ललित मौर्या

वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि जलवायु में आते बदलावों के चलते 2050 तक डेंगू के मामलों में 40 से 60 फीसदी की वृद्धि हो सकती है। इतना ही नहीं कुछ क्षेत्रों में तो इसके मामले 200 फीसदी तक बढ़ सकते हैं। बता दें कि डेंगू बुखार एक तरह का वायरल संक्रमण है, जो एडीज मच्छरों के काटने से होता है।

अमेरिकन सोसाइटी ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हाइजीन (एएसटीएमएच) की सालाना बैठक में प्रस्तुत अपने अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि जलवायु परिवर्तन मौजूदा समय में डेंगू के बढ़ते मामले के लिए 18 फीसदी तक जिम्मेवार है। यह अध्ययन मैरीलैंड, हार्वर्ड और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से जुड़े शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है।

यह समझने के लिए कि बढ़ता तापमान अमेरिका और एशिया में डेंगू के प्रसार को कैसे प्रभावित कर रहा है, वैज्ञानिकों ने 21 देशों में डेंगू के करीब 15 लाख मामलों का विश्लेषण किया है। इसके मुताबिक डेंगू का प्रसार तब होता है जब तापमान 15 डिग्री सेल्सियस के आसपास होता है, और 27.8 डिग्री सेल्सियस पर अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच जाता है, हालांकि अधिक गर्मी होने से इसका प्रसार धीमा पड़ जाता है।

सदी के अंत तक 840 करोड़ लोगों पर मंडराने लगेगा डेंगू और मलेरिया का खतरा
जलवायु में आते बदलावों के चलते डेंगू-चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है; फोटो: आईस्टॉक

इस अध्ययन के जो नतीजे सामने आए हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि जलवायु परिवर्तन दुनिया में मच्छरों की वजह से पैदा होने वाली बीमारियों में हो रहे इजाफे की एक बड़ी वजह है। हैरानी की बात है कि आज जिस तरह जलवायु में बदलाव आ रह है, उसकी वजह से मच्छर उन स्थानों पर भी पनपने लगे हैं जहां वो पहले नहीं पाए जाते थे।

साझा जानकारी से पता चला है कि 2023 के दौरान अमेरिकी देशों में डेंगू के 45.9 लाख से ज्यादा मामले सामने आए थे। वहीं 2024 में यह आंकड़ा बढ़कर 1.25 करोड़ पर पहुंच गया है। मतलब की इस दौरान डेंगू के मामले में 160 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई है। कैलिफोर्निया और फ्लोरिडा में थी इसके स्थानीय मामले दर्ज किए गए, जोकि बेहद चिंता का विषय है। अध्ययन में यह भी चेताया है कि भविष्य में यह मामले कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ सकते हैं।

अध्ययन में यह भी सामने आया है कि उत्सर्जन को सीमित करने से बढ़ते तापमान की वजह से डेंगू के मामलों में होने वाली वृद्धि को काफी हद तक सीमित किया जा सकता है। देखा जाए तो यह अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि जलवायु में आता बदलाव डेंगू को कैसे प्रभावित कर रहा है। साथ ही भविष्य में स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं के निर्माण में किन मुद्दों पर गौर करना जरूरी है।

स्टैनफोर्ड के वुड्स इंस्टीट्यूट फॉर एनवायरनमेंट और अध्ययन से जुड़ी वरिष्ठ शोधकर्ता एरिन मोर्डेकाई ने प्रेस के साथ साझा जानकारी में कहा कि, “बढ़ते तापमान और डेंगू के बढ़ते मामलों के बीच स्पष्ट और सीधा संबंध है।”

“यह इस बात का प्रमाण है कि जलवायु परिवर्तन पहले ही इंसानों के स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है। विशेष रूप से डेंगू के मामले में स्थिति बदतर है। वहीं अध्ययन के जो नतीजे सामने आए हैं वो दर्शाते हैं कि इसके प्रभाव और भी बदतर हो सकते हैं।”

जलवायु में आते बदलावों का सामना करने के लिए तैयार नहीं भारत सहित दुनिया के कई शहर: रिपोर्ट
जलवायु में आते बदलावों के चलते डेंगू-चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है; फोटो: आईस्टॉक

भारत में पांच वर्षों में डेंगू के मामलों में हुई है 84 फीसदी की वृद्धि

गौरतलब है कि डेंगू दुनिया के अन्य देशों के साथ-साथ भारत में भी स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय है। यही वजह है कि इस बीमारी से सर्वाधिक प्रभावित 30 देशों में भारत भी शामिल है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्‍ल्‍यूएचओ) के मुताबिक पिछले दो दशकों में वैश्विक स्तर पर डेंगू के मामलों में लगातार वृद्धि हुई है, 2023 के अंत तक 129 से अधिक देशों में डेंगू संक्रमण की रिपोर्ट सामने आई है।

भारत से जुड़े आंकड़ों को देखें तो देश में पिछले पांच वर्षों के दौरान डेंगू के मामलों में करीब 84 फीसदी की वृद्धि हुई है। बता दें कि जहां देश में डेंगू के 157,315 मामले सामने आए थे, वहीं 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 289,235 पर पहुंच गया है। वहीं इस अवधि के दौरान देश में डेंगू से होने वाली मौतों में 192 फीसदी की वृद्धि हुई है।

आंकड़ों के मुताबिक इस साल जून 2024 तक देश में डेंगू के 32 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।

शोधकर्ताओं के मुताबिक आमतौर पर डेंगू के मामलों में हल्के लक्षण सामने आते हैं, लेकिन कुछ मामलों में पीड़ित के जोड़ों में गंभीर दर्द होता है। इसके कारण डेंगू को ‘हड्डी तोड़ बुखार’ भी कहा जाता है। वहीं गंभीर मामलों में रक्तस्राव संबंधी जटिलताएं और सदमे जैसी समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं। अब तक इस बीमारी का कोई खास इलाज मौजूद नहीं है। हालांकि इसके दो टीके मौजूद हैं।

विश्लेषण से पता चला है कि यदि उत्सर्जन में तेजी से कटौती की जाए तो 2050 तक डेंगू के मामलों में होने वाली 60 फीसदी की वृद्धि को 40 फीसदी पर सीमित किया जा सकता है। हालांकि, उत्सर्जन में बड़ी कटौती के बावजूद जिस तरह तापमान में वृद्धि जारी रहने के कयास लगाए जा रहे हैं, उसके चलते आशंका जताई जा रही है कि अध्ययन किए गए 21 में से 17 देशों में जलवायु परिवर्तन के चलते डेंगू के मामलों में होने वाली वृद्धि भविष्य में भी जारी रह सकती है।

       (‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )

 

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