दयानिधि

जीवन की आपाधापी में आज मनुष्य कई तरह से मानसिक अवसाद और तनाव से गुजर रहा है। वहीं छात्रों की बात करें तो वे कई तरह की प्रतिस्पर्धा के कारण अक्सर तनाव में रहते हैं। एक नया अध्ययन इस तरह की समस्याओं को कम करने या इनसे पार पाने के लिए प्रकृति-आधारित समाधान की बात करता है।

अध्ययन में पाया गया है कि पक्षियों को निहारने या बर्ड वॉचिंग वाले लोगों का स्वास्थ्य बेहतर व कम तनाव वाला होता है। बर्ड वॉचिंग एक आसान गतिविधि है, इसलिए कॉलेज के छात्रों में इसके परिणाम उत्साहजनक पाए गए।

नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी में वानिकी और पर्यावरण संसाधनों के प्रोफेसर व अध्ययनकर्ता ने अध्ययन के हवाले से कहा, महामारी के दौरान लोगों की भलाई वाले बहुत सारे शोध सामने आए हैं, जो बताते हैं कि किशोर और कॉलेज जाने वाले बच्चे सबसे ज्यादा पीड़ित हैं। खासकर जब आप छात्रों और स्नातक छात्रों के बारे में सोचते हैं, तो ऐसा लगता है कि ये ऐसे समूह हैं जो प्रकृति तक पहुंच और उन फायदों को पाने के मामले में संघर्ष कर रहे हैं।

पक्षियों को देखना, दुनिया भर में मनुष्य द्वारा वन्यजीवों के साथ संपर्क स्थापित करने के सबसे महत्वपूर्ण तरीकों में से एक है, तथा कॉलेज परिसर एक ऐसी जगह है, जहां अधिक शहरी परिवेश होने के बावजूद भी इस तरह की गतिविधि की जा सकती है।

लोगों के लिए इस तरह की भलाई के काम को मापने के लिए, शोधकर्ताओं ने विश्व स्वास्थ्य संगठन-पांच कल्याण सूचकांक (डब्ल्यूएचओ-5) के रूप में जाने जाने वाले पांच-प्रश्न वाले सर्वेक्षण का उपयोग किया। यह उपकरण प्रतिभागियों की भलाई अथवा कल्याण से जुड़ी चीजों के बारे में शून्य से पांच तक की रेटिंग देने के लिए कहता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि पिछले दो सप्ताहों में उन्होंने कितनी बार ऐसा महसूस किया है।

उदाहरण के लिए, “मैंने शांत और तनाव मुक्त महसूस किया है” संकेत दिए जाने पर, एक प्रतिभागी “कभी नहीं” के लिए शून्य या “हर समय” के लिए पांच अंक देगा। शोधकर्ता केवल पांच प्रतिक्रियाओं को जोड़कर एक कल्याण स्कोर की गणना कर सकते हैं, जिसमें शून्य सबसे खराब है और 25 जीवन की सबसे अच्छी गुणवत्ता है।

शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों को तीन समूहों में विभाजित किया: एक नियंत्रण समूह, एक समूह जिसे पांच प्रकृति भ्रमण दिए गए और एक समूह को पांच 30  मिनट तक के पक्षियों को निहारने के सत्र दिए गए। जबकि तीनों समूहों में डब्ल्यूएचओ-5 स्कोर में सुधार हुआ था, पक्षी अवलोकन समूह ने अन्य दो की तुलना में धीमी शुरुआत के बावजूद सबसे अच्छे अंक हासिल किए थे।

मनोवैज्ञानिक संकट को मापने के लिए डिजाइन की गई एक समान प्रश्नावली स्टॉप-डी का उपयोग करते हुए, शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि प्रकृति जुड़ाव नियंत्रण की तुलना में बेहतर है, जिसमें पक्षियों को निहारने और प्रकृति भ्रमण दोनों में प्रतिभागियों में तनाव में कमी देखी गई।

अध्ययन में शोधकर्ता ने ने कहा कि यह अध्ययन पिछले कुछ शोधों से इस मायने में अलग है कि इसमें पक्षियों को निहारने और प्रकृति से जुड़ाव के प्रभावों की तुलना एक नियंत्रित समूह के साथ की गई है, न कि अधिक सक्रिय रूप से खराब परिस्थितियों का अनुभव करने वाले समूह के साथ।

जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंटल साइकोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के हवाले से शोधकर्ता ने बताया, हमने अपने शोध में जिन अध्ययनों की समीक्षा की है, उनमें से एक में पक्षियों की आवाज सुनने वाले लोगों की तुलना ट्रैफ़िक की आवाज सुनने वाले लोगों से की गई है और यह वास्तव में सही तुलना नहीं है। हमारे पास एक तटस्थ नियंत्रण था जहां हमने लोगों को अकेला छोड़ दिया और उसकी तुलना किसी सकारात्मक चीज से की।

अध्ययन में कहा गया है कि यह इस विचार का समर्थन करता है कि पक्षियों को देखना मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है और भविष्य के शोध के लिए कई रास्ते खोलता है। उदाहरण के लिए, भविष्य के अध्ययन में इस बात का पता लगाया जा सकता है कि पक्षियों को देखना लोगों को बेहतर महसूस करने में कैसे मदद करता है या नस्ल, लिंग और अन्य कारणों का क्या पभाव पड़ता है।

       (‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )

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