दयानिधि

दवाओं के उपयोग से पहले से दिल की समस्याओं से जूझ रहे लोगों के समूह के लिए दिल की बीमारी से संबंधित मौतों में 24 फीसदी की कमी और इससे जुड़े अन्य कारणों से होने वाली मौतों में 19 फीसदी की कमी देखी गई। एक नए अध्ययन के अनुसार, मोटापा कम करने वाली दवाईयां सेमाग्लूटाइड, हृदय संबंधी रोग से पीड़ित अधिक वजन वाले लोगों में दिल के दौरे और अन्य हृदय संबंधी समस्याओं को रोकने में मदद कर सकती है, फिर चाहे उन्हें पहले कभी दिल का दौरा पड़ा हो या न पड़ा हो। यह अध्ययन यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है और द लैंसेट नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

शोध में पाया गया कि सेमाग्लूटाइड के हर हफ्ते इंजेक्शन लगवाने से मोटापे से ग्रस्त या अधिक वजन वाले और हृदय रोग से पीड़ित लोगों में दिल के दौरे और स्ट्रोक जैसी हृदय संबंधी समस्याओं में 20 फीसदी की कमी देखी गई। अध्ययन में प्रतिभागियों के एक समूह के लिए समान हृदय संबंधी फायदे पाए गए, जिनमें परीक्षण की शुरुआत में चिकित्सक द्वारा दिल का दौरा पड़ने का अनुमान लगाया गया था।

शोधकर्ताओं ने परीक्षण में शामिल 17,605 लोगों में से 4,286 लोगों के आंकड़ों का विश्लेषण किया, जिन्हें सेमाग्लूटाइड या प्लेसीबो नामक दवा दी गई थी, तीन साल से अधिक समय तक इनकी निगरानी की गई।

उन्होंने पाया कि सेमाग्लूटाइड के उपयोग से हृदय संबंधी समस्याओं में 28 फीसदी तक की कमी आई। शोध में कहा गया कि सेमाग्लूटाइड दिए जाने वाले समूह में 9.1 फीसदी जबकि प्लेसीबो दिए जाने वाले समूह में 12.3 फीसदी तक का लाभ हुआ। साथ ही पहले से दिल की समस्याओं से जूझ रहे लोगों के इस समूह के लिए दिल की बीमारी से संबंधित मौतों में 24 फीसदी की कमी और इससे जुड़े अन्य कारणों से होने वाली मौतों में 19 फीसदी की कमी आई।

शोध में कहा गया है कि हृदय रोग (कार्डियोवैस्कुलर) वाले लोगों के लिए सेमाग्लूटाइड ने फायदा दिखाया, खासकर जो मोटापे से ग्रस्त थे या जिनका वजन अधिक था। इस नए अध्ययन में पाया गया है कि, इस समूह के भीतर, दिल का दौरा पड़ने वाले लोगों में मापे गए परिणामों के संदर्भ में अच्छा प्रदर्शन किया।

यह जरूरी है क्योंकि ऐसी चिंताएं जताई गई थीं कि सेमाग्लूटाइड उन लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है, जिन्हें दिल का दौरा पड़ने के रूप में जाना जाता है, जिसे कम इजेक्शन या हृदय खून को कम पंप करता है। शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि दिल का दौरा पड़ने के प्रकार की परवाह किए बिना सेमाग्लूटाइड के फायदे समान पाए गए।

शोधकर्ताओं के द्वारा अध्ययन में परीक्षण के आंकड़ों को देखा गया, 17,000 से अधिक वयस्कों में वजन पर सेमाग्लूटाइड के असर का सबसे बड़ा, सबसे लंबी जांच और परीक्षण किया गया, इनमें वे लोग शामिल थे जिन्हें मधुमेह नहीं था, लेकिन जो अ

धिक वजन वाले थे या मोटापे से ग्रस्त थे।

सेमाग्लूटाइड, एक जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट, शरीर के प्राकृतिक इंक्रीटीन हार्मोन के कार्यों का अनुकरण करता है, जो भोजन के बाद खून में शुगर के स्तर को कम करने में मदद करता है। इसे शुरू में टाइप 2 मधुमेह वाले वयस्कों को दिए जाने के लिए प्रस्तावित किया गया था।

सेमाग्लूटाइड वेगोवी और ओज़ेम्पिक में सक्रिय घटक है। जुलाई में, किए गए ट्रायल से मिले साक्ष्य के कारण, यूके दवा नियामक ने वेगोवी को हृदय रोग से पीड़ित लोगों के लिए उपचार के रूप में मंजूरी दे दी, जिसका अर्थ है कि इसे निजी तौर पर मान्य किया जा सकता है।

हालांकि एनएचएस में इस दवा के उपयोग की सिफारिश नहीं की गई है। इसके फायदों की तुलना पहले एक अन्य नई दवा, एसजीएलटी2 अवरोधकों से की जानी चाहिए, जो एक मधुमेह की दवा है जिसके हृदय संबंधी फायदे भी पाए गए हैं। सेमाग्लूटाइड किस तरह से हृदय संबंधी फायदे पहुंचाता है, इसके सटीक तंत्र की जानकारी नहीं है, लेकिन इसमें रक्त शर्करा, रक्तचाप और सूजन पर दवा के अच्छे असर, साथ ही हृदय की मांसपेशियों और खून की नसों पर सीधे असर शामिल हैं।

अध्ययन में दो प्रकार के दिल का दौरा पड़ने वाले लोगों के लिए सेमाग्लूटाइड के असर की तुलना की गई: संरक्षित इजेक्शन अंश (प्रिजर्व्ड इजेक्शन फ्रैक्शन), जहां हृदय सामान्य रूप से रक्त पंप करता है लेकिन आपूर्ति पूरा नहीं कर पाता है।

इन दो तरह के दिल का दौरा पड़ने के अलग-अलग कारण होते हैं और उपचार के प्रति अलग-अलग प्रतिक्रिया होती है, संरक्षित इजेक्शन अंश, सबसे आम प्रकार, पारंपरिक उपचारों के प्रति इतनी अच्छी प्रतिक्रिया नहीं देता है, जिससे काफी हद तक क्लीनिकल आवश्यकता पूरी नहीं होती है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि सेमाग्लूटाइड का क्लीनिकल फायदा दिल का दौरा पड़ने के प्रकार से अलग पाया गया। यह उम्र, लिंग, बेसलाइन बीएमआई और क्लीनिकल स्थिति से भी अलग पाया गया।

शोधकर्ता ने शोध में कहा कि ये निष्कर्ष, सामान्य देखभाल के अलावा, सेमाग्लूटाइड के उपयोग का समर्थन करते हैं, ताकि स्थापित एथेरोस्क्लेरोटिक कार्डियोवैस्कुलर बीमारी और अधिक वजन या मोटापे से पीड़ित लोगों की भारी आबादी में हृदय संबंधी समस्याओं व खतरों को कम किया जा सके।

शोधकर्ताओं ने शोध में दिल का दौरा पड़ने से संबंधित परिणामों पर सेमाग्लूटाइड के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए आगे के परीक्षण किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि क्योंकि एक समूह पर आधारित दिल का दौरा पड़ने का परीक्षण नहीं था, इसलिए अध्ययन के परिणामों को सामान्य रूप से दिल का दौरा पड़ने वाले रोगियों को नहीं दिया जा सकता है।

शोधकर्ताओं ने शोध के हवाले से यह भी कहा कि अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों में से अधिकांश पुरुष थे। उन्होंने कहा कि भविष्य में, जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट परीक्षणों में जातीयता और लिंग के आधार पर जांच की जानी चाहिए।

       (‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )

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