ललित मौर्या
वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे हर साल 28 जुलाई को मनाया जाता है. इसका उद्देश्य लिवर से जुड़े हेपेटाइटिस इंफेक्शन के बारे में जागरुकता फैलाना है. 2025 की थीम है “चलो इसे तोड़ दें”.

दुनियाभर में हर साल 28 जुलाई को वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे मनाया जाता है. इसका उद्देश्य लिवर से जुड़े हेपेटाइटिस इंफेक्शन के बारे में जागरुकता पैदा करना है. वैसे तो हेपेटाइटिस कई तरह का होता है लेकिन, लिवर के लिए बेहद खतरनाक है. जी हां, लिवर हमारे शरीर के सबसे जरूरी अंगों में से एक है. यह शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स को बाहर निकाले में अहम भूमिका निभाता है. लिवर में किसी तरह की परेशानी हो जाए, तो इससे पूरा सिस्टम बिगड़ जाता है. वर्तमान में लिवर से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं और बड़ी संख्या में युवा इसकी चपेट में आ रहे हैं. अनहेल्दी खानपान और खराब लाइफस्टाइल के चलते कई लोग हेपेटाइटिस जैसी गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं.
इस बीमारी में लिवर सूज जाता है और खाना पचाने में भी दिक्कत होने लगती है. यानी हेपेटाइटिस लिवर का सत्यानाश कर सकता है. ऐसे में, जरूरी है कि समय रहते इसके लक्षणों को पहचानकर इलाज कराएं. अब सवाल है कि आखिर हेपेटाइटिस क्या है? वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे का महत्व क्या है? हेपेटाइटिस के लक्षण और कैसे करें बचाव? इस साल 2025 में वर्ल्ड हेपेटाइटिस की थीम क्या है? इस बारे में बता रहे हैं गार्गी हॉस्पिटल गाजियाबाद के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. प्रखर गर्ग-

वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे 2025 की थीम
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से हर साल वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे के लिए अलग थीम रखी जाती है. इस बार की थीम है चलो इसे तोड़ दें, यानी इसे खत्म कर दें. यानी हेपेटाइटिस की इस बीमारी को साल 2030 तक खत्म करने का लक्ष्य तय किया गया है.
हेपेटाइटिस क्या है?
एक्सपर्ट के मुताबिक, हेपेटाइटिस कई तरह के होते हैं, जिसमें हेपेटाइटिस बी सबसे ज्यादा खतरनाक होता है. इसके चलते सबसे पहले लिवर में सूजन आती है, जिसके कारण सेल्स को नुकसान पहुंचता है. इसके बाद धीरे-धीरे यह बीमारी शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करना शुरू कर देती है. सही समय पर पहचान के बाद इलाज न लेने के कारण इंसान की जान भी जा सकती है.
वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे क्यों मनाया है?
वैज्ञानिक और नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ बारूक ब्लमबर्ग (Baruch Samuel Blumberg) के जन्मदिन के मौके पर 28 जुलाई के दिन का दिन वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे के तौर पर मनाया जाता है. हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) की खोज और हेप-बी वायरस के इलाज के लिए डायग्नोस्टिक टेस्ट और वैक्सीन का विकास करने वाले यह पहले शख्स थे. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की ओर से वर्ल्ड वाइड हेपेटाइटिस फ्री मिशन के साथ इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई थी और साल 2008 में पहली बार वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे सेलिब्रेट किया गया था.
हेपेटाइटिस का किन्हें रिस्क अधिक?
- बहुत ज्यादा शराब पीने वाले मरीजों को.
- अनसेफ फिजिकल रिलेशनशिप बनाने से.
- ड्रग्स का सेवन करना.
- लॉन्ग टर्म प्रॉब्लम्स जैसे किडनी डिजीज, कोई अन्य लिवर डिजीज और कोई इम्यूनिटी बेस्ड डिजीज से भी इसके चांस बढ़ते हैं.
- हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि यह बीमारी खून, पसीने और थूक से किसी दूसरे को भी संक्रमित कर सकती है.

- थकान और कमजोरी
- मतली और उल्टी
- त्वचा और आंखों का पीला पड़ना
- पेट में दर्द
- गहरे पीले रंग का पेशाब आना
- भूख न लगना
- जोड़ों का दर्द
- बुखार
- वजन कम होना
- आंखों का पीला होना
हेपेटाइटिस से बचाव के उपाय
- साफ और उब्ला हुआ पानी पिएं.
- बाहर का खाना कम से कम खाएं.
- दूषित पानी को पीने या नहाने से बचें.
- पर्सनल चीजें जैसे ब्रश और टॉवल किसी से शेयर न करें.
(‘न्यूज़ 18 हिंदी’ से साभार )
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