संजय श्रीवास्तव
दुनिया में कई बीमारियां ऐसी हैं जिनके आगे अब तक मेडिकल साइंस भी लाचार है. इनका इलाज तलाशा नहीं जा सका है, अलबत्ता उन्हें कुछ हद तक धीमा और स्थिर करने का काम जरूर हुआ है.
यकीनन चिकित्सा विज्ञान की तरक्की के साथ दुनियाभर में तमाम बीमारियों पर काबू पाया गया है. तमाम महामारी बनने वाली बीमारियों को जड़ से खत्म किया जा चुका है. बहुत से गंभीर रोगों का इलाज मेडिकल साइंस के जरिए रोज होता है लेकिन दुनियाभर में कुछ बीमारियां ऐसी जरूर हैं, जिन पर लंबी रिसर्च के बाद भी अब तक मेडिकल साइंस लाचार रहा है. हालांकि साइंटिस्ट लगातार उनका इलाज खोजने पर लगे हैं. हो सकता है कि आने वाले सालों में हमें इन गंभीर बीमारियों से निपटने में साइंस कोई खुशखबरी दे.
कुछ बीमारियां ऐसी हैं कि, वो अगर हो गईं तो उन्हें पूरी तरह ठीक तो नहीं किया जा पाता लेकिन उनकी ग्रोथ को कुछ हद तक रोक दिया जाता है. कुछ बीमारियां ऐसी भी हैं, जो हो जाएं तो उसमें किसी को बचाना मुश्किल हो जाता है. कुछ ऐसे रोग हैं जो हो गए तो जिंदगीभर उन्हें ढोना होता है. ये स्थिति पीड़ादायक तो है लेकिन हम सभी फिलहाल उनके सामने लाचार हैं.
हम आपको ऐसे ही रोगों के बारे में बता रहे हैं, जिनमें कुछ सांस से संबंधित हैं तो कुछ त्वचा से तो कुछ शरीर के सिस्टम से भी. हालांकि इनमें कुछ रोग ऐसे भी हैं, जिन पर खानपान, एक्सरसाइज और दवाओं से किसी हद तक काबू तो हो जाता है लेकिन ये खत्म नहीं होते.
अस्थमा
सांस की नलियों में जलन, सिकुड़न या सूजन की स्थिति से ये रोग पैदा होता है. इसमें ज़्यादा बलगम बनता है, सांस लेने में कठिनाई होती है. दमा मामूली हो सकता है या इसके होने पर रोज़मर्रा के काम करने में समस्या आ सकती है. कुछ मामलों में इसकी वजह से जानलेवा दौरा भी पड़ सकता है.
दमा के कारण सांंस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द, खांसी और सांस लेने में घरघराहट की आवाज़ आने लगती है. इसके लक्षण कभी-कभी ज़्यादा गंभीर हो जाते हैं. इसका इलाज करने का कोई तरीका नहीं है. अस्थमा की संभावना को रोकने के तरीके जरूर हैं.
एड्रोनोकोर्टिकल कार्सिनोमा
ये कैंसर का ही एक रूप है, जो एडरीनल ग्रंथि में होता है. इसमें कोई निश्चित इलाज नहीं होता. आमतौर पर स्तन कैंसर, स्तन की वाहिकाओं (निप्पल तक दूध पहुँचाने वाली वाहिकाएं) और परलिकाएं (लोबस) (वाहिकाएं जो दूध बनाती हैं) में अनियंत्रित वृद्धि के कारण होता है. ये पुरुष और स्त्री दोनों को हो सकता है, हालांकि ये रोग पुरुषों को बिरले ही होता है. स्तन कैंसर कई प्रकार के होते हैं.
इसे ‘भूलने का रोग’ कहते हैं. इसका नाम अलोइस अल्जाइमर पर रखा गया है, जिन्होंने सबसे पहले इसका विवरण दिया. इस बीमारी के लक्षणों में याददाश्त की कमी होना, निर्णय न ले पाना और बोलने में दिक्कत आना है. रक्तचाप, मधुमेह, आधुनिक जीवनशैली के अलावा कई बार सर में चोट से भी इसके होने की आशंका रहती है. अमूमन 60 वर्ष की उम्र के आसपास होने वाली इस बीमारी का फिलहाल कोई स्थायी इलाज नहीं है. हालांकि बीमारी के शुरुआती दौर में नियमित जांच और इलाज से इस पर काबू पाया जा सकता है.
इसमें दिमाग की कोशिकाओं का एक-दूसरे से जुड़ाव और खुद कोशिकाओं के कमज़ोर और खत्म होने की वजह से याददाश्त और अन्य महत्वपूर्ण दिमागी काम करने की क्षमता नष्ट हो जाती है. याददाश्त कम होना और भ्रम इसके मुख्य लक्षण हैं.
एमियोट्रोफिक लैटरल स्लेरोसिस
भारत में हर साल इसके करीब 01 लाख मामले सामने आते हैं. कहा जा सकता है कि ये बीमारी कम लोगों में होती है. ये तंत्रिका तंत्र का रोग है, जो मांसपेशियों को कमज़ोर कर देता है और शरीर की क्रियाओं को बाधित करता है.
इस रोग में तंत्रिकाओं की कोशिकाएं टूट जाती हैं, जिसके कारण मांसपेशियों के काम करने की क्षमता कम हो जाती है. इसके होने का कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है. मांसपेशियों की कमज़ोरी प्रमुख लक्षण है. दवा और चिकित्सा एएलएस को धीमा और परेशानी को कम कर सकते हैं, लेकिन इसका कोई इलाज नहीं है.
गठिया
देश में ये बहुत सामान्य रोग है. इसे जड़ से दूर करने का इलाज नहीं है लेकिन इसमें कमी जरूर लाई जा सकती है. ये दरअसल हड्डियों के जोड़ों में सूजन के कारण होता है. इसमें दर्द और जकड़न की स्थितियां बनती हैं. उम्र के साथ बढ़ती हैं.
गठिया कई प्रकार का होता है. हर एक का कारण अलग अलग हो सकता है जैसे हड्डियों में घिसाव, संक्रमण, और कोई गंभीर रोग. दवाओं, फ़िज़ियोथेरेपी (व्यायाम से उपचार) या कभी-कभी ऑपरेशन से लक्षणों में कमी लाई जा सकती है और रोगी की हालत सुधारी जा सकती है.
सेरेब्रल एमाइलॉइड एंजियोपैथी
शरीर की रक्त वाहिकाओं में एक बीमारी है जिससे दिमाग की नसें फट सकती हैं. इसमें तेज सिरदर्द होते हैं. न्यूरोलॉजिकल गिरावट के कारण ये बीमारी 60 साल की उम्र या उसके बाद नजर आती है. ये संकेतों और लक्षणों की गंभीरता के आधार पर अलग होती है. लक्षण और लक्षण पहली बार दिखाई देने के एक दशक के भीतर अधिकांश प्रभावित लोगों के मृत्यु की आशंका रहती है. हालांकि बीमारी वाले कुछ लोग लंबे समय तक जीवित रहते हैं.
सर्दी जुकाम
सामान्य ज़ुकाम को नैसोफेरिंजाइटिस, राइनोफेरिंजाइटिस, अत्यधिक नज़ला या ज़ुकाम के नाम से भी जाना जाता है. यह ऊपरी श्वसन तंत्र में आसानी से फैलने वाला संक्रामक रोग है. नासिका को प्रभावित करता है. इससे खांसी, गले की खराश, नाक से स्राव और बुखार होता है. हालांकि ये सामान्य बीमारी है. इसके लक्षण आमतौर पर 07 से 10 दिनों के भीतर समाप्त हो जाते हैं. कभी कभी ये लंबे खींच जाते हैं और 02-03 हफ्ते तक रह जाते हैं. 200 से ज्यादा वायरस इस बीमारी की वजह बनते हैं. राइनोवायरस इसका सबसे आम कारण है.
सामान्य ज़ुकाम के लिए कोई इलाज नहीं है. इसके लक्षणों का इलाज किया जा सकता है. ये मनुष्यों में सबसे ज्यादा होने वाला संक्रामक रोग है. औसत वयस्क को हर साल 02-03 बार ज़ुकाम होता है. औसत बच्चे को प्रतिवर्ष 06 से 12 बार ज़ुकाम होता है. ये संक्रमण प्राचीन काल से मनुष्यों में होता आ रहा है.
क्रेुतज़ेल्डट-जेकोब बीमारी
ये बहुत ही दुर्लभ रोग है, जो देश में हर साल करीब 5000 लोगों को होता है. ये न्यूरो सिस्टम से जुड़ा रोग है. इसका कोई इलाज नहीं है लेकिन संक्रमित होने की संभावना को कम करने की कोशिश जरूर हुई है. ये खतरनाक भी है, इससे मृत्यु भी हो सकती है.
क्रियुट्सफ़ेल्ट-जेकब रोग अचानक हो सकता है, माता-पिता से मिल सकता है या प्रत्यारोपण के दौरान या दूषित मांस खाने से संक्रमित ऊतक के साथ संपर्क के माध्यम से हो सकता है. ऐसी अवस्था जिसमें आमतौर पर कुछ ही महीनों के अंदर व्यक्तित्व में बदलाव, अत्यधिक चिंता, अवसाद और याददाश्त खोना हो सकता है. कई लोग गहरी बेहोशी (कोमा) में चले जाते हैं. इसका कोई प्रभावी उपचार मौजूद नहीं है, इसलिए दर्द कम करने और अन्य लक्षणों से राहत दिलाने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है.
सिलिएक रोग
ऑटोइम्यून डिसऑर्डर और जीर्ण सूजन रोग है. सिलिएक रोग पेट और छोटी आंतों की सूजन का कारण बनता है. लगातार एक्सपोजर के बाद, आंतों में विली को कम किया जा सकता है जो आंतों की परत को कमजोर करता है. सीलिएक रोग गेहूं, जौ और राई जैसे अनाज में प्रोटीन समूह में ग्लूटेन होता है, लिहाजा सीलिएक रोग वाले व्यक्तियों को ग्लूटन का सेवन करना मना होता है.
