विकास शर्मा

विश्व हीमोफीलिया दिवस लोगों की सेहत के लिहाज से बहुत अहम दिवस है क्योंकि इसमें सही जानकारी कई लोगों की जान बचाना आसान हो सकता है. पैतृक रक्तस्राव के नाम से मशहूर हीमोफीलिया अनुवांशिक विकार में खून के बहाव ना रुक पाने की समस्या के उपचार के कई विकल्प है.

विश्व हीमोफीलिया फेडेरेशन विभिन्न समुदायों के सदस्यों, अपने सहयोगियों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के राष्ट्रीय सदस्यों को हर साल हीमोफीलिया नाम के विकार से पीड़ित लोगों के लिए काम करने के लिए प्रोत्साहित करने का काम करती है. फेडरेशन इसके लिए हर साल 17 अप्रैल को विश्व हीमोफीलिया दिवस  के मौके पर लोगो को इस विषय पर ऐसे बहुत सारे अवसर प्रदान करती है जिससे इस विकार से पीड़ितों की सुनी जा सके और ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने अभियान से जोड़ा जा सके. इसके लिए साल 2023 में ‘सभी के लिए पहुंच: वैश्विक मानक के तौर पर रक्तस्राव की रोकथाम’ पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.

क्या होता है यह विकार
हीमोफीलिया रक्त से जुड़ी एक खतरनाक अनुवांशिक विकार है जिसमें चोट लगने के बाद खून बहने लगता है तो बंद ही नहीं होता है यानि जो खून बहने पर शरीर की खून का थक्का बनाने की प्रक्रिया है वह होती है नहीं है  और खून बहता ही रहता है. इस वजह से यह स्थिति समय पर उपचार ना मिलने पर जानलेवा साबित हो जाती है.

कैसे चुना गया यह दिन
वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया के संस्थापक फ्रैंक केनेबल एड्स की बीमारी हो गई थी जो एक तरह के वायरस से पैदा होने वाला विकार है. इससे शरीर की प्रतिरोध क्षमता खत्म हो जाती है. लेकिन केनेबल को 1987 में एड्स संक्रमित खून देने के कारण हुआ था जिससे उनकी मौत हो गई थी. इसके दो साल बाद फ्रैंक के जन्म दिन 17 अप्रैल 1989 को विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाना शुरू किया गया और तभी से हर साल 17 अप्रैल को ही यह दिवस मनाया जाता है

सभी तक पहुंच पर जोर
इस साल वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया ने रक्तरिसाव के इस विकार के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए ‘सभी के लिए पहुंच: वैश्विक मानक के तौर पर रक्तस्राव की रोकथाम’ थीम तय की है. पिछले साल के विषय से आगे बढ़ते हुए, 2023 में समुदाय के लिए कदम उठाने के लिए एकजुट होने और सारकारों और स्थानीय नीतिनिर्माताओं से उपचार तक बेहतर पहुंच और देखभाल की पैरवी करते हुए रक्तरिसाव के विकार वाले सभी लोगों के लिए रक्तरिसाव की रोकधान और बेहतर नियंत्रण पर जोर देने की बात कही है.

एक अजीब सी बात
हीमोफीलिया एक अनुवांशिक विकार या पैतृक रक्तस्राव यानि का रोग है जो केवल पुरुषों में ही होता है, यह महिलाओं को होता तो नहीं है, लेकिन औरतें इसकी संवाहक यानि कैरियर हो सकती हैं. लेकिन उनके जरिए उनके बेटों को हो जाता है. यानि अगर पिता को यह रोग है, तो माता को नहीं होगा, लेकिन उसके जरिए उनके लड़के को ये रोग होगा, लेकिन पिता की लड़की को नहीं होगा पर लड़की की संतानों के साथ भी ऐसा ही होगा यानि उसके बेटों को तो होगा और उनकी बेटियां फिर कैरियर बन जाएंगी.

क्या है कारण
इस विकार की वजह एक रक्त प्रोटीन की कमी है, जिसे ‘क्लॉटिंग फैक्टर’ कहा जाता है. यह बहते हुए खून के थक्के जमाकर उसका बहने से रोक देता है यह विकार खून में थ्राम्बोप्लास्टिन नामक पदार्थ की कमी से हो जाता है. थ्राम्बोप्लास्टिक में ही खून को जल्दी से थक्का बनाने की क्षमता होती है. खून में इसके न होने से खून का बहना बंद नहीं होता है.

लाइलाज नहीं है विकार
इसे विकार कहें या रोग बीमारी इसके बारे में जागरूकता बहुत जरूरी और संवेदनशील भी है.
ऐसा नहीं है कि रोगियों में थक्का जमता ही नहीं है, बल्कि थक्का बहुत अधिक देर से बनता है और उससे पहले ही पीड़ित की स्थिति गंभीर हो जाती है. कई बार इसकी वजह से लीवर, किडनी, मांसपेशियों जैसे अंदरूनी अंगों से भी खून बहने लगता है. इसके इलाज के रूप में कई तरह की दवाएं और खून को बदलने जैसे बहुत सारे विकल्प हैं. इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को हेपेटाइटिस ए और बी का टीका लगावने से भी फायदा होता है.

साफ है कि इस विकार को लेकर जागरूकता का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि इससे बहुत सारे लोगों की जान बचाना संभव और आसान भी हो सकता है. हाल के कुछ सालों में जानकारी की पहुंच  सभी तक ना पहुंचने के दुनिया ने बहुत ज्यादा खामियाजा भुगता है. इसीलिए ‘वैश्विक मानक के तौर पर रक्तस्राव की रोकथाम’ को सभी तक पहुंचाने  पर जोर देते हुए इरादा ऐसे लोगों की बेहतर जीवन गुणवत्ता की खातिर मदद करने के लिए प्रोफायक्टिक उपचार सहित घरेलू उपचारों के तरीकों को लागू करना है.

     (‘न्यूज़ 18 हिंदी’ के साभार )

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