विकास शर्मा
निकोला टेस्ला महान और प्रतिभाशाली वैज्ञानिक थे. उनके दौर में दुनिया बिजली के लिए नए नए डायरेक्ट करेंट के उपकरणों की आदत डाल रही थी. ऐसे माहौल में उन्होंने अल्टरनेटिंग करंट को दुनिया के उपयोग के लिए मुफीद बनाने में सबसे अधिक योगदान दिया. हां, उस दौर में उद्योग जगत को अल्टरनेटिंग करंट अपनाने में वक्त जरूर लग गया था.
निकोला टेस्ला 19वीं सदी के उत्तार्द्ध और 20वी सदी की शुरुआत में एक आविष्कारक, भौतिक विज्ञानी, यांत्रिक अभियन्ता और विद्युत अभियन्ता के रूप में जाने जाते हैं. उन्हें अपने से समय से बहुत आगे का वैज्ञानिक भी कहा जाता था. उनकी कुछ खोजों और विचारों को उनके जाने के दशकों बाद मान्यता मिल सकी और उनके कई आविष्कारों को तो उनके दौर में खारिज भी कर दिया गया था. उनका सबसे बड़े योगदान बिजली के क्षेत्र में है. उन्होंने ही दुनिया को दिष्ट धारा या डायरेक्ट करेंट की सीमाओं से मुक्त कर प्रत्यावर्ती धारा या अल्टरनेटिंग करंट के लिए तैयार करने में बहुत बड़े योगदान दिए थे. इसलिए उन्हें मैन बिहाइंड द अल्टरनेटिंग करंट भी कहा जाता है.
बचपन से ही बहुत ही प्रतिभाशाली
अपने समय के बहुत ही प्रतिभाशाली निकोला टेस्ला का जन्म 10 जुलाई 1856 को क्रोशिया के एक गांव में हुआ था. उनके पिता एक रूढ़ी वादी रोमन कैथोलिक चर्च के पादरी थे, जिनकी वे चौथी संतान थे. वे अपने स्कूली दिनों में काफी तेज दिमाग के छात्र थे. किताबें पढ़ने के शौकीन और 8 भाषाओं के जानकार निकोल टेस्ला गणित के कठिन से कठिन सवालों को अपने मन में ही हल कर लेते थे.
पढ़ाई में बाधाएं
तेज दिमाग के मालिक होने के बाद भी निकोला बहुत अनुशासित व्यक्ति नहीं रहा करते थे. उन्हें जुए की ऐसी लत लग गई थी की वे अपने ट्यूशन फीस तक जुए में गंवा दिया करते थे. वे लापरवाह भी बहुत थे और अपनी सेहत का अच्छे से ख्याल नहीं रखते थे. ऐसी आदतों के चलते फेल भी हुए और रुचि होने के बाद भी कभी इंजीनियरिंग के स्नातक नहीं बन पाए. पिता की मृत्यु के बाद जब वे प्राग में पढ़ रहे थे, तब भी वे सभी विषयों को नहीं पढ़ा करते थे.
इलेक्ट्रीशियन के तौर पर अनुभव
बाद में बुडापेस्ट टेलीग्राफ कंपनी में काम करते हुए उन्होंने सिस्टम की कई खामियों को पकड़ा और चीफ इलेक्ट्रीशियन के तौर पर उन्होंने सेंट्रल स्टेशन इक्विपमेंट में कई सुधार करने के साथ उन्होंने टेलीफोन रिपीटर या एम्प्लिफायरमें सुधार किया पर उसके पेटेंट के लिए कभी प्रयास नहीं किया. 1882 में वे पेरिस मे कॉन्टिंनेंटल एडिसन कंपनी में काम करने लगे.
पेरिस से अमेरिका तक
पेरिस में काम करते हुए ही टेस्ला ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में महारत हासिल की. उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें डायनोमो और मोटर की डिजाइन और मरम्मत का काम भी दिया गया. इसके बाद उनकी प्रतिभा के महत्व को देखते हुए कंपनी प्रबंधन ने उन्हें अमेरिका में बुला लिया.
इसके बाद 1884 में वे अमेरिका आ गए और काम करने के दौरान उनकी मुलकात एडिसन से भी हुई.
प्रत्यावर्ती धारा यानि एसी पर काम
लेकिन फिर टेस्ला ने स्वतंत्र रूप से आर्क लाइट सिस्टम के साथ ही अल्टेनेटिंक करेंट या प्रत्यावर्ती धारा (एसी) के उपकरणों पर भी काम करना जारी रखा. उनके नवाचरों में निवेशों ने ज्यादा रुचि नहीं दिखाई. लेकिन बाद में उन्हें सहयोग मिला तो उन्होंने 1887 मे प्रत्यावर्ती धारा पर चलने वाली इंडक्शन मोटर बना दी. उन्होंने एसी ट्रांसमिशन तकनीक को कारगर बनाया. तब तक एसी पर दुनिया भर में काम होने लगा था. लेकिन टेस्ल की मशीन और उनके निवेशकों तक को बाजार की प्रतिस्पर्धा का शिकार होना पड़ा.
टेस्ला ने एक खास तरह की क्वाइल भी बनाई जिसे टेस्ला क्वाइल कहा जाता है. बाद में इसका उच्च विभव, कम धारा, उच्च आवर्ती प्रत्यावर्ती धारा की बिजली पैदा करने के लिए उपयोग में लाया जाने लगा. टेस्ला के बनाए ट्रांस्फॉर्मर को बाद में उपयोगिता मिली. उन्होंने ही सिद्धांत दिया कि रेडियो तरंगों को दुनिया में कहीं भी भेजा जा सकता है. इसमें कोई शक नहीं कि उनकी प्रतिभा के साथ कभी न्याय नहीं हुआ. वे कई पेटेंट के लिए कानूनी लड़ाई लड़ते रहे कई पेटेंट उन्होंने हालात तो कई भलमनसाहत में गंवा दिए थे. लेकिन इतिहास में उनके योगदान को स्थान जरूर दिया जाता है.
(‘न्यूज़ 18 हिंदी’ के साभार )