दयानिधि

अक्सर यह बात सुनने को मिलती है कि किसी व्यक्ति की मौत अत्यधिक खून के बह जाने से हो गई। दुर्घटनाओं में लगने वाली चोटों में ही नहीं, बल्कि कभी-कभी ऑपरेशन के दौरान भी रक्तस्राव अनियंत्रित हो जाता है जिसके कारण मौत तक हो जाती है। अब इस रक्तस्राव की समस्या से निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने एक नई तरह की ड्रेसिंग विकसित की है।

इसके लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने सिलिका के नैनोकणों और कैल्शियम का उपयोग कर जेरोजेल ड्रेसिंग विकसित की है, जो खून को तेजी से जमने में मदद कर सकती है और अनियंत्रित रक्तस्राव से राहत दे सकती है।

व्यावसायिक ड्रेसिंग की तुलना में इस मिश्रण ने खून के थक्के जमने (ब्लड क्लोटिंग) की दर में बहुत बड़ा सुधार किया है। अनियंत्रित रक्तस्राव दुर्घटनाओं या चोटों और सैन्य या सर्जिकल ऑपरेशन के दौरान होने वाली दर्दनाक मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है।

दुर्घटनाओं में होने वाली 40 फीसदी से अधिक मौतें खून के भारी नुकसान होने के कारण होती हैं। सामान्यतः प्रयोग की जाने वाली रूई (गॉज) अथवा ऐसी ही अन्य प्राथमिक चिकित्सा सामग्री या चोट वाली जगह पर खून के बहने में कमी लाने, फाइब्रिन सक्रिय होने से प्लेटलेट के थक्के बनने और खून के अन्य थक्के बनाने वाले रास्तों के सक्रियता से काम करने वाली प्रणाली मनुष्य शरीर से होने वाले भारी रक्तस्राव को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है।

इसलिए रक्तस्राव को कम करने के लिए बेहतर हेमोस्टेटिक या रक्तसंचारी चीजों की तत्काल जरूरत है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान, पुणे के अगरकर रिसर्च इंस्टीट्यूट (एआरआई) ने एक छेद वाली (हाइली पोरस) स्पंजी जेरोजेल हेमोस्टेटिक ड्रेसिंग विकसित की है जो सिलिका नैनोकणों (सिलिकॉन नैनोपार्टिकल्स – एसआईएनपीएस) और कैल्शियम जैसे सेल (एगोनिस्ट) के अंदर एक रिसेप्टर से आसानी से बध जाते है।

इसके लिए वैज्ञानिकों ने मिश्रित सामग्री का अध्ययन किया और पाया कि इसने मौजूदा व्यावसायिक ड्रेसिंग क्लॉटिंग क्षमता की तुलना में खून के थक्के बनने को 13 गुना बढ़ा दिया। जेरोजेल ने लगभग 30 माइक्रोन आकार के कई छिद्रों की उपस्थिति से ड्रेसिंग की अवशोषण क्षमता बढ़ जाती है।

इसने थक्के जमने की क्षमता में सुधार किया और जिससे खून का तेजी से अवशोषण हुआ। प्लेटलेट्स रक्त का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और ये रक्त के थक्के बनने की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाते हैं। प्लेटलेट के आकार में बदलाव, कैल्शियम का स्राव और प्लेटलेट सतह पर रिसेप्टर्स की सक्रियता जैसे कई कारण खून के थक्के जमने की जटिल प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

जेरोजेल हेमोस्टेटिक या रक्तसंचारी ड्रेसिंग ने सक्रिय प्लेटलेट्स में अच्छी तरह से निर्मित स्यूडोपोडिया के विकास के कारण प्लेटलेट के इकट्ठा होने में मदद की साथ ही इसे बढ़ाया भी, जिसके चलते एग्लूटिनेशन हुआ जो थक्के बनने की प्रक्रिया में प्रमुख भूमिका निभाता है।

इसके अलावा इस मिश्रित पदार्थ ने कैल्शियम उत्सर्जन और इसके निकलने को आसान बना दिया। इसके अलावा मनुष्य के प्लेटलेट्स में प्रोटीन सक्रिय रिसेप्टर जीन (प्लेटलेट झिल्ली में मौजूद पीएआर1 जीन – थ्रोम्बिन सिग्नलिंग की सुविधा देता है) के सक्रिय रूप में बहुत अधिक वृद्धि देखी गई। प्लेटलेट कैल्शियम के निकलने और प्लेटलेट सतह पर पीएआर1 का तेज होना प्लेटलेट के आकार परिवर्तन और इकट्ठा करने के लिए महत्वपूर्ण है।

जर्नल ऑफ एप्लाइड पॉलिमर साइंस में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि पीएआर1 जीन के सक्रिय होने और जमा कैल्शियम के निकले से प्लेटलेट सक्रिय होने के अलग-अलग कोशिकाओं के आणविक तंत्र या इंट्रासेल्युलर मॉलिक्यूलर मैकेनिज्म – प्लेटलेट्स के सक्रिय करने की एक महत्वपूर्ण घटना, जेरोजेल कंपोजिट की हेमोस्टेटिक दक्षता के लिए जिम्मेवार है।

ऐसी ड्रेसिंग सर्जरी और चोट लगने के दौरान खून बहने से होने वाली हानि, विकलांगता और मृत्यु दर को कम करने के लिए एक हेमोस्टेटिक या रक्तसंचारी समाधान हो सकता है।

       (‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )

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