राष्ट्रीय मतदाता दिवस का मुख्य उद्देश्य नागरिकों में चुनावी जागरुकता पैदा करना और उन्हें चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना है.
राष्ट्रीय मतदाता दिवस का मुख्य उद्देश्य नागरिकों में चुनावी जागरुकता पैदा करना और उन्हें चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना है.
भारत में हर साल किसी न किसी राज्य में विधानसभा चुनाव होते हैं, इसके अलावा हर पांच साल में लोकसभा चुनावों की भी तैयारी होती है. अगले कुछ ही महीने में लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं. इस चुनाव की पूरी जिम्मेदारी भारत के चुनाव आयोग की होती है, जो देशभर के लोगों को वोट डालने के लिए जागरुक भी करता है. इसी बीच 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस भी मनाया जाएगा. देशभर में इस दिन कई तरह के अलग-अलग कार्यक्रम होते हैं और लोगों को वोट डालने के लिए प्रेरित किया जाता है. आज हम आपको बताएंगे कि हर साल 25 जनवरी को ही क्यों नेशनल वोटर्स डे मनाया जाता है.
कब से मनाया जाता है मतदाता दिवस?
दरअसल 25 जनवरी 1950 को ही भारत के चुनाव आयोग की स्थापना हुई थी, इसके बाद 26 जनवरी को देश में संविधान लागू हुआ. इस दिन को पहले सिर्फ याद किया जाता था, लेकिन साल 2011 से इसे एक दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा. तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने पहली बार 2011 में 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया. इसके बाद से ही पूरे देश में हर साल 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है.
युवा वोटर्स को जागरुक करने का काम
इस राष्ट्रीय मतदाता दिवस का मुख्य उद्देश्य नागरिकों में चुनावी जागरुकता पैदा करना और उन्हें चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना है. देश के मतदाताओं को समर्पित, राष्ट्रीय मतदाता दिवस का इस्तेमाल मतदाताओं, खासतौर पर नए युवा मतदाताओं के नामांकन की सुविधा के लिए भी किया जाता है.
राष्ट्रीय मतदाता दिवस के मौके पर अलग-अलग कैंप लगाए जाते हैं और फर्स्ट टाइम वोटर्स को उनका मतदाता फोटो पहचान पत्र दिया जाता है. कई जगहों पर युवाओं के लिए सेल्फी प्वाइंट भी लगाए जाते हैं. भारत 14 वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाने जा रहा है. इसके लिए चुनाव आयोग ने तमाम राज्यों और जिलों में तैयारियां की हैं.