दुनिया में एक बार फिर कोरोना वायरस के नए वेरिएंट का खौफ फैल रहा है. चीन में इससे हाहाकर मचा है. तीन साल से वायरस शब्द तक खौफ का कारण बना हुआ है. विज्ञान का कहना है कि वायरस दुनिया में बहुत अहम सूक्ष्मजीवी होते हैं और सभी तरह के वायरस खतरनाक होते भी नहीं हैं हां बाकी सूक्ष्मजीवों की तुलना में वायरस से निपटना कठिन काम जरूर है.
पिछले तीन साल से कोविड-19 महामारी ने दुनिया को हैरान परेशान कर रखा है. सार्सकोव-2 वायरस के नए वेरिएंट आने की खबर ही पूरी दुनिया में हलचल मचा देती है. जैसे कि इस समय इसके ओमिक्रॉम वेरिएंट के BF.7 संस्करण ने दुनिया को हिला रखा. चीन में इसी वायरस के इसी संस्करण के कारण हाहाकर मचा हुआ है. इसी महामारी के कारण दुनिया में वायरस के बारे में लोगों की रुचि बहुतज्यादा हो गई है. लेकिन आकिर वायरस को इंसान के लिए इतना खतरनाक क्यों माना जाता है.
तो क्या होते हैं वायरस
वायरस एक विशेष तरहके सूक्ष्मजीव होते हैं जो कई तरह के स्वरूपों में पाए जाते हैं. कुछ गोलाकार, होते हैं तो कुछ छड़ी के आकार के तो कुछ मिनी रोबोट की तरह दिखते हैं. फिर भी सभी प्रकार के वायरस में एक बात समान होती है. वे वायरल जीनोम या किसी डीएनए या आरएनए का हिस्सा होते हैं जो एक प्रोटीन से आवृत्त होते हैं.
केवल छोटी जेनेटिक जानकारी
वायरस के खास आवरण के रूप में प्रोटीन न्यूक्लियोकैप्सिड प्रोटीन होते हैं जो उनकी रक्षा करते हैं और उसके ऊपर भी प्रोटीन होते हैं जिनमें रिसेप्टर्स होते हैं जो संक्रमित शरीर की कोशिकाओं से चिपकने का काम करते हैं. प्रोटीन में लिपटा हुए छोटी जेनेटिक जानकारी का टुकड़ा होने के कारण वायरस बहुत ही छोटे होते हैं.
जीवित या अजीवित
वायरस की खास बात यह होती है कि उन्हें जिंदा या सक्रिय तौर पर जिंदा रहने और पनपने के लिए होस्ट सेल यानि पोषक कोशिका की जरूरत होती है जिस पर वे बहुगुणित होने के लिए भी निर्भर होते हैं. एक लिहाज से वे अजीवित भी माने जाते हैं क्योंकि बहुत से वैज्ञानिकों उन्हें केवल जानकारी का हिस्सा मानते हैं.
हमेशा नहीं होते खतरनाक पर
एक बार तो ऐसा लगता है कि जो खुद अपने दम पर ही जीवित नहीं रह पाते हैं. वे नुकसानदेह कैसे होंगे. लेकिन उनसे खतरा तभी शुरू होता है. जब वे उन कोशिकाओं के संपर्क में आते हैं. जहां से वे पोषण हासिल कर सकते हैं. पोषण कोशिकाओं में रहते हुए वे खतरनाक हो सकते हैं बहुत आसानी से संक्रमण के जरिए फैल भी सकते हैं.
संक्रमण करने का जरिया
इससे पहले वायरस किसी जीवित को नुकसान पहुंचाए, उसे कोशिका में घुसने के लिए उन्हें किसी तरह से प्रवेश करने के तरीके की जरूरत होती है. उनके आवरण में प्रोटीन में पाए जाने वाले रिसेप्टर के जरिए वायरस कोशिका से जुड़ पाता है. इसी वजह से कई वायरस किसी खास प्रजाति से ही जुड़ पाते हैं क्योंकि अगर उन्हें सही रिसेप्टर नहीं मिला तो वे कोशिका से जुड़ कर उन्हें संक्रमित नहीं कर पाते है.
कैसे फैलता है शरीर में वायरस
सही रिसेप्टर होने पर वायरस या तो कोशिका में ही अनुवांशकीय जानकारी डाल देता है या फिर वह खुद ही कोशिका में प्रवेश कर जाता है. यहां से वायरल बहुगुणित होना शुरू हो जाता है जिससे जीव का पूरा शरीर संक्रमित होने लगता है. वायरस या तो कोशिका के संसाधनों का उपयोग कर अपने विभिन्न हिस्सों को बहुगुणित कर उन्हें एक कर फूट कर दूसरी कोशिकाओं में फैलता है.
कोशिका में छिप भी सकता है वायरस
इस तरीके से वायरस बहुत तेजी से फैलता है. वहीं दूसरी ओर वह खुद की प्रतियां नहीं बनाता बल्कि कोशिकाओं के बहुगुणित होने के साथ खुद को कोशिका के जीनोम में शामिल कर लेता है और वहां छिपा रह कर कोशिका के साथ बहुगुणित होता रहता है. यह प्रक्रिया थोड़ी धीमी होती है, लेकिन उतनी ही घातक होती है.
वायरस संक्रमण अमूमन किसी दवाई से ठीक नहीं होते हैं. उन्हें किसी दवा से खत्म करना बहुत मुश्किल होता है. उन्हें हमारे शरीर का प्रतिरोध तंत्र ही खत्म कर पाता है. लेकिन देखना यही होता है कि वायरस प्रतिरोध तंत्र को पंगु ना कर दे जिससे शरीर स्वस्थअवस्था में ना पहुंच सके. कोविड-19 महामारी के संक्रमण में यही देखा गया कि संक्रमित लोग जो मरे वे वायरस से नहीं बल्कि दूसरी बीमारी से नहीं लड़ पाने की वजह से मरे थे. अलग अलग वायरस अलग तरह से शरीर को कमजोर करते हैं.