दयानिधि
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, हर साल मौसमी इन्फ्लूएंजा से संबंधित सांस की बीमारी के कारण 2,90,000-6,50,000 मौतें होती हैं विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इन्फ्लूएंजा के रोगियों की देखभाल के लिए अपने दिशा-निर्देशों को अपडेट किया है। दिशा-निर्देश मुख्य रूप से स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने वालों के लिए डिजाइन किए गए हैं जो इन्फ्लूएंजा वायरस संक्रमण वाले रोगियों का उपचार करते हैं। साथ ही महामारी और महामारी की तैयारी के प्रयासों में नीति निर्माताओं और अन्य लोगों के लिए अहम स्रोत के रूप में भी काम करेंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन्फ्लूएंजा एक संक्रामक बीमारी है। मौसमी इन्फ्लूएंजा दुनिया के सभी हिस्सों में आम है। यह अनुमान लगाया गया है कि हर साल मौसमी इन्फ्लूएंजा के लगभग एक अरब मामले सामने आते हैं, जिनमें सांस की गंभीर बीमारी के 30 से 50 लाख मामले शामिल हैं। अनुमान है कि हर साल मौसमी इन्फ्लूएंजा से संबंधित सांस की बीमारी के कारण 2,90,000-6,50,000 मौतें होती हैं, इसके अलावा अन्य इन्फ्लूएंजा संबंधी जटिलताओं से संबंधित मौतें भी होती हैं।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, इन्फ्लूएंजा से संबंधित सांस के निचले मार्ग के संक्रमण से पांच साल से कम आयु के बच्चों में होने वाली 99 प्रतिशत मौतें विकासशील देशों में होती हैं। संक्रमण के एक से चार दिन बाद लक्षण शुरू होते हैं और आमतौर पर लगभग एक सप्ताह तक जारी रहते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, मौसमी इन्फ्लूएंजा वायरस के साथ-साथ, जानवरों के इन्फ्लूएंजा वायरस सबसे आम तौर पर एवियन और स्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस कभी-कभी लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। वे हल्के से लेकर गंभीर निमोनिया और यहां तक कि मृत्यु तक का कारण बन सकते हैं। वर्तमान में जानवरों का इन्फ्लूएंजा वायरस ने एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने की क्षमता नहीं दिखाई है, लेकिन ये भविष्य में महामारी का खतरा पैदा कर सकते हैं।
ये दिशा निर्देश वायरसरोधी दवाओं के उपयोग और प्रतिरक्षा प्रणाली के नियमन के लिए स्टेरॉयड जैसे अन्य उपचारों पर सिफारिशें प्रदान करते हैं। यह अपडेट मौसमी इन्फ्लूएंजा वायरस, संभावित महामारी इन्फ्लूएंजा वायरस और नए इन्फ्लूएंजा टाइप ए वायरस वाले रोगियों पर लागू होता है जो संक्रमित लोगों में गंभीर बीमारी का कारण बनते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, विशेषज्ञों, चिकित्सकों, रोगियों, नैतिकतावादियों और पद्धति विज्ञानियों के एक दिशानिर्देश विकास समूह ने उपलब्ध आंकड़ों का विश्लेषण किया और ग्रेडिंग ऑफ रिकमेंडेशन असेसमेंट, डेवलपमेंट एंड इवैल्यूएशन (ग्रेड) नजरिए का उपयोग करके विश्वसनीय दिशानिर्देश विकास के मानकों का पालन करते हुए ये सिफारिशें तैयार की हैं।
रिपोर्ट के हवाले से की गई ये सिफारिशें इन्फ्लूएंजा के प्रति डब्ल्यूएचओ की प्रतिक्रिया का हिस्सा हैं, जिसमें ग्लोबल इन्फ्लूएंजा सर्विलांस एंड रिस्पॉन्स सिस्टम (जीआईएसआरएस) और महामारी इन्फ्लूएंजा तैयारी (पीआईपी) ढांचा शामिल है जो प्रभावी चिकित्सा उपचारों और अन्य उपकरणों तक पहुंच में कमी को दूर करता है।
(‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )