पेडों  पर हुए अध्ययन से चौंकाने वाली बात सामने आई है कि जितनी उम्मीद होती है वे जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से लड़ने में उतने कारगर नहीं हैं. इस अध्ययन में पाया गया है कि जंगलों यानि कि पेड़ों में कार्बन सहेजने की क्षमता प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) पर ज्यादा निर्भर नहीं करती है. यह क्षमता भविष्य में तेजी से सीमित हो रही है.

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अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं के नए अध्ययन ने खुलासा किया है कि पेड़ की वृद्धि (Tree Growth) प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की जगह कोशिका वृद्धि से ज्यादा सीमित होती है. इस अध्ययन के कुछ चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं. पेड़ अभी भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड केउत्सर्जन को अवशोषित कर भंडार कर सहेज लेते हैं. यदि जंगलों की वृद्धि धीमी होती है तो इससे पौधों की कार्बन अवशोषित करने की क्षमता पर असर होगा. इस अध्ययन का प्रमुख नतीजा यह है कि जितना समझा जाता है जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से लड़ने में पेड़ उतने कारगर नहीं हैं. 

इसके अलावा अध्ययन में यह भी पाया गया कि प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) और पेड़ों का विकास ((Tree Growth)) अलग अलग जलवायु के मौहाल में अलग अलग प्रतिक्रिया देता है. इससे यह भी पता चलता है कि वर्तमान कार्बन अवशोषण प्रतिमानों ने जंगलों की कार्बन भंडारण क्षमता (Carbon storage Capacity) का कुछ ज्यादा ही आंकलन लगाया है.

जलवायु परिवर्तन से लड़ने में ज्यादा कारगर नहीं हैं पेड़ - combating climate change trees might not be as effective as we thought viks – News18 हिंदी

यह अध्ययन साइंस जर्नल में पिछले महीने ही प्रकाशित हुआ है. इसके नतीजे बताते हैं कि हमें जब भी पेड़ों में कितना कार्बन जमा हो सकता है, इसका अनुमान लगाना हो, तब प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) के अलावा दूसरे कारकों और प्रणालियों को महत्व देना होगा. कार्बन सहेजने की क्षमता (Carbon storage Capacity) को जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से जूझने का एक अहम कारक माना जाता रहा है. इस अध्ययन को अमेरिका के ऊर्जा विभाग, कृषि विभाग, नेशनल साइंस फाउंडेशन, आदि ने आर्थिक सहायता दी है.

जंगल प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) के जरिए वायुमंडल से कार्बन को लेकर लकड़ी के जैवभार और मिट्टी के कार्बन के रूप में जमा (Carbon Storage) करते हैं. इस प्रक्रिया से सालाना मानवजनित कार्बन उत्सर्जन का 25 प्रतिशत हिस्सा जंगलों में जमा हो जाता है. अभी तक प्रकाश संश्लेषण को बढ़ावा देते हुए कार्बन को ज्यादा से ज्यादा सहेजने का प्रयास किया जाता है. इस प्रक्रिया को कार्बन उर्वरकता (Carbon Fertilization) कहते है. इसके पीछे की धारणा यह है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पेड़ों का कार्बन अवशोषित करना एक प्राकृतिक तरीका होता है. 

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माना जाता है कि प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis)और पौधों की वृद्धि को वायुमंडलीय कार्बन सीमित करता है. ज्यादा कार्बन का मतलब ज्यादा वृद्धि यानि ज्यादा भंडारण. लेकिन जरूरी नहीं है कि ऐसा ही हो. शोध से पता चलता है कि जंगल में कार्बन भंडारण (forest carbon storage) की क्षमता दूसरे कारकों के प्रति भी संवदेनशील रहती है, जिसमें तापमान, पानी और पोषण की उपलब्धता भी शामिल हैं. इसका एक अर्थ यह भी हुआ कि जंगलों की कार्बन अवशोषण करने की प्रक्रिया वैश्विक जंगलों के कार्बन भंडारण क्षमता (Carbon storage Capacity) के अनुमानों में सबसे बड़ी अनिश्चितता है.

जंगलों का कार्बन अवशोषण (forest carbon absorption) और लकड़ी की वृद्धि के संबंध को बेहतर समझने के लिए शोधकर्ताओं ने दुनिया भर के 78 जंगलों से पेड़ों द्वारा प्रकाश संशेलेषण (Photosynthesis) के जरिए जमा किए कार्बन की मात्रा का आंकलन किया और उसकी तुलना पेड़ों के तने के छल्लों से हासिल किए गए ट्रि रिंग डेटा बैक के वृद्धि आंकड़ों से की. शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रकाश संश्लेषण और पेड़ों की वृद्धि (Tree Growth)दो बहुत ही अलग-अलग बाते हैं और उनमें सीधा संबंध नहीं है.

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अध्ययन के नतीजे पेड़ों की वृद्धि (Tree Growth) की सीमाएं, खास तौर पर से ठंडे और सूखे इलाकों में, को रेखांकित करते हैं. यह चलन बदलते जलवायु परिवर्तन में जंगलों की कार्बन भंडारण क्षमता (Carbon storage Capacity) को लगातार रोक रहा है. इसके नतीजे जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से निपटने के लिए, कार्बन जमा करने के लिए प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्रों का उपयोग जैसे पौधारोपण आदि के लिए उपयोगी साबित हो सकता है

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