संजय श्रीवास्तव
क्या आपको मालूम है कि बचपन के लेकर बुढ़ापे तक हमारे शरीर में भौगोलिक तौर पर बहुत से बदलाव आते हैं लेकिन चेहरे की कुछ चीजें कभी नहीं बदलतीं. वैसी ही हमेशा बनी रहती हैं. बचपन से बुढ़ापे तक हमारे चेहरे में कुछ खासियतें होती हैं, जो सामान्य रूप से बहुत कम बदलती हैं. यही हमारे चेहरे की मूल पहचान भी बन जाती हैं. ये करीब एक जैसी ही रहती हैं.
यूं तो मानव चेहरा और शरीर उम्र के साथ कुछ ना कुछ बदलता रहता है. लेकिन इस चेहरे में कुछ ऐसी बातें होती हैं जो बचपन में भी वैसी ही होती हैं और बुढापे में भी. आइए जानते हैं कि वो चीजें क्या हैं जो चेहरे पर कभी नहीं बदलतीं
आंखों की बनावट
आँखों का आकार, उनकी स्थिति और पुतलियों का रंग आमतौर पर जीवनभर स्थिर रहता है. बेशक उम्र के साथ आंखों के आसपास की त्वचा में झुर्रियां या ढीलापन आ सकता है, लेकिन आंखों की मूल संरचना में बदलाव नहीं होता. आंखों का रंग मुख्य रूप से आनुवंशिक कारकों द्वारा तय होता है. यह माता-पिता से मिले जीन, विशेष रूप से OCA2 और HERC2 जैसे जीन द्वारा नियंत्रित होता है.ये जीन मेलेनिन की मात्रा और प्रकार को नियंत्रित करते हैं, जो आंखों की पुतली (iris) में मौजूद होता है. मेलेनिन एक रंगद्रव्य यानि पिगमेंट है जो आंखों के रंग को तय करता है. ज्यादा मेलेनिन होने पर आंखें भूरी या काली दिखती हैं, कम मेलेनिन होने पर नीली या हरी. मेलेनिन की ये मात्रा जन्म के समय या बचपन के शुरुआती वर्षों में स्थिर हो जाती है.
कान की संरचना
कान की हड्डी और उपास्थि (cartilage) की बनावट भी ज्यादातर स्थिर रहती है. हालांकि उम्र के साथ कान का आकार थोड़ा बढ़ सकता है, लेकिन उनकी मूल आकृति में ज्यादा बदलाव नहीं होता.
चेहरे की हड्डियों की संरचना
चेहरे की हड्डियों (जैसे जबड़े, गाल की हड्डियाँ, और माथे की संरचना) की मूल बनावट जीवनभर लगभग एक जैसी रहती है. उम्र के साथ त्वचा और मांसपेशियों में बदलाव के कारण चेहरा अलग दिख सकता है, लेकिन हड्डियों की संरचना स्थिर रहती है.
जन्म के निशान या तिल
यदि चेहरे पर कोई जन्म का निशान या स्थायी तिल है, तो ये आमतौर पर जीवनभर एक जैसे रहते हैं, बशर्ते कोई चिकित्सकीय हस्तक्षेप न हो. हालांकि कुछ फीके पड़ सकते हैं.
नाक का आकार
नाक उम्र के साथ थोड़ी लटक सकती है या आकार बदल सकता है, लेकिन इसकी मूल संरचना (जैसे चौड़ाई, नोक का आकार) वही रहती है. इन विशेषताओं का उपयोग अक्सर बायोमेट्रिक पहचान में किया जाता है, क्योंकि ये समय के साथ स्थिर रहती हैं.
चेहरे की हड्डियों पर रिसर्च क्या कहती है
चेहरे की हड्डियां किशोरावस्था (13-18 वर्ष) तक विकसित होती हैं. करीब 18-25 वर्ष की उम्र तक स्थिर हो जाती हैं. इसके बाद हड्डियों की संरचना में कोई बड़ा बदलाव नहीं होता, सिवाय उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों के घनत्व (bone density) में कमी के. Journal of Anatomy (2008) में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि चेहरे की हड्डियों की संरचना आनुवंशिक बातों पर निर्भर करती है. ये जीवनभर अपेक्षाकृत स्थिर रहती है, जो चेहरा पहचान के लिए मायने रखती है.
आंखों पर क्या हुआ रिसर्च
नेचर जेनेटिक्स में वर्ष 2008 में प्रकाशित शोध के अनुसार, आंखों का रंग OCA2 और HERC2 जीन द्वारा नियंत्रित होता है, जो मेलेनिन की मात्रा को तय करते हैं लेकिन ये मेलेनिन 3-6 वर्ष की उम्र तक स्थिर हो जाता है. वहीं एक और रिसर्च कहती है कि आंख की पुतली की (आइरिस पैटर्न) की जटिलता और विशिष्टता इसे बॉयोमैट्रिक पहचान के लिए सबसे विश्वसनीय बनाती है. आइरिस स्कैनिंग का उपयोग हवाई अड्डों, आधार कार्ड, और अन्य सुरक्षा प्रणालियों में होता है, क्योंकि यह जीवनभर स्थिर और अद्वितीय होता है.
चेहरे को लेकर क्या कहते हैं शोध
Proceedings of the National Academy of Sciences (2010) में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि चेहरे की कुछ विशेषताएं जैसे आंखों की स्थिति, नाक और मुंह के बीच की दूरी और चीकबोन्स का आकार आनुवंशिक तौर पर तय हो जाते हैं. फिर ये उम्र बढ़ने के बावजूद स्थिर रहते हैं. उम्र बढ़ने के साथ त्वचा की लोच, चर्बी और मांसपेशियों की टोन में बदलाव होता है, जिससे चेहरा अलग दिख सकता है, लेकिन मूल ज्यामितीय संरचना नहीं बदलती.
जर्नल ऑफ फोरेंसिक साइंसेज (2015) में एक अध्ययन में यह दिखाया गया कि फोरेंसिक चेहरा पहचान में इन स्थिर विशेषताओं का उपयोग लंबे समय तक गायब लोगों की पहचान के लिए किया जा सकता है. चेहरा पहचान तकनीक में इन स्थिर विशेषताओं का उपयोग सुरक्षा और निगरानी प्रणालियों में होता है.
प्लास्टिक एंड रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी (Plastic and Reconstructive Surgery) जर्नल में 2012 में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि उम्र बढ़ने के साथ त्वचा में झुर्रियाँ, ढीलापन और चर्बी जरूर घटती है लेकिन चेहरे की हड्डियों की संरचना और आंखों की स्थिति जैसी विशेषताएं बिल्कुल वैसी ही बनी रहती हैं.
(‘न्यूज़ 18 हिंदी’ से साभार )