दयानिधि
चीन में सांस संबंधी बीमारियों में वृद्धि के लिए जिम्मेवार माने जाने वाले ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के दो मामलों की पुष्टि भारत में की गई है। दोनों मामले कर्नाटक के हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कर्नाटक में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के दो मामलों का पता लगाया है।
दोनों मामलों की पहचान कई प्रकार के श्वसन वायरल रोगजनकों के लिए नियमित निगरानी के माध्यम से की गई थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बेंगलुरु में आठ महीने के बच्चे में एचएमपीवी के लिए किया गया परीक्षण पॉजिटिव पाया गया है। बच्चे का बेंगलुरु के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है और उसका कोई यात्रा इतिहास नहीं है। यह उल्लेखनीय है कि एचएमपीवी आमतौर पर बच्चों में पाया जाता है। सभी फ्लू नमूनों में से 0.7 फीसदी एचएमपीवी पाए जाते हैं। इस वायरस का सटीक प्रकार अभी तक पहचाना नहीं जा सका है।
क्या भारत में पाया गया एचएमपीवी वायरस अलग है। हालांकि इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि चीन में रिपोर्ट किए गए वायरस और यहां पाए गए स्ट्रेन में क्या संबंध है, स्वास्थ्य स्रोत का कहना है कि हमें टिप्पणी करने से पहले पुष्टि की प्रतीक्षा करनी होगी। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने शनिवार को एक एडवाइजरी जारी की थी जिसमें कहा गया था कि कर्नाटक में एचएमपीवी का कोई मामला नहीं पाया गया है, इस तरह यह पहला मामला है।
विज्ञप्ति के मुताबिक, एचएमपीवी पहले से ही भारत सहित दुनिया भर में प्रचलन में है और एचएमपीवी से जुड़ी श्वसन संबंधी बीमारियों के मामले विभिन्न देशों में रिपोर्ट किए गए हैं। इसके अलावा, आईसीएमआर और एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) नेटवर्क के वर्तमान आंकड़ों के आधार पर, देश में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) या गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी (एसएआरआई) के मामलों में कोई असामान्य रूप से वृद्धि नहीं हुई है।
प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से कहा गया है कि एक तीन महीने की बच्ची, जिसे ब्रोंकोनिमोनिया के इतिहास के साथ बैपटिस्ट अस्पताल, बेंगलुरु में भर्ती होने के बाद एचएमपीवी का पता चला था। उसे अब छुट्टी दे दी गई है। वहीं एक आठ महीने का लड़का, जिसे ब्रोंकोनिमोनिया के इतिहास के साथ बैपटिस्ट अस्पताल, बेंगलुरु में भर्ती होने के बाद तीन जनवरी, 2025 को एचएमपीवी का परीक्षण पॉजिटिव पाया गया था। शिशु अब ठीक हो रहा है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सभी उपलब्ध निगरानी चैनलों के माध्यम से स्थिति की निगरानी कर रहा है। आईसीएमआर पूरे साल एचएमपीवी परिसंचरण में रुझानों को ट्रैक करना जारी रखेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) पहले से ही चीन में स्थिति के बारे में समय पर अपडेट प्रदान कर रहा है ताकि चल रहे उपायों के बारे में और जानकारी मिल सके।
देश भर में हाल ही में किए गए तैयारी अभ्यास से पता चला है कि भारत श्वसन संबंधी बीमारियों में किसी भी संभावित वृद्धि को संभालने के लिए अच्छी तरह से तैयार है और यदि आवश्यक हो तो सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप तुरंत तैनात किया जा सकता है।
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) एक आम सांस से संबंधित वायरस है जो मुख्य रूप से फेफड़ों और वायुमार्ग को प्रभावित करता है। 2001 में खोजा गया, एचएमपीवी पैरामाइक्सोवायरस परिवार से जुड़ा हुआ है और श्वसन सिंकिटियल वायरस (आरएसवी) से बहुत करीब से संबंधित है।
यह सभी उम्र के लोगों को संक्रमित कर सकता है, लेकिन शिशुओं, छोटे बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिए यह अधिक खतरा पैदा करता है। वायरस खांसने, छींकने या दूषित सतहों के सीधे संपर्क से निकलने वाली श्वसन बूंदों के जरिए फैलता है। शिशुओं में, एचएमपीवी के लक्षण अक्सर अन्य श्वसन संक्रमणों के समान होते हैं और हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं।
चीन में एचएमपीवी के प्रकोप की हालिया मामलों ने दुनिया भार में चिंता बढ़ा दी है। भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि चल रहे फ्लू के मौसम को देखते हुए चीन में स्थिति असामान्य नहीं है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वर्तमान उछाल का कारण इन्फ्लूएंजा वायरस, आरएसवी और एचएमपीवी है, जो इस मौसम के दौरान होने वाले सामान्य रोगजनक हैं।
इस बीच, दिल्ली समेत कई राज्यों ने इस तरह के वायरस के प्रसार को कम करने के लिए सलाह जारी की है। दिल्ली के स्वास्थ्य अधिकारियों ने रविवार को एचएमपीवी और अन्य श्वसन वायरस से संभावित स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए एक सलाह जारी की।
संदिग्ध मामलों के लिए सख्त आइसोलेशन प्रोटोकॉल और सार्वभौमिक सावधानियों का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है। सटीक निगरानी सुनिश्चित करने के लिए अस्पतालों को एसएआरआई मामलों और प्रयोगशाला द्वारा पुष्टि किए गए इन्फ्लूएंजा मामलों का उचित दस्तावेजीकरण करना आवश्यक है। उन्हें हल्के मामलों के इलाज के लिए पैरासिटामोल, एंटीहिस्टामाइन, ब्रोन्कोडायलेटर और कफ सिरप की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं, साथ ही गंभीर मामलों के लिए ऑक्सीजन भी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।
(‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )