आनंद नायक
क्लोनिंग के जरिये डॉली भेड़ के जन्म को संभव बनाने की इयान विल्मुट की महत्वपूर्ण उपलब्धि रही. नॉटिंघम विश्वविद्यालय से BSc डिग्री हासिल करने वाले विल्मुट की रुचि समर इंटर्नशिप के दौरान (भ्रूणविज्ञान )में जाग्रत हुई और इसके बाद वे इसी के होकर रह गए.विल्मुट 1973 में उस टीम के भी सदस्य थे जिसने जमे हुए भ्रूण से पहला बछड़ा तैयार किया था.
किसी स्तनधारी की कोशिका से ‘क्लोन’ तैयार करने को वर्ष 1996 में विज्ञान की बड़ी उपलब्धि माना गया था. स्कॉटलैंड के रोसलिन संस्थान में शोधकर्ताओं की एक टीम ने ऐसा कर दिखाया था.पहली बार किसी स्तनधारी से निकाली गई कोशिका से ‘क्लोन’ बनाने में ब्रिटिश वैज्ञानिक इयान विल्मुट की अगुवाई वाली इस टीम को कामयाबी मिली थी. इस ‘क्लोन’ भेड़ को ‘डॉली’ नाम दिया गया था. वैसे डॉली 5 जुलाई 1996 को पैदा हुई थी लेकिन उसके बारे में आधिकारिक ऐलान करीब सात माह बाद 22 फरवरी 1997 में किया गया. ‘क्लोनिंग’ के जनक माने वाले विल्मट का 79 वर्ष की आयु में निधन हो गया.एडिनबर्ग यूनिविर्सिटी के अनुसार, पार्किंसन की बीमारी से जूझ रहे विल्मुट ने रविवार को आखिरी सांस ली.
इस तरह से की क्लोनिंग
वैज्ञानिक काफी समय से कोशिकाओं यानी सेल्स से ‘क्लोन’ बनाने के प्रयास जुटे हुए थे लेकिन इस दिशा में कामयाबी 1990 के दशक में मिली थी.विज्ञान जगत में ऐसा पहली बार हुआ था जब व्यस्क कोशिका से क्लोन बनाया गया था. इससे पहले भी वैज्ञानिकों ने ‘क्लोनिंग’ में सफलता हासिल की थी लेकिन यह भ्रूण कोशिका के जरिये की गई थी. रिसर्च में एक सफेद और एक काले मुंह वाली भेड़ का इस्तेमाल किया गया था. वैज्ञानिकों ने सफेद भेड़ के सेल से न्यूक्लियस निकालकर काले भेड़ के सेल में डाला था जिसके फलस्वरूप डॉली का जन्म हुआ था. इस कदम से सेल क्लोनिंग के अध्ययन का मार्ग प्रशस्त करने के साथ एक बहस को भी जन्म दे दिया था. क्लोनिंग के समर्थकों की राय थी इस तकनीक से मेडिकल साइंस खासकर में महत्वपूर्ण प्रगति हो सकती है. उन्होंने माना कि इस तकनीक से पार्किंसन और अल्जाइमर जैसी नर्व डिसीज का इलाज संभव हो सकेगा. दूसरी ओर क्लोनिंग के विरोधियों ने इसे संभावित रूप से असुरक्षित और अनैतिक करार दिया था.
साढ़े छह साल ही जीवित रही डॉली
कोड नाम ‘6LL3’वाले क्लोन किए गए मेमन का नाम अमेरिकी सिंगर और एक्ट्रेस डॉली पार्टन के नाम पर रखा गया था. डॉली भेड़ साढ़े छह साल ही जीवित रही और फरवरी 2003 में इसकी मौत हो गई. डॉली भेड़ जब पैदा हुई तो पूरी सफेद रंग की थी. दो साल की उम्र में इसने पहले मेमने को जन्म दिया बाद में इसने 5 और मेमने पैदा किए बाद में लंग्स कैंसर से डॉली की मौत हो गई थी. फेफड़ों की बीमारी के कारण डॉली को 14 फरवरी, 2003 को एडिनबर्ग, स्कॉटलैंड के रोज़लिन इंस्टीट्यूट में इच्छामृत्यु दे दी गई थी.
