भारत का बहुप्रतिक्षित समुद्रयान अभियान अब जल्दी ही लॉन्च किया जा सकता है. जिस तेजी से इस पर काम हो रहा है उम्मीद की जा रही है कि यह अगले साल के शुरू में ही छोड़ दिया जाएगा. इस अभियान की सफलता की भारत के वैज्ञानिक और आर्थिक विकास की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी. इसे चेन्नई के भारतीय महासागर तकनीक संस्थान के वैज्ञानिक तैयार कर रहे हैं.

विज्ञान के मामले में भारत केवल अंतरिक्ष के क्षेत्र में ही आगे नहीं बढ़ रहा है. इसरो के चंद्रयान-3 की सफलता और आदित्य एल1 के बाद हाल ही में समुद्रयान की चर्चा बार बार हो रही है. इसे इसरो के चंद्रयान और आदित्य एल1 के बाद भारत का सबसे बड़ा अभियान बताया जा रहा है. हाल ही में भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरण रिजिजू ने इसके अभियान की तैयारियों का जायजा लिया और साथ ही कुछ नई जानकारियां भी साझा की. ये अभियान क्या है और इसको इतना अधिक महत्व क्यों दिया जा रहा है और आखिर भारत इसके जरिए क्या बड़ी उपलब्धि हासिल कर लेगा. ऐसे कई सवाल हैं जिन्हें जानना समझना जरूरी है.

क्या है समुद्र यान?
समुद्रयान अभियान या मत्स्य 6000 भारत का पहला मानवीय पनडुब्बी अभियान है, जिसके जरिए वैज्ञानिक 6000 मीटर गहरे समुद्र में जाकर विशेष उपकरणों और सेंसर्स के जरिए वहां की स्थितियों और प्रक्रियाओं का अध्ययन करेंगे. यह अभियान इसलिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके जरिए समुद्र के उस क्षेत्र का अध्ययन किया जा सकेगा जिसके बारे में दुनिया को बहुत ही कम जानकारी है और अभी तक केवल कुछ ही देशों में ऐसा कर पाने की क्षमता है.

क्या है समुद्रयान का लक्ष्य?
समुद्रयान का लक्ष्य बहुत ज्यादा गहरे समुद्र में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध खनिज पदार्थ जैसे पॉलीमैटालिक नॉड्यूल्स, कोबार्ड समृद्ध मैंगनीज पर्पटी और हाइड्रोथर्मल निक्षेपों की पड़ताल करने का है. इनमें से पॉलीमैटालिक नॉड्यूल्स कॉपर, कोबाल्ट, निकल, और मैंगनीज जैसे बहुत ही कीमती  धातुएं हैं.

कौन तैयार कर रहा है इसे?
यह उच्च सतर का बहुल विभागीय कार्यक्रम वाला अभियान भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत भारतीय महासागर तकनीक संस्थान एनआईओटी चेन्नई में बंगाल की खाड़ी में काम करने लिए तैयार कर रहा है.

कब होगा इसका पहला परीक्षण?
इस अभियान के अगले साल यानि साल 2024 की शुरुआत में ही काम करने की उम्मीद की जा रही है. एनआईओटी के वैज्ञानिकों की टीम इसके डिजाइन पर इन दिनों खास तौर पर काम कर रही है. फिलहाल इस पर अधिक जानकारी नहीं है कि यह कितने दिन तक काम करेगा और कितनी बार गहरे समुद्र में उतरेगा.

क्या गहरे पानी की दबाव झेल सकेगा ये?
यह दूर से संचालित किया जा सकने वाला गोलाकार यान  2.1 मीटर व्यास का है. यह 600 बार का दबाव झेल सकता है जो कि समुद्र तल के वायुमंडलीय दाब की तुलना में 600 गुना है. इसे झेलने के लिए यान की परत को 80मीमी मोटी टाइटेनियम मिश्र धातु से बनाया गया है. 12 घंटे के लिए लगातार काम करने के लिए तैयार किया गया है कि लेकिन आपातकालीन स्थितियों में यह 96 घंटे तक काम कर सकता है.

क्या फायदा होगा इस अभियान से?
यह अभियान भारत की  बड़े अभियान डीप ओसीन मिशन का हिस्सा है जो ब्लू इकोनॉमिक पॉलिसी के अनुकूल बना है. इस नीति का लक्ष्य महासागरों और समुद्रों के संसाधनों की सदुपयोग करना है जिससे देश के संधारणीय विकास, बेहतर जीवन यान, नौकरी के निर्माण, महासागर के पारिस्थतिकी तंत्र की सेहत आदि में सहयोग मिल सकेगा.

यान के प्रमुख हिस्से
इस अभियान में तीन समुद्रयात्री सवार होंगे. समुद्रयान के तीन प्रमुख हिस्से होंगे. इसमें ऑटोनोमस कोरिंग सिस्टम, ऑटोनोमस अंडर वाटर व्हीकल, और डीप सी माइनिंग सिस्टम के अलावा कई और उपकरण भी काम करेंगे. इन उपकरणों के काम करते समय इस बात का खास ध्यान रखा जाएगा कि इससे गहरे पानी के पारिस्थितिकी तंत्र में किसी तरह का दखल ना हो.

क्या देरी हो गई है इसमें?
लेकिन यह अभियान पांच साल के लिए बनाया गया है. पहले इसकी कार्यावधि 2020-21 से लेकर 2025-26 तक था, लेकिन कोविड और अन्य चुनौतियों के कारण यह टलता लगा है. लेकिन हाल के समय में इसके कार्य में तेजी देखने को मिल रही है और वैज्ञानिक अब इसे अगले साल के शुरू में ही इसे चालू करना चाहते हैं.

     (‘न्यूज़ 18 हिंदी’ के साभार )

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