे में जागरूक हो सकें।

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