राकेश सिंह
साल 2011 में गर्ट जान ओस्कम का चीन में रहते हुए बाइक से बुरी तरह एक्सीडेंट हो गया था. इस भयावह दुर्घटना के बाद उनके कूल्हे के निचले हिस्सों ने काम करना बंद कर दिया था. जिसकी वजह से उनका चलना फिरना बिल्कुल मुश्किल हो गया था. हालांकि डिजिटल इम्प्लांट के बाद से वह फिर से चलने फिरने में सक्षम हो गए हैं.
साल 2011 में गर्ट जान ओस्कम का चीन में रहते हुए बाइक से बुरी तरह एक्सीडेंट हो गया था. इस भयावह दुर्घटना के बाद उनके कूल्हे के निचले हिस्सों ने काम करना बंद कर दिया था. जिसकी वजह से उनका चलना फिरना बिल्कुल मुश्किल हो गया था. हालांकि डिजिटल इम्प्लांट के बाद से वह फिर से चलने फिरने में सक्षम हो गए हैं. ओस्कम को एडवांस ब्रेन टेक्नोलॉजी की वजह से अपने पैरों को मूव करने में मदद मिल रही है.
नीदरलैंड के रहने वाले हैं ओस्कम:
गर्ट जान ओस्कम नीदरलैंड के लीडेन शहर से ताल्लुक रखते हैं. स्विट्जरलैंड में इकोले पॉलीटेक्निक फेडरेल डी लॉजेन के न्यूरोसाइंटिस्ट ने एक ‘वायरलेस डिजिटल ब्रिज’ बनाया है. इसके माध्यम से ब्रेन और रीढ़ की हड्डी के बीच खोए हुए कनेक्शन को फिर से बेहतर करने में मदद मिलती है.
यह डिजिटल ब्रिज एक ब्रेन-स्पाइन इंटरफेस है जो गर्ट जान ओस्कम को अपने पैरों को कंट्रोल करने में मदद प्रदान करता है. इसके माध्यम से वह खड़े होने, समतल सतह के साथ-साथ सीढ़ियां पर चढ़ने में सक्षम हो पाते हैं.
शोधकर्ताओं का दावा:
शोधकर्ताओं का दावा है कि, ‘रीढ़ की हड्डी की डिजिटल रिपेयर से ज्ञात होता है कि नए नर्व्स कनेक्शन बने हुए हैं.’ ईपीएफएल में न्यूरोसाइंस के प्रोफेसर ग्रेगोइरे कोर्टाइन के अनुसार, ‘हमने ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस तकनीक का उपयोग करके मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के बीच एक वायरलेस इंटरफेस बनाया है जो सोच को निर्देश में परिवर्तित करता है.’
(‘न्यूज़ 18 हिंदी’ के साभार )