ललित मौर्या
नई रिसर्च में सामने आया है कि चीनी का लोकप्रिय विकल्प ‘एरिथ्रिटोल’ दिमाग की नसों को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है। क्या ‘शुगर-फ्री’ खाना सचमुच सेहत के लिए सुरक्षित है? डाइट ड्रिंक हो या शुगर-फ्री आइसक्रीम, एरिथ्रिटोल को सालों से चीनी के सुरक्षित विकल्प के रूप में देखा जाता रहा है। लेकिन अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा की गई नई रिसर्च से पता चला है कि ‘एरिथ्रिटोल’ नाम का यह लोकप्रिय स्वीटनर दिमाग की नसों को नुकसान पहुंचा सकता है।

साथ ही यह मिठास शरीर में ऐसे बदलाव कर सकती है, जो दिमागी स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा देते हैं। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया है कि एरिथ्रिटोल दिमाग की नसों की कार्यप्रणाली को बिगाड़ सकता है। इस अध्ययन के नतीजे जर्नल ऑफ एप्लाइड फिजियोलॉजी में प्रकाशित हुए हैं।

दिमाग की नसों पर सीधा असर
गौरतलब है कि 2001 में अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) से मंजूरी पाने वाला एरिथ्रिटोल एक तरह का शुगर अल्कोहल है, जो आमतौर पर मक्के को फर्मेंट करके बनाया जाता है। आज यह कई ब्रांड्स के सैकड़ों खाद्य उत्पादों में इस्तेमाल हो रहा है। इसमें करीब-करीब न के बराबर कैलोरी होती है, यह साधारण चीनी जितना करीब 80 फीसदी मीठा होता है और इंसुलिन पर इसका असर बहुत कम पड़ता है। यही वजह है कि वजन घटाने, ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने या कार्बोहाइड्रेट से बचने वाले लोग इसे खूब अपनाते हैं। लेकिन हालिया शोध इसके खतरों की ओर इशारा करते हैं। इसी खतरे को समझने के लिए वैज्ञानिकों यह नया अध्ययन किया। एरिथ्रिटोल का कोशिकाओं पर क्या असर पड़ता है, यह समझने के लिए वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में दिमाग की रक्त नलिकाओं को ढकने वाली मानव कोशिकाओं पर प्रयोग किया। इन कोशिकाओं को तीन घंटे तक उतनी ही मात्रा में एरिथ्रिटोल के संपर्क में रखा गया, जितना आमतौर पर एक शुगर-फ्री ड्रिंक में होता है। सिर्फ तीन घंटे में ही इन कोशिकाओं में कई खतरनाक बदलाव दिखे।

एरिथ्रिटोल के संपर्क में आई कोशिकाओं में कई अहम बदलाव देखे गए। इसके संपर्क में आने वाली कोशिकाओं ने बहुत कम नाइट्रिक ऑक्साइड बनाया, नाइट्रिक ऑक्साइड वह तत्व है जो रक्त नलिकाओं को फैलाकर रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है। इसके उलट, कोशिकाओं में एंडोथेलिन-1 नामक प्रोटीन की मात्रा बढ़ गई, जो नसों को सिकोड़ता है। इतना ही नहीं, जब इन कोशिकाओं को रक्त का थक्का बनाने वाले रसायन थ्रोम्बिन से गुजारा गया, तो शरीर के प्राकृतिक “क्लॉट तोड़ने” वाले तत्व टी-पीए का उत्पादन काफी कम हो गया। शोध में यह भी सामने आया कि एरिथ्रिटोल कोशिकाओं में फ्री रेडिकल्स यानी रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज को बढ़ाता है, जो कोशिकाओं को बूढ़ा करते हैं, सूजन बढ़ाते हैं और नुकसान पहुंचाते हैं।

पहले से मिले थे खतरे के संकेत
इससे पहले क्लीवलैंड क्लिनिक के एक अध्ययन में अमेरिका और यूरोप के 4,000 लोगों को शामिल किया गया। इसमें पाया गया कि जिन पुरुषों और महिलाओं के रक्त में एरिथ्रिटोल का स्तर अधिक था, उनमें अगले तीन साल के भीतर हार्ट अटैक या स्ट्रोक होने की आशंका कहीं ज्यादा थी। पहले किए शोध में यह भी देखा गया है कि सिर्फ 30 ग्राम एरिथ्रिटोल, जो करीब एक पिंट शुगर-फ्री आइसक्रीम में होता है, खून की प्लेटलेट्स को आपस में चिपका सकता है। इससे खून का थक्का बनने का खतरा बढ़ जाता है।

जर्नल न्यूरोलॉजी में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन से पता चला है कि कुछ कम या बिना कैलोरी वाले शुगर सब्स्टीट्यूट लंबे समय में दिमागी सोच और याददाश्त पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं। इस अध्ययन से पता चला है कि जो लोग कृत्रिम मिठास का सबसे अधिक सेवन करते हैं, उनमें सोचने और याद रखने की क्षमता उन लोगों की तुलना में तेजी से घटती है, जो इसका कम सेवन करते हैं। रिसर्च में पाया गया कि एस्पार्टेम, सैकरीन, एसेसल्फेम-के, एरिथ्रिटोल, जाइलिटोल और सॉर्बिटॉल का अधिक सेवन कुल मिलाकर दिमागी क्षमता, खासकर याददाश्त, को तेजी से कमजोर करते हैं।

नसें सिकुड़ें और थक्का न टूटे, तो तय है स्ट्रोक
अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता ऑबर्न बेरी का प्रेस विज्ञप्ति में कहना है, “अगर रक्त वाहिकाएं ज्यादा सिकुड़ जाएं और शरीर की थक्के को तोड़ने की क्षमता कमजोर पड़ जाए, तो स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। शोध यह दर्शाता है कि एरिथ्रिटोल ऐसा कैसे कर सकता है।“ प्रोफेसर डिसूजा के मुताबिक चिंता की बात यह है कि इस अध्ययन में एरिथ्रिटोल की मात्रा सिर्फ एक सर्विंग जितनी थी। जो लोग दिन में कई बार शुगर-फ्री उत्पाद लेते हैं, उनके लिए जोखिम और भी अधिक हो सकता है। वैज्ञानिकों ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह अध्ययन कोशिकाओं पर किया गया प्रयोग है और इंसानों पर बड़े स्तर के अध्ययन अभी होने बाकी हैं। फिर भी वे सावधानी बरतने की सलाह देते हैं। डिसूजा उपभोक्ताओं को सलाह देते हैं कि वे खाने-पीने की चीजों के लेबल ध्यान से पढ़ें और उन पर एरिथ्रिटोल या “शुगर अल्कोहल” लिखा हो तो उसकी मात्रा पर खास नजर रखें।
(‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )
