अमित उपाध्याय

हर साल 28 सितंबर को ‘विश्व रेबीज दिवस’ मनाया जाता है. यह खास दिन लोगों को जानलेवा बीमारी रेबीज से बचने के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है. रेबीज कुत्ता, बिल्ली और बंदर के काटने से फैलने वाली बीमारी है. आज आपको बताएंगे कि रेबीज से लोग किस तरह बचाव किया जा सकता है.

रेबीज एक वायरल जूनोटिक डिजीज है, जो कुत्ता, बिल्ली और बंदर समेत कुछ जानवरों के काटने से इंसानों में फैलती है. करीब 99 प्रतिशत मामलों में रेबीज की बीमारी कुत्तों के काटने से फैलती है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में हर साल रेबीज की वजह से 59 हजार लोगों की मौत हो जाती है. इनमें 40 प्रतिशत 15 साल से कम उम्र के बच्चे होते हैं. चौंकाने वाली बात यह भी है कि रेबीज के 90 फीसदी से ज्यादा मामले एशिया और अफ्रीकी देशों से सामने आते हैं. रेबीज बेहद खतरनाक बीमारी है, जिसका संक्रमण व्यक्ति में फैल जाए, तो उसकी मौत हो सकती है. इसी महीने राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद में एक 14 साल के बच्चे की रेबीज से मौत हो गई थी. तब रेबीज को लेकर काफी चर्चाएं हुईं और लोगों ने एतहियात बरतना भी शुरू कर दिया. रेबीज के बारे में लोगों के बीच जानकारी का भी अभाव है.

लोगों को रेबीज से बचने के बारे में जागरूक करने के लिए हर साल वर्ल्ड रेबीज डे मनाया जाता है. पहली बार रेबीज दिवस मनाने की शुरुआत साल 2007 में हुई थी. इस खास दिन को सेलिब्रेट करने का उद्देश्य रेबीज से होने वाले खतरे और इससे बचने के बारे में जागरुकता फैलाना है. रेबीज की वैक्सीन बनाने वाले फ्रेंच केमिस्ट और माइक्रोबायोलॉजिस्ट लुई पाश्चर की मौत 28 सितंबर को 1895 हुई थी. उन्होंने सन 1885 में रेबीज की वैक्सीन बनाकर इस लाइलाज बीमारी से बचने का तरीका ढूंढा था. यही वजह है कि उनकी डेथ एनिवर्सरी को विश्व रेबीज दिवस के रूप में मनाया जाता है. रेबीज की बीमारी से बचने के लिए वैक्सीन उपलब्ध है. कुत्ते के काटने के बाद सही समय पर एंटी-रेबीज वैक्सीन लग जाए, तो रेबीज से बचा जा सकता है.

कैसे फैलता है रेबीज का वायरस?

दिल्ली के यमुना विहार स्थित हैरी पेट्स क्लीनिक एंड सर्जरी सेंटर के डॉ. हरअवतार सिंह के मुताबिक कुत्ता, बिल्ली और बंदर के काटने से रेबीज और अन्य जूनोटिक डिजीज हो सकती हैं. इन जानवरों की लार में रेबीज का वायरस होता है. जब कुत्ता किसी इंसान को काटता है, तो उसकी लार के जरिए रेबीज का वायरस इंसानों के खून में पहुंच जाता है और संक्रमण फैल जाता है. कुत्ते के खरोंचने भर से रेबीज की बीमारी हो सकती है. धिकतर लोग सोचते हैं कि पातलू कुत्तों के काटने से रैबीज का खतरा कम होता है लेकिन ऐसा नहीं है. डॉग बाइट को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से मिलकर एंटी रैबीज वैक्सीन लगवानी चाहिए. कुत्ता पालतू हो या आवारा, सभी कुत्तों के काटने से रेबीज फैल सकती है. बच्चों को कुत्तों से दूर रखना चाहिए.

डॉक्टर हरअवतार सिंह कहते हैं कि कुत्ता काटने के तुरंत बाद प्राइमरी ट्रीटमेंट लेना चाहिए. आप सबसे पहले कुत्ते के काटने वाली जगह को साबुन और पानी से लगातार 15 मिनट तक धोते रहें. कुत्ते की लार से निकला वायरस साबुन से खत्म हो सकता है. इसलिए फर्स्ट एड बेहद जरूरी है. अगर घाव ज्यादा हो, तो उस पर कोई क्रीम लगा सकते हैं. हालांकि फर्स्ट एड के बाद जितना जल्दी हो सके, डॉक्टर से मिलकर एंटी-रेबीज वैक्सीन लगवानी चाहिए. कुत्ते के काटने के 24 घंटे के अंदर एंटी रैबीज वेक्सीन की पहली डोज लगवानी चाहिए. वैक्सीन की दूसरी डोज तीसरे दिन, तीसरी डोज सातवें दिन, चौथी डोज 14वें दिन और पांचवी डोज 28वें दिन लगाई जाती है. एंटी रैबीज वैक्सीन की कुल 5 डोज लगाई जाती हैं.

     (‘न्यूज़ 18 हिंदी’ के साभार )

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