डॉ. रामेश्वर दयाल

लाल मूली यानी रेड रेडिश के स्वास्थ्य के लिए ढेरों लाभ हैं. ये लिवर को दुरुस्त करती है और पीलिया के लक्षणों से निपटने में मददगार होती है. कोशिकाओं को रीजेनरेट करती है और ब्लड शुगर को भी मैनेज करती है. 16वीं सदी से उगाई जाती रही है लाल मूली जोकि बाहर से लाल लेकिन अंदर से सफेद होती है,

सर्दियां आने को है और बाजारों में हरी व जड़ीली सब्जियों ने दस्तक देना शुरू कर दी है. इनमें मूली लोगों को बेहद प्रिय होती है. आजकल तो लाल मूली भी खूब आने लगी है. इसे आम मूली से ज्यादा स्वादिष्ट व पौष्टिक माना जाता है. यह एंटीऑक्सीडेंट तो है ही, इसका सेवन ब्लड शुगर को कंट्रोल रखता है, साथ ही शरीर की विषाक्तता को भी बाहर निकाल देता है. रोचक है लाल मूली का इतिहास.

लाल मूली है बाहर से लाल लेकिन अंदर से सफेद

लाल मूली को लेकर लोगों का रुझान बढ़ने लगा है. यह देखने में सामान्य मूली से अधिक आकर्षक व खूबसूरत नजर आती है. यह आम मूली की तरह लंबी या शलजम की तरह गोल भी होती है. इसकी स्किन चिकनी, कोमल और पतली होती है, जिसका रंग चमकदार लाल, लाल-गुलाबी होता है. विशेष बात यह है कि इसके अंदर का गूदा सफेद, स्टफी, पानी से भरा लेकिन कुरकुरा हेाता है. जब यह एकदम कच्ची होती है तो इसका स्वाद हलकी सी मिठास लिए हुए होता है, उसके बाद तीखा व चटपटा हो जाता है. लाल मूली के पत्ते भी आम मूली से अधिक स्वादिष्ट होते हैं और उनमें पौषक तत्व भी आम मूली से अधिक होते हैं. आप देखेंगे कि अब सब्जी मंडी में सफेद मूली के साथ लाल मूली की आमद भी खूब होने लगी है, क्योंकि इसके गुणों को लोग पहचान चुके हैं

पूरी दुनिया में उगाई जाती है लंबी व गोल लाल मूली

ऐसा माना जाता है कि मूली की पैदावार हजारों सालों से हो रही है और इसके प्राथमिक जुड़ाव भारत व चीन से है. अमेरिकी भारतीय वनस्पति विज्ञानी सुषमा नैथानी ने इसके दो उत्पत्ति केंद्र वर्णित किए हैं, जिनमें से एक चीन व दक्षिण पूर्वी एशिया है, जिनमें चीन, ताइवान, थाइलैंड, मलेशिया, फिलीपींस, वियतनाम आदि देश है. दूसरा उत्पत्ति स्थल इंडो-बर्मा उपकेंद्र है, जिसमें भारत और म्यांमार शामिल हैं. भारत में हजारों वर्ष पूर्व लिखे गए आयुर्वेदिक ग्रंथ ‘चरकसंहिता’ में भी मूली (मूलकं) का वर्णन है. इसके त्रिदोषनाशक (कफ-वात-पित्त) बताया गया है. दूसरी ओर ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन युग में भी लाल मूली कायम थी लेकिन इसकी विशेष खेती नहीं की जाती थी. यह शलजम, चुकंदर की खेती के साथ ही कुछ लाल मूली भी उग जाती थी. फूड हिस्टोरियन मानते हैं कि आधिकारिक रूप से लाल मूली की उत्पत्ति 16वीं शताब्दी में डच और इतालवी किसानों ने शुरू की. उसके बाद यह उत्तरी अमेरिका, मैक्सिको और कैरेबियन पहुंची. आज लाल मूली की किस्में दुनिया भर में उगाई जाती हैं.

ICAR ने इसे एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर माना है

लाल मूली को शरीर के लिए बेहद गुणकारी माना जाता है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) का कहना है कि लाल मूली सलाद ड्रेसिंग के लिए तो लाजवाब है ही, इसमें सामान्य मूली की तुलना में एंटीऑक्सीडेंट का स्तर 80-100 प्रतिशत अधिक है. इसका अर्थ है कि लाल मूली शरीर की कोशिकाओं की मरम्मत करने में ज्यादा लाभकारी है. संस्थान के अनुसार लाल मूली में एंथोसायनिन भी पाया जाता है, जिसमें ब्ल्ड शुगर को कंट्रोल करने के गुण होते हैं. इसमें फेनोलिक्स भी मौजूद होता है, जो सूजन व दर्द को कम करने में भूमिका अदा करता है.

पीलिया के लक्षणों को दूर कर सकती है

फूड एक्सपर्ट व होमशेफ सिम्मी बब्बर का कहना है कि लाल मूली को भी लिवर के लिए गुणकारी माना जाता है. यह पीलिया के लक्षणों को दूर कर सकती है. चूंकि इसमें एडिबल फाइबर होता है, इसलिए पाचन सिस्टम को भी दुरुस्त रखती है और कब्ज से बचाए रखती है. लाल मूली में लाल मूली न केवल सलाद के कटोरे में स्वाद जोड़ती है बल्कि यह भूख को भी शांत करने में मदद करती है. इसमें फेट नहीं होता और कैलोरी व कार्बोहाइड्रेट सीमित होता है, जिसके चलते यह शरीर का वजन नहीं बढ़ने देती. सामान्य तौर पर लाल मूली का कोई साइड इफेक्ट नहीं है, लेकिन बेहतर होगा कि इसे रात के भोजन में कच्चे सलाद के रूप में शामिल करने से बचा जाए. रात को नियमित सेवन से यह कफ बना सकती है.

     (‘न्यूज़ 18 हिंदी’ से साभार )

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