प्रिया गौतम
दौड़-दौड़ कर घरेलू काम करने, कई-कई किलोमीटर पैदल चलने को अगर आप बोझ, तनाव और परेशानी मानते हैं तो अब से ऐसा सोचना भी बंद कर दीजिए. आपको शायद पता भी नहीं है कि रोजाना की यही जीतोड़ मेहनत आपको तमाम तरह के खतरनाक कैंसरों से बचा रही है. ऐसा हम नहीं कह रहे हाल ही में 85000 लोगों पर की गई रिसर्च कह रही है और उसकी पुष्टि एम्स दिल्ली के सीनियर ऑन्कोलॉजिस्ट कर रहे हैं.
रिसर्च बताती है कि जो लोग रोजाना हल्की, मध्यम और जोरदार वाली शारीरिक गतिविधियों में जुटे रहते हैं उनमें कैंसर का खतरा उन लोगों के मुकाबले कम होता है जो सुस्त या बैठे रहते हैं. ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में छपी यह रिसर्च कहती है कि रोजाना छोटे-मोटे काम या घरेलू काम करने वालों में 13 प्रकार के कैंसर की संभावना कम देखी गई है.
महिलाओं में कैंसर का 50 फीसदी रिस्क कम
यूके में हुई इस रिसर्च की पुष्टि एम्स के डॉक्टर भी कर रहे हैं. उनका कहना है कि शारीरिक गतिविधियों से कैंसर होगा ही नहीं, ऐसा नहीं है लेकिन कैंसर खतरा 50 फीसदी तक टल सकता है.
एम्स नई दिल्ली डॉ.बीआरएआईआरसीएच में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अभिषेक शंकर कहते हैं कि शारीरिक गतिविधियां न केवल कैंसर के रिस्क को कम कर सकती हैं बल्कि यह कैंसर मरीजों के लिए भी फायदेमंद हैं और इस बीमारी की पुनरावृत्ति को भी रोकती हैं. भारतीय महामारी विज्ञान के आंकड़े बताते हैं कि जो भारतीय महिलाएं रोजाना 5-6 घंटे जोरदार तरीके से घरेलू कामों में जुटी रहती हैं उनमें ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना उन महिलाओं के मुकाबले 50 फीसदी कम होती है जो 3 घंटे से भी कम समय तक फिजिकल एक्टिविटीज करती हैं.
शहरी महिलाओं में भी मध्यम या उच्च स्तर की फिजिकल एक्टिविटीज करने के बाद कैंसर के रिस्क में करीब 19 फीसदी की कमी देखी गई है.सबूत बताते हैं कि हाई लेवल की शारीरिक गतिविधियां बेहद खतरनाक ब्रेस्ट, लंग, कोलन, गैस्ट्रिक और लिवर कैंसर आदि के खतरे को कम करने में जबर्दस्त भूमिका निभाती हैं. ये आंकड़े इस बात पर जोर देते हैं कि पैदल चलना, घरेलू काम करना, सक्रिय आवागमन और मनोरंजक गतिविधियों को बढ़ाने को राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम रणनीतियों में प्राथमिकता देनी चाहिए.

कैंसर मरीजों को भी बड़ा फायदा
रिसर्च बताती है कि 13 तरह के कैंसर से पीड़ित 2633 मरीजों का करीब 5.8 साल तक फॉलोअप करने के बाद देखा गया कि जिन लोगों ने रोजाना कुछ न कुछ शारीरिक मेहनत की उनमें दोबारा कैंसर होने का खतरा उन मरीजों के मुकाबले 26 फीसदी कम था, जिन्होंने इस अवधि में बहुत कम शारीरिक गतिविधियां या काम किया.
       (‘न्यूज़ 18 हिंदी’ से साभार )
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