राजू सजवान
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने भी 15 जनवरी 2025 को आधिकारिक घोषणा करते हुए कहा है कि साल 2024 भारत के लिए भी अब तक का सबसे गर्म साल साबित हुआ है। आईएमडी की 2024 की सालाना रिपोर्ट एनुअल क्लाइमेट समरी में यह जानकारी दी गई है।
अब तक विश्व मौसम संगठन के साथ-साथ ज्यादातर वैश्विक संगठन साल 2024 को वैश्विक स्तर पर सबसे गर्म साल घोषित कर चुके हैं। आईएमडी में रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2024 के दौरान वार्षिक औसत भूमि सतह वायु तापमान दीर्घकालिक औसत (1991-2020 अवधि) की तुलना में +0.65 डिग्री सेल्सियस अधिक था। यह 1901 में देशव्यापी रिकॉर्ड शुरू होने के बाद का सबसे गर्म वर्ष था, जिसने 2016 में रिकॉर्ड किए गए पहले के सबसे उच्च तापमान (+0.54 डिग्री सेल्सियस) को पार कर लिया।
संपूर्ण भारत का औसत तापमान सामान्य से ऊपर था, जिसमें सर्दी (जनवरी-फरवरी) में +0.37 डिग्री सेल्सियस, मानसून पूर्व (मार्च-मई) में +0.56 डिग्री सेल्सियस, दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून-सितंबर) में +0.71 डिग्री सेल्सियस और मानसून बाद (अक्टूबर-दिसंबर) के मौसम में +0.83 डिग्री सेल्सियस की विसंगतियां रिकॉर्ड की गईं।
पूर्वी तट के अधिकांश हिस्सों में अप्रैल में गर्म हवाएं यानी हीटवेव की स्थिति देखी गई, जबकि मई में उत्तर-पश्चिम भारत के अधिकांश हिस्सों और जून में उत्तर व मध्य भारत के अधिकांश हिस्सों में देखी गई। देश के अधिकतर भागों में अधिकतम, न्यूनतम, और औसत तापमान की विसंगतियां -1.0 डिग्री सेल्सियस से +1.0 डिग्री सेल्सियस की श्रेणी में रहीं।
अब तक के 5 सबसे गर्म वर्ष थे:
- 2024 (+0.65 डिग्री सेल्सियस),
- 2016 (+0.54 डिग्री सेल्सियस),
- 2009 (+0.40 डिग्री सेल्सियस),
- 2010 (+0.39 डिग्री सेल्सियस),
- और 2017 (+0.38 डिग्री सेल्सियस)।
मार्च को छोड़कर सभी महीने रहे गर्म
रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2024 के दौरान देशभर में मासिक औसत तापमान सभी महीनों में सामान्य से अधिक रहा, केवल मार्च को छोड़कर (जो सामान्य के करीब था, जिसमें विसंगति +0.22 डिग्री सेल्सियस रही)।
अक्टूबर में मासिक औसत तापमान अब तक का सबसे अधिक दर्ज किया गया (जिसमें विसंगति +1.23 डिग्री सेल्सियस रही), और जुलाई एवं सितंबर के दौरान दूसरा सबसे अधिक (विसंगतियां क्रमशः +0.70 डिग्री सेल्सियस और +0.76 डिग्री सेल्सियस) रहा, जो 1901 से अब तक दर्ज किया गया है।
इसके अलावा, नवंबर का औसत तापमान 1901 के बाद तीसरा सबसे अधिक रहा, जो सामान्य से 0.84 डिग्री सेल्सियस अधिक था, जबकि मई और अगस्त का औसत तापमान चौथे स्थान पर (विसंगतियाँ क्रमशः +0.69 डिग्री सेल्सियस और +0.45 डिग्री सेल्सियस) रहा। साल 2024 में नवंबर का मासिक अधिकतम तापमान देशभर में 1901 के बाद दूसरा सबसे अधिक दर्ज किया गया।
जून के दौरान, उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में अधिकतम तापमान की विसंगति 4 डिग्री सेल्सियस से अधिक थी, जबकि उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के कुछ हिस्सों में अधिकतम तापमान की विसंगति 3 डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज की गई। वहीं, तेलंगाना, तटीय आंध्र प्रदेश और यनम, रायलसीमा, उत्तरी आंतरिक कर्नाटक, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक के अत्यधिक उत्तरी हिस्से, तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल के कुछ हिस्सों में अधिकतम तापमान की विसंगति -1 डिग्री सेल्सियस से कम रही।
न्यूनतम तापमान में भी वृद्धि
साल 2024 में पूरे देश के औसत मासिक न्यूनतम तापमान जुलाई, अगस्त, सितंबर, और अक्टूबर के दौरान सबसे अधिक दर्ज किए गए। ये तापमान विसंगतियां क्रमशः +0.89 डिग्री सेल्सियस, +0.59 डिग्री सेल्सियस, +0.99 डिग्री सेल्सियस और +1.78 डिग्री सेल्सियस रहीं, जो 1901 के बाद से अब तक के सबसे अधिक थीं। इसके अलावा, फरवरी का औसत न्यूनतम तापमान 1901 के बाद दूसरा सबसे अधिक दर्ज किया गया, जिसमें तापमान विसंगति +0.79 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड की गई।
चार चक्रवातीय तूफान आए
2024 में उत्तर हिंद महासागर के ऊपर चार चक्रवातीय तूफान बने। इनमें से दो गंभीर चक्रवातीय तूफान (रेमल और डाना) और दो चक्रवातीय तूफान थे। इन चार चक्रवातों में से तीन अरब सागर के ऊपर बने (जो बंगाल की खाड़ी से उत्पन्न हुए थे)। इन चक्रवातों में, रेमल पूर्व-मानसून (24-28 मई) में बना, असना मानसून के दौरान (25 अगस्त से 2 सितंबर), और डाना (22-26 अक्टूबर) तथा फेंगल (25 नवंबर से 2 दिसंबर) बाद-मानसून के दौरान बने। इन चक्रवातों के अलावा, देश के विभिन्न हिस्सों में अत्यधिक भारी वर्षा, बाढ़, भूस्खलन, बिजली गिरना, तूफान, सूखा और अन्य चरम मौसम की घटनाएँ भी अनुभव की गईं।
(‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )