दयानिधि

रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी भारतीय और अलास्का मूल निवासी (एआईएएन) महिलाओं में पिछले तीन दशकों में स्तन कैंसर से होने वाली मृत्यु दर में कोई सुधार नहीं देखा गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अश्वेत महिलाओं में स्तन कैंसर की वजह से मृत्यु दर श्वेत महिलाओं की तुलना में 38 फीसदी अधिक है, जबकि इसके मरीजों की दर कम है।

दुनिया भर में खासकर अमेरिका में 50 वर्ष से कम आयु की महिलाओं में स्तन कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। 2012 से 2021 के बीच इसमें सालाना 1.4 फीसदी की वृद्धि हुई है। यह चिंताजनक प्रवृत्ति एशियाई अमेरिकी और प्रशांत द्वीपसमूह की महिलाओं में सबसे अधिक स्पष्ट दिखाई दे रही है, जहां यह बढ़ोतरी हर साल 2.5 से 2.7 फीसदी तक पहुंच जाती है।

इस बात की जानकारी अमेरिकन कैंसर सोसायटी (एसीएस) की नवीनतम रिपोर्ट, जिसका शीर्षक “स्तन कैंसर सांख्यिकी 2024” है, में सामने से आए हैं, जो देश भर में स्तन कैंसर की बढ़ती घटनाओं और रुझानों दोनों को सामने लाती है।

रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री से प्राप्त आंकड़ों में पाया गया है कि त्वचा के कैंसर के बाद स्तन कैंसर महिलाओं में सबसे आम कैंसर बना हुआ है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 1989 के बाद से मृत्यु दर में 44 फीसदी की गिरावट आई है, जिससे 50 लाख से अधिक मौतों को रोका जा सका है, हालांकि यह प्रगति विभिन्न नस्लीय और जातीय समूहों में एक जैसी नहीं है। उदाहरण के लिए, अमेरिकी भारतीय और अलास्का मूल निवासी (एआईएएन) महिलाओं में पिछले तीन दशकों में मृत्यु दर में कोई सुधार नहीं देखा गया है।

इस बीच, अश्वेत महिलाओं में स्तन कैंसर की वजह से मृत्यु दर श्वेत महिलाओं की तुलना में 38 फीसदी अधिक है, जबकि इसके मरीजों की दर कम है। साल 2024 में, अमेरिकी महिलाओं में आक्रामक स्तन कैंसर के अनुमानित 3,10,720 नए मामलों के सामने आने के आसार है, जिसमें लगभग 42,250 मौतें होने की आशंका जताई गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पुरुषों में स्तन कैंसर न के बराबर होता है, लेकिन इस साल लगभग 2,790 पुरुषों में इसकी पहचान किए जाने के आसार हैं और 530 लोगों की इस बीमारी से मृत्यु होने की आशंका जताई गई है।

रिपोर्ट में विशेष रूप से वंचित समुदायों में महिलाओं के लिए, शीघ्र पहचान और उपचार तक बेहतर पहुंच की तत्काल जरूरत पर प्रकाश डाला गया है।

रिपोर्ट के हवाले से अमेरिकन कैंसर सोसाइटी (एसीएस) के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. विलियम डाहुत ने देखभाल में असमानताओं से निपटने को लेकर जोर दिया, खासकर अश्वेत, एएपीआई और एआईएएन महिलाओं के लिए। एसीएस के वॉयस ऑफ ब्लैक वीमेन अध्ययन जैसे प्रयासों का उद्देश्य कैंसर के खतरों और परिणामों का पता लगाने के लिए एक लाख अश्वेत महिलाओं को नामांकित करके इन कमियों को दूर करना है।

कैंसर की जांच तक पहुंच सुनिश्चित करना मृत्यु दर को कम करने के लिए बहुत जरूरी है, एसीएस ने अमेरिकी सरकार से बिना बीमा वाली और कम बीमा वाली महिलाओं के लिए स्तन कैंसर की जांच कार्यक्रमों का विस्तार करने के लिए कानून पारित करने का आग्रह भी किया है।

       (‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )

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