डिस्मोप्लास्टिक लघु- कोशिका ट्यूमर
एक दुर्लभ कैंसर जिसका कोई मानकीकृत उपचार या इलाज नहीं है.
मधुमेह
मधुमेह एक सामान्य विकार है जो शरीर को इंसुलिन का उत्पादन और उपयोग करने की क्षमता को कम करता है. इसके लिए कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित करने में मदद करने के लिए प्रभावी उपचार जरूर है. हालांकि जीवनशैली में बदलाव और परहेज के साथ शारीरिक व्यायाम के साथ इसे नियंत्रित किया जा सकता है. अगर ये ज्यादा हुआ तो शरीर के सारे सिस्टम को प्रभावित करने लगता है.
इबोला वायरस
कोई इलाज उपलब्ध नहीं है. दो संभावित टीकों पर डब्लूएचओ मूल्यांकन कर रहा है.
ग्लियोब्लास्टोमा
सबसे घातक मानव मस्तिष्क ट्यूमर. वर्तमान में कोई उपचारात्मक उपचार उपलब्ध नहीं है.
हरपीज
हरपीज बहुत आम है और जननांग के दर्द और घावों से प्रभावित संक्रमण है. यह यौन संचरित बीमारी है.
एचआईवी / एड्स
एड्स के लिए कोई इलाज नहीं है, लेकिन दवाएं मौजूद हैं जो इसके लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं.
लोशेन प्लिनस
कलाई और टखनों पर खुजली वाली लाल-लाल रंग के घाव होने लगते है. कारण अज्ञात है, लेकिन यह एक प्रारंभिक ट्रिगर के साथ एक ऑटोइम्यून प्रक्रिया का परिणाम माना जाता है. कोई इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों को नियंत्रित करने के प्रयास में कई अलग-अलग दवाएं और प्रक्रियाएं उपयोग की गई हैं.
मारबर्ग वायरस
यह वायरस बहुत घातक है और इसमें कोई इलाज नहीं उपलब्ध है.
मल्टीपल स्केलेरोसिस
इसमें मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में तंत्रिका कोशिकाओं का इन्सुलेट कवर क्षतिग्रस्त हो जाता है. जिसके परिणामस्वरूप शारीरिक, मानसिक और कभी-कभी मानसिक समस्याओं सहित कई और लक्षण उत्पन्न होते हैं.
मैस्टेनिआ ग्रेविस
मांसपेशियों की कमज़ोरी जो उतार-चढ़ाव पर रहती है. परिश्रम से बिगड़ती है, और आराम से सुधार करती है. कोई ज्ञात इलाज नहीं है.
पार्किंसंस रोग
केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का एक विकार जो शरीर को प्रभावित करता है, इसमें अक्सर झटके शामिल होते हैं.
प्रोजेरिया
प्रोगेरिया का कोई इलाज नहीं है और बहुत ही कम मात्रा में उपचार होते हैं.
पोलियो
पोलियो को रोकने के लिए एक टीका है, लेकिन इसके लिए कोई ज्ञात इलाज नहीं है.
सोरायसिस
सोरायसिस एक ऑटो-इम्यून रोग है जो त्वचा को प्रभावित करता है. इसका इलाज और दवा के साथ कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन इसका कोई निश्चित इलाज नहीं है.
ऑस्टियोपोरोसिस
एक बीमारी जो आपके शरीर में हड्डियों को कमजोर करती है. यह बहुत आम है और कोई ज्ञात इलाज नहीं है.
रेबीज
रेबीज से तुरंत बचाव हो सकता है लेकिन अगर नहीं हो पाया तो कोई ईलाज नहीं.
स्कीज़ोफ्रेनिया
इस मानसिक रोग का कोई निश्चित इलाज नहीं है.
पार्श्वकुब्जता
रीढ़ की हड्डी का एक बग़ल में वक्रता
स्पिनोसेरबेलर अटेक्सिया
यह एक आनुवांशिक विकार है जो व्यक्ति को अपने तंत्रिका तंत्र का उपयोग करने की क्षमता को रोकता है.
रेस्पिरेटरी सिंड्रोम
सांस की बीमारी है जिसका कोई ईलाज नहीं है.
सिकल सेल एनीमिया
एक विकार जो लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने का कारण बनता है. यह बहुत दुर्लभ है और इसमें कोई इलाज नहीं है.
ट्राईजेमिनल न्युरोसिस
एक गंभीर दर्द की स्थिति जो 5 वीं कपाल तंत्रिका को प्रभावित करती है. इस बीमारी के लिए कोई सही इलाज नहीं है.
टोक्सोप्लाज्मोसिस
एक विषाणु रोग जो मांस और गंदी सब्जियों से फैलता है.
(‘न्यूज 18 हिन्दी’ से साभार )