विकास शर्मा
दुनिया के सर्वकालिक और महान वैज्ञानिक माने जाने वाले सर आइजैक न्यूटन की मौत रहस्यमी परिस्थितियों में हुई थी. उनकी मौत से कुछ दिन पहले तक उनकी गतिविधियां रहस्यमयी हो गई थीं. उनके अल्केमी पर शोधपत्र और मृत्यु के बाद उनके शरीर में भारी मात्रा पारे का पाया जाना कई संदेहों को पैदा कर गया था.
आइजैक न्यूटन बहुत बड़े विद्वान वैज्ञानिक थे उन्होंने दुनिया को कई ऐसी वैज्ञानिक धारणाएं दीं जो कि उस दौर के लोगों के लिए कल्पना से भी परे थी. उनकी तर्कशक्ति और कल्पनाशक्ति के संयोजन के बड़े बड़े लोग कायल थे. अपने जीवन के अंतिम दिनों में न्यूटन का जीवन काफी कुछ बदल गया था. उनकी शख्सियत पहले से ही मिलनसार नहीं थी. उनके कई समकालीन वैज्ञानिकों से विवाद थे. उनके कई शोध असामान्य विषयों पर थे जिनमें रसायन और अल्केमी भी प्रमुखता शामिल थे. 31 मार्च 1727 को उनकी मौत ने कई सवाल पैदा किए जिनके जवाब आज तक नहीं मिल सके हैं.
तब बहुत प्रचलित थी अल्केमी
उस दौर में अल्केमी एक प्रचलित विषय था और रहस्यमयी होने के अलावा गुमनाम विषय नहीं था. यह रसायन शास्त्र का शुरुआती प्रारूप माना जाता था. आज यह किसी तरह का विज्ञान नहीं माना जाता है और ना ही इससे संबंधित कोई वैज्ञानिक प्रमाण मिले हैं. इस विषय का अध्ययन करने वाले माना करते थे कि सामान्य धातुओं की सोने में बदला जा सकता है. इसके अलावा इसके बारे में एक प्रचलित धारणा यह थी इसमें अमृत बनाने की विधि निहित है.
न्यूटन के लिए अल्केमी
लेकिन अल्केमी में पुताई के रंग बनाने जैसे विषय भी शामिल थे और बताया जाता है कि इसका दायरा बहुत विस्तृत हुआ करता था. न्यूटन के बारे में कहा जाता है कि उनका अल्केमी में गहरा विश्वास था. उनके के लिए अल्केमी विषय पहेली थी और उन्होंने उसका गहराई से अध्ययन करने का प्रयास भी किया था. उन्हें यह लगता था कि अल्केमी के जरिए वे खुद पर काबू पा सकते हैं.
10 फीसद लेखन अल्केमी पर
न्यूटन को यहां तक लगता था कि उन्हें अल्केमी जैसे बहुत जटिल पहेली सुलझाने के लिए चुने गए लोगों का हिस्सा हैं. इसी तरह की धारणाओं के चलते उन्होंने अल्केमी का गंभीरता से अध्ययन किया. वहीं कई लोग मानते हैं न्यूटन जैसे व्यक्ति की दिलचस्पी इस विधा में केवल वैज्ञानिक अन्वेषण के आधार पर ही हो सकती है. उनके लिखे हुए लेखों के एक करोड़ शब्दों में से करीब दस लाख अल्केमी से संबधित हैं.
कई विषयों में रुचि
न्यूटन अपने समय में एक गणितज्ञ, भौतिकविद, खगोलविद, लेखक विचारक, धर्म और आध्यात्म विद्या, एक अल्केमिस्ट के तौर पर भी पहचाने जाते थे. उन्होंने भैतिकी, खगोलविज्ञान और गणित में विशेष योगदान दिया था. उन्होंने गुरुत्व और गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत देते हुए भौतिकी के शास्त्रीय सिद्धांत की नींव रखी. पृथ्वी की सही आकार बताया, प्रतिबिम्ब आधारित पहला टेलीस्कोप बनाया. प्रिज्म के जरिए प्रकाशीय रंगों का अध्ययन किया. इसके अलावा उन्होंने ध्वनि की गति की गणना, कूलिंग का नियम, जैसे कई अहम सिद्धांत भी दिए.
और भी विषय थे
वैज्ञानिक नजरिया होने के बाद भी न्यूटन कई अन्य विषयों से भी जुड़े हुए थे. उनकी थियोलॉजी यानी ब्रह्मविज्ञान, धर्म विज्ञान या आध्यात्म विज्ञान, में गहरी रुचि थी. वे चर्च से पवित्र आदेश लेना पसंद नहीं करते थे. फिर भी उन्होंने बाइबल की क्रमबद्धता का भी अध्ययन किया था. ऐसे विषयों में उनका अधिकांश कार्य उनके मरने के बाद ही प्रकाशित हो सका था.
न्यूटन की मौत
न्यूटन की मौत नए कैलेंडर के अनुसार 31 मार्च 1727 को हुई थी जो पुराने कैलेंडर के अनुसार 20 मार्च 1727 की तारीख मानी जाती है. वे सोते समय मरे थे और उनकी मौत के बाद उनके शरीर में बहुत सारा पारा मिला था. पारे का अल्केमी से गहरा संबंध बताया जाता है, यही वजह रही कि उनकी मौत को अल्केमी से भी जोड़ने का प्रयास किया गया. वहीं कुछ लोगों ने पारे के उनके शरीर में मिलने को रसायन व्यवसाय भी जोड़कर तो कुछ ने इसे उनके सनकीपन से जोड़कर देखा था.
यह भी पाया गया कि न्यूटन ने मरने से पहले कुछ अहम खोज संबंधी कागज जला दिए थे. अनुमान लगाया गया है कि इनका संबंध अलकेमी से ही था. लेकिन तमाम संदेहास्पद स्थितियों के बाद भी न्यूटन का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ हुआ था. उनके साथ उनके अल्केमी के संबंध के कई रहस्य भी दफन हो गए थे. उनके छूटे हुए दस्तावेजों से भी कई नष्ट हो गए तो कई आज भी रहस्य बने हुए हैं जो अत्याधिक जटिलता लिए हुए हैं.