विवेक मिश्रा
बड़ी कंपनियों ने अपने जवाब में कहा है कि जो दवाएं गुणवत्ता में फेल निकली नहीं हैं वह उनकी नहीं हैं। बैक्टीरिया संक्रमण के उपचार के लिए परंपरागत तौर पर उपयोग होने वाली एंटी-बायोटिक दवा नाइट्रोफ्यूरैंटॉइन की अपेक्षा नैनो-कंपोजिट्स को अधिक प्रभावी पाया गया है। हो सकता है आपको बुखार हो और आप चिकित्सक के लिखित परामर्श के आधार पर पैरासिटामॉल का सेवन भी कर रहे हों लेकिन दवा का असर ही न हो रहा हो या एसिड की समस्या के निदान के लिए एंटी एसिड दवा पैंटॉप खाकर भी कोई फायदा न हो रहा हो। किसी गंभीर एलर्जी या सूजन के लिए दवा खा रहे हों लेकिन वह बेअसर हो या फिर दवा खाने के बाद रक्तचाप या मधुमेह अनियंत्रित हो। यह सब संभव है क्योंकि बाजार में सामान्य से लेकर ब्रांडेड कंपनियों की बिक रहीं दवाओं की गुणवत्ता संदेह के घेरे में हैं।
सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनेनाइजेशन (सीडीएसओ) ने ऐसी ही 53 दवाओं को चिन्हित किया है जो गुणवत्ता जांच में विफल पाई गई हैं। सीडीएसओ की ओर से जारी अलर्ट में सन फार्मा लैब्रोटेरीज लिमिटेड, ग्लेनमार्क फॉर्मास्यूटिकल्स लिमिटेड, एल्केम हेल्थ साइंसेज लिमिटेड, मैक्लियॉड्स जैसे बड़ी नामी-गिरामी कंपनियों के नाम हैं जिनकी दवाएं गुणवत्ता मानकों पर विफल पाई गईं हैं।
इनमें व्यापक स्तर पर इस्तेमाल होने वाली सनफार्मा की पैंटोसिड और एल्केम हेल्थ साइंसेज की पैंटोप्राजोल, टाइप 2 डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल होने वाली मैस्कॉट हेल्थ सिरीज प्राइवेट लिमिटेड की ग्लिमिप्राइड-2 और स्कॉट-एडिल फार्मेसिया लिमिटेड की मेटफॉर्मिन हाइड्रोक्लोराइड सस्टेंड रिलीज टेबलेट आईपी (ग्लाइसिमेट-एसआर-500), कर्नाटका एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड की पैरासिटामॉल 500 एमजी, उच्च रक्तचाप के नियंत्रण के काम में आने वाली सनफार्मा की टेल्मा एच, सूजन और एलर्जी के लिए इस्तेमाल होने वाली मैकलियॉड फार्मास्युटिकल्स की डेफकॉर्ट 6, अल्सर और संक्रमण जैसे रोगों के उपचार के लिए इस्तेंमाल होने वाली हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड की मेट्रोन्डिजोल टैबलेट आईपी 400 एमजी, शरीर में विटामिन की कमी को पूरा करने के लिए प्योर एंड क्योर हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड की कैल्सियम एंड विटामिन डी3 टेबलेट शेलकाल 500 और कई महत्वपूर्ण एंटीबायोटिक दवाएं शामिल हैं। इनमें भास्कर विलासम वैद्यशाला की योगराज गुग्गुल दवा की गुणवत्ता भी ठीक नहीं निकली है। यहां क्लिक करके कंपनियों की सूची और उन दवाओं के नाम देख सकते हैं जो जांच में विफल हुई हैं।
इस मामले में सीडीएसओ को दिए गए जवाब में घेरे में आईं सन फॉर्मा लैबरोट्रीज लिमिटेड, ग्लेनमार्क फॉर्मास्युटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड और मैक्लियॉड्स फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड जैसी कुछ बड़ी दवा कंपनियों ने यह कहा है कि उनके नाम से जिन दवाओं की गुणवत्ता ठीक नहीं पाईं गई हैं वह उनकी नहीं हैं। वह नकली हो सकती हैं। हालांकि, सीडीएसओ ने कहा कि है कि वह आगे इस बात की जांच करेगा।
सीडीएसओ ने गुणवत्ता में विफल दवाओं की सूची जारी की है। इनमें कई दवाओं के डिसल्यूशन (दवा की बाहरी हार्डनेस और शरीर में घुलने संबंधी गुण), दवा पर दी गई जानकारी और कुछ सबस्टेंस का सही मात्रा में नहीं होना पाया गया है। इसके अलावा कुछ दवाएं नकली निकली हैं जो कंपनियों के नाम से बेची जा रहीं थीं।
फरवरी, 2024 में सीडीएसओ की तरफ से दवाओं की गुणवत्ता जांच संबंधी नए दिशानिर्देश जारी किए गए थे। इसके तहत एक निश्चित अंतराल पर न सिर्फ शहर और कस्बों में बल्कि ग्रामीण स्तर पर दवाओं के नमूनों की जांच करने का प्रावधान रखा गया था। साथ ही हर महीने सीडीएसओ ने दवाओं के गुणवत्ता जांच का अलर्ट भी घोषित करने का निर्णय लिया था। यह कवायद इसीलिए की जा रही है।
(‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )