विकास

विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस प्रतिवर्ष 7 जून को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य सुरक्षित और पोषणयुक्त भोजन के महत्व के प्रति वैश्विक जागरूकता फैलाना है, ताकि लोगों का स्वास्थ्य बेहतर हो और अर्थव्यवस्थाएँ अधिक मजबूत बन सकें।  2025 में इस दिवस की थीम है — “Food Safety: Science in Action” (खाद्य सुरक्षा: क्रियाशील विज्ञान)। यह विषय इस बात पर केंद्रित है कि विज्ञान, नवाचार और डेटा किस प्रकार से खाद्य जनित रोगों के खतरों को कम कर सकते हैं। आज भी लाखों लोग असुरक्षित भोजन से पीड़ित हैं, इसलिए यह दिन ‘फार्म से फोर्क’ (खेत से थाली तक) के हर चरण में सामूहिक जिम्मेदारी की याद दिलाता है।

समाचार में क्यों?
विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस 2025 को 7 जून को दुनिया भर में “Food Safety: Science in Action” विषय के अंतर्गत मनाया जा रहा है। यह दिवस खाद्य संदूषण और बीमारियों की रोकथाम में विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। भारत में जहाँ स्ट्रीट फूड और अनौपचारिक क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा बड़ी चुनौती है, वहाँ यह दिन और भी महत्वपूर्ण बन जाता है। हालिया चिंताओं में खाद्य मिलावट में वृद्धि और खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की कमी प्रमुख हैं, जिससे निगरानी कमजोर हुई है।

उद्देश्य
खाद्य सुरक्षा जोखिमों और उनके प्रबंधन के प्रति जागरूकता बढ़ाना।

उत्पादन से उपभोग तक सुरक्षित भोजन प्रबंधन को प्रोत्साहन देना।

वैज्ञानिक नवाचार और नियम-कानूनों में निवेश को बढ़ावा देना।

खाद्य सुरक्षा को उत्पादकों, उपभोक्ताओं और नियामकों की साझा जिम्मेदारी के रूप में प्रस्तुत करना।

इतिहास और पृष्ठभूमि
दिसंबर 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा घोषित।

पहली बार 7 जून 2019 को विश्व स्तर पर मनाया गया।

इसकी पहल FAO (खाद्य और कृषि संगठन) और WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) ने की थी।

इसका उद्देश्य खाद्य जनित बीमारियों के उस बोझ को उजागर करना है जिससे प्रत्येक वर्ष 60 करोड़ लोग प्रभावित होते हैं।

थीम 2025: खाद्य सुरक्षा: क्रियाशील विज्ञान
डेटा-आधारित निर्णय, जोखिम मूल्यांकन और नवाचार पर ज़ोर।

AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता), IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स), और जीनोमिक निगरानी जैसी तकनीकों के उपयोग को प्रोत्साहन।

बढ़ती वैश्विक खाद्य मांगों के बीच लचीली खाद्य सुरक्षा प्रणाली तैयार करना।

भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियाँ
भारत में भोजन की विविधता बहुत है, लेकिन सुरक्षा संबंधी समस्याएँ भी उतनी ही व्यापक हैं:

खाद्य मिलावट: 2012 में 15% से बढ़कर 2019 में 28%।

38% भारतीय परिवारों ने पिछले तीन वर्षों में दूषित पैकेज्ड खाद्य खरीदे।

सिर्फ 2,574 खाद्य सुरक्षा अधिकारी, जो ज़रूरत के सिर्फ 15% हैं।

250 अधिकृत जांच प्रयोगशालाएँ, जो अधिकांशतः समृद्ध राज्यों में स्थित हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में अभाव।

भंडारण और परिवहन में समस्याएँ (जैसे तापमान नियंत्रण और पैकेजिंग) खाद्य संदूषण बढ़ाती हैं।

महत्व और आह्वान
खाद्य सुरक्षा का सीधा संबंध बेहतर स्वास्थ्य, मज़बूत अर्थव्यवस्था और लंबी आयु से है।

यह संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) से जुड़ा है:

लक्ष्य 2 – शून्य भूखमरी

लक्ष्य 3 – अच्छा स्वास्थ्य

लक्ष्य 12 – जिम्मेदार उपभोग और उत्पादन

सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा:

खाना पकाने से पहले हाथ धोना

खाद्य उत्पादों की समाप्ति तिथि देखना

असुरक्षित खाद्य विक्रेताओं की रिपोर्ट करना

सख्त खाद्य कानूनों की माँग करना

कैसे मनाया जाता है यह दिन?

सरकारें, विद्यालय, एनजीओ, और खाद्य उद्योग कार्यशालाओं, जागरूकता अभियानों और जन-संपर्क कार्यक्रमों के ज़रिए इस दिवस को मनाते हैं।

       (‘अड्डा 24 7’ से साभार )

Spread the information