आज 11 जुलाई है। विश्व जनसंख्या दिवस। विश्व की बढ़ती आबादी से उत्पन्न चुनौतियों को समझने एवं इसके समाधान की दिशा में सही, सार्थक प्रयास के लिए लोगों को जागरूक करने का खास दिन।
बढ़ती आबादी अपने साथ अनेक चुनौतियां लेकर आती है। वैसे आबादी नियंत्रण के लिए प्रयास जारी हैं। पर साथ ही वर्तमान आबादी की विसंगतियों को दूर कर बेहतर भविष्य की योजना का निर्माण भी अहम है। भारत अब चीन को पछाड़ दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन चुका है। कार्यशील युवा आबादी की बहुलता इसकी ताकत है। पर लैंगिक भेदभाव की समस्या एवं कौशल विकास अब भी भारत के लिए एक गंभीर चुनौती है। इससे उत्पन्न समस्याओं एवं चुनौतियों को ठीक ढंग से समझ कर ही उसके समाधान का मार्ग ढूंढा जा सकता है।
क्यों मनाया जाता है विश्व जनसंख्या दिवस?
विश्व जनसंख्या दिवस मानाने का उद्देश्य बढ़ती जनसंख्या के कारण पैदा हो रहे खतरे और इसे कंट्रोल करने के उपायों पर चर्चा करने और जागरूकता बढ़ाना है। दुनियाभर में हर साल 11 जुलाई को वर्ल्ड पॉपुलेशन डे मनाया जाता है। इस दिन को वैश्विक स्तर पर बढ़ती आबादी के मुद्दों का समाधान और इस चुनौती से निपटने के उपायों पर जागरूकता बढ़ाई जाती है। विश्व जनसंख्या दिवस को मानाने की शुरुआत साल 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा की गयी थी। तब से हर साल दुनियाभर में यह दिन मनाया जाता है।
विश्व जनसंख्या दिवस का इतिहास
यूनाइटेड नेशंस ऑर्गेनाइजेशन की ओर से साल 1989 में 11 जुलाई के दिन वर्ल्ड पॉपुलेशन डे का ऐलान किया गया था, जिसके बाद से हर साल इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है. 11 जुलाई, 1987 को विश्व की जनसंख्या 5 अरब तक पहुंच गई थी. जिसके बाद डॉ. केसी ज़कारिया ने इस दिन को मनाने का सुझाव दिया.
विश्व जनसंख्या दिवस 2023 की थीम
इस साल विश्व जनसंख्या दिवस की थीम है: लैंगिक समानता की शक्ति को उजागर करना: हमारी दुनिया की अनंत संभावनाओं को खोलने के लिए महिलाओं और लड़कियों की आवाज़ को ऊपर उठाना.
विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का महत्व
इस समय पूरे विश्व की आबादी 8 अरब से ज़्यादा है और इसकी वजह से पृथ्वी और पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है. पर्यावरण पर पड़ने वाले बुरे असर को रोकने और लोगों के स्वास्थ्य, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना इसका उद्देश्य है.
बढ़ती जनसंख्या के खतरे
तेजी से बढ़ रही जनसंख्या दुनियाभर में पर्यावरण समेत कई बड़े खतरे पैदा कर रही है। तेजी से बढ़ रही जनसंख्या के कारण लोगों की आय में गिरावट, भुखमरी के हालात और पर्यावरण से जुड़े बदलाव हो रहे हैं। इसकी वजह से कृषि योग्य जमीनों की कमी हो रही है, जिससे अनाज उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है। जनसंख्या वृद्धि के कारण चीजों की कीमतें भी तेजी से बढ़ रही हैं और आपूर्ति के अनुसार चीजों की सप्लाई नहीं हो पा रही है। आने वाले दिनों में इसकी वजह से कई गंभीर चुनौतियां पैदा हो सकती हैं।
विश्व की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश भारत बन चुका है। यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड की द स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट, 2023 के मुताबिक भारत की जनसंख्या कुल मिलाकर 1,42.86 करोड़ (1.428 अरब ) तक हो गयी है। इसकी वजह से आने वाले दिनों में भारत में भी कई संकट खड़े हो सकते हैं।