डॉली शीप के शरीर को स्कॉटलैंड के म्यूजियम में सहेजकर रखा गया है ताकि तमाम लोगों को विज्ञान की इस अनूठी उपलब्धि को देखने का मौका मिले. आमतौर पर भेड़ 11 से 12 वर्ष तक जीवित रहती हैं, लेकिन डॉली की सिर्फ साढ़े छह साल में ही हुई मौत ने इस चिंता को जन्म दिया कि नैसर्गिक रूप से पैदा हुई भेड़ों की तुलना में क्लोन किए गए जानवर अधिक तेजी से बूढ़े होते हैं या कम स्वस्थ होते हैं.
इंटर्नशिप के दौरान जागी थी विल्मुट की Embryology (भ्रूणविज्ञान) में रुचि
इयान विल्मुट की बात करें तो क्लोनिंग के जरिये डॉली भेड़ के जन्म को संभव बनाना उनके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि रही. विल्मुट का जन्म 7 जुलाई, 1944 को बर्मिंघम के करीब हैम्पटन लुसी में हुआ था. नजदीक के कोवेंट्री में वे पले बढ़े. खेती में रुचि ने उन्हें नॉटिंघम यूनिवर्सिटी में एग्रीकल्चर की पढ़ाई के लिए प्रेरित किया. 1967 में नॉटिंघम विश्वविद्यालय से BSc डिग्री हासिल करने वाले विल्मट की रुचि समर इंटर्नशिप के दौरान Embryology (भ्रूणविज्ञान) में जाग्रत हुई और उन्होंने एनिमल जेनेटिक इंजीनियरिंग पर ध्यान केंद्रित किया.ग्रेजुएट डिग्री प्राप्त करने के बाद, विल्मुट ने कैंब्रिज यूनविर्सिटी के डार्विन कॉलेज में दाखिला लिया. वर्ष 1971 में Freezing of boar semen विषय पर थीसिस के लिए उन्हें PhD अवार्ड की गई. कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में फैलोशिप के दौरान उन्होंने आनुवंशिक अनुसंधान पर काम शुरू किया और 1973 में एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी से जुड़े.
Frozen Embryo से बछड़ा तैयार किया था विल्मुट 1973 में उस टीम के सदस्य थे जिसने जमे हुए भ्रूण (Frozen Embryo) से पहला बछड़ा तैयार किया था. 1974 में वे रोज़लिन इंस्टीट्यूट के पशु प्रजनन अनुसंधान स्टेशन में शामिल हुए. रोजलिन इंस्टीट्यूट में विल्मुट ने एक व्यस्क भेड़ से मेमने (Lamb) की क्लोनिंग की संभावना तलाशनी शुरू की और इसमें एक हद तक सफलता भी हासिल की. 1996 की शुरुआत में विल्मुट और उनकी टीम भ्रूण कोशिकाओं से मेमने पैदा करने में सफल रही. विज्ञान जगत में तब ऐसा पहली बार हुआ था जब व्यस्क कोशिका से क्लोन बनाया गया था. 1996 में इस दिशा में तब बड़ी सफलता मिली जब व्यस्क कोशिका से क्लोनिंग की गई और डॉली का जन्म हुआ. डॉली का जन्म 5 जुलाई 1996 को हुआ था और इसकी घोषणा फरवरी 1997 में की गई थी.
1999 में आर्डर ऑफ ब्रिटिश एम्पायर से हुए थे सम्मानित
वर्ष 1997 में विल्मुट को प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन की ओर से द्वारा पर्सन ऑफ द ईयर का उपविजेता भी चुना गया था.वर्ष 1999 में विल्मट को उनकी उपलब्धि के लिए ‘द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर’ से नवाजा गया. 2002 में उनको रॉयल कॉलेज ऑफ सर्जन्स का फेलो बनाया गया. 2008 में उन्हें नाइटहुड भी प्रदान किया गया था.