विकास शर्मा

समय के साथ डाक विभाग की भूमिका बदली हैं. लेकिन लोगों में जो डाक विभाग की चिट्ठियां पहुंचाने की जो छवि है वह बहुत ही सीमित रही थी. यही वजह है कि लोग चिट्ठियों के उपयोग लगभग खत्म होने पर डाक विभाग को खत्म होने का संकेत मानने लगते हैं. लेकिन कम लोग जानते हैं कि वास्तव में डाक विभाग का महत्व पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गया है.

समय के साथ डाक विभाग का महत्व धुंधला होता लगता हो, लेकिन ऐसा नहीं है. जब हमें पार्सल और सामान किसी पते पर भेजने की जरूरत होती है तो डाक विभाग ही हमारे काम आता है. दुनिया में पार्सल पहुंचाने के अलावा भुगतान, पैसे का हस्तांतरण और बचत आदि में डाक विभाग अपनी उपगयोगिता आज भी बनाए रखे हुए हैं. बदलते परिवेश में हर साल 9 अक्टूबर को यूनिवर्सिल पोस्टल यूनियन की ओर से मनाए जाने वाले विश्व डाक दिवस पर डाक विभाग और उसके तंत्र के महत्व और आज उसकी भूमिका को समझने की अधिक जरूरत है.

विश्व डाक विभाग का इतिहास
विश्व डाक दिवस हर साल 9 अक्टूबर को 1874 में स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की स्थापनी की सालगिरह पर मनाया जाता है. लेकिन इस दिन को विश्व डाक दिवस के तौर पर घोषित होने में बहुत समय लगा था. 1969 में जापान के टोक्यों में हुए पोस्टल यूनियन कांग्रेस ने इस दिन को विश्व डाक दिवस मनाने का ऐलान किया था, जिसके बाद से दुनिया भरे के देश इसे मनाते हैं.

सेवाएं देने में 1.5 अरब लोगों की भूमिका
दुनिया के कई देश इस अवसर पर नए पोस्टल उत्पाद और सेवाएं लॉन्च करते हैं. लेकिन यह दिन यह याद दिलाता है कि दुनिया में पोस्टल सेवाओं का महत्व पहले से अधिक हो गया है. आज पोस्टल ऑपरेटर दुनिया भर में 1.5 अरब लोगों के जरिए सेवा प्रदान करते हैं जिनमें मूल वित्तीय सेवाएं प्रमुख हैं.

बहुत विशाल नेटवर्क का फायदा
दुनिया भर में 53 लाख कर्मचारी डाक विभाग के 6.5 लाख दफ्तरों से जुड़े हुए हैं जो एक बहुत ही बड़ा सक्षम नेटवर्क है. इनके जरिए दुनिया के की देश अपनी कई योजनाओं को सफलता पूर्वक लागू कर पाते हैं तो वहीं 2015 में तय किए संधारणीय विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए  डाक विभाग के तंत्र का उपयोग करने का योजना बनाई जा रही है.

बढ़ रहा है ग्लोबल मार्केट
जहां साल ग्लोबल पार्सल मार्केट का 2023 में 466.87 अरब अमेरिकी डॉलर या उससे अधिक रहने का अनुमान है तो वहीं यह साल 2029 तक बढ़ कर 6.56 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है. इसकी वजह से पोस्टल विभागों के दुनिया में कहीं भी किसी को भी सेवाएं प्रदान करने की अद्वितीय क्षमता है.

क्या है इस साल की थीम
पोस्ट ऑफिस भले ही शहरों में बहुत ज्यादा प्रमुखता से सक्रिय ना दिखें लेकिन वे शहरों और गांवों हर जगह बहुत ही प्रमुखता से खड़े हैं. वे अब पैसे और संदेशों के अलावा तोहफे, दवाइयां और अन्य जरूरी सामान पहुंचाने में रीढ़ की तरह योगदान दे रहे हैं. इस साल संयुक्त राष्ट्र ने एक साथ विश्वास के लिए: एक सुरक्षित और जुड़े हुए भविष्य के लिए सहयोग की थीम रखी है.

क्यों रखी गई है ये थीम
इस थीम के जरिए संयुक्त राष्ट्र ने सरकारों और उनकी डाक सेवाओं से आग्रह किया है कि वे डिजिटल सिंगल पोस्टल इलाके के विकास में सहयोग करें जो कि दुनिया के तमाम देशों में विकसित हो चुके विस्तृत भौतिक नेटवर्क को सहयोग देने का काम करेगा. इसके अलावा सभी को यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन को सहयोग देने के मकसद से डिजिटल अर्थव्यस्था के लिए स्थानीय पोस्ट ऑफिस का अधिक से अधिक उपयोग करने की भी अपील की है.

साल 2022 की इंटीग्रेटेड इंडेक्स फॉर पोस्टल डिवेलपमेंट रिपोर्ट के मुताबिक 172 के  विशाल पोस्ट आंकड़े और सांख्यिकीय का संयोजन दुनिया भर में डाक विभाग की असमान स्थिति की तस्वीर पेश करता है. 172 में से अधिकांस देश निम्न या कम-मध्यम पोस्टल डेवलपमेंट समूह में आते रहैं जिससे जाहिर होता है कि अब भी डाक सेवाओं के विकास में कितना बड़ा अंतर है.

       (‘न्यूज़ 18 हिंदी’ के साभार )
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