मनीष कुमार
ISRO PSLV-C59 Launching: ISRO ने काफी कम पैसे में ऐसे स्पेस मिशन को अंजाम दे चुका है, जिसका लोहा पूरी दुनिया मानती है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन एक बार फिर से इतिहास रचने जा रहा है.
ISRO यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने कई ऐसे मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है, जिसका डंका दुनियाभर में बजा है. इसरो ने GPS से लेकर अन्य कम्यूनिकेशन सिस्टम के मामले में भारत को आत्मनिर्भर बनाया है. इससे ISRO पर दुनिया का विश्वास पुख्ता हुआ है. इसका एक और बड़ा उदाहरण देखने को मिला है. इसरो अब यूरोपीयन स्पेस एजेंसी (ESA) के स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष में लॉन्च करने जा रहा है. ESA के स्पेसक्राफ्ट PROBA-3 को ISRO PSLV-C59 लॉन्च व्हिकल की मदद से अंतरिक्ष में लॉन्च किया जाएगा. यह अपने आप में ऐतिहासिक पल होने वाला है.
दरअसल, इसरो ISRO PSLV-C59 की मदद से यूरोपीय स्पेस एजेंसी के दो मॉडर्न स्पेसक्राफ्ट को ऑरबिट में पहुंचाएगा. तकनीकी शब्दों में इसे एलिप्टिकल हाइली ऑरबिट (HEO) भी कहते हैं. प्रोबा-3 मिशन में दो स्पेसक्राफ्ट होंगे. ISRO के PSLV-C59 की मदद से यूरोपीय स्पेस एजेंसी के कोरोनाग्राफ स्पेसक्राफ्ट और ऑक्युल्टर स्पेसक्राफ्ट शामिल हैं. इन दोनों के सा बता दें कि PROBA-3 एक इन-ऑरबिट डेमोंस्ट्रेशन मिशन है.
श्रीहरिकोटा से लॉन्चिंग
PSLV-C59 की मदद से यूरोपीय स्पेस एजेंसी के प्रोबा-3 मिशन को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा. PSLV-C59 एक लॉन्च व्हिकल है, जिसकी मदद से सैटेलाइट और स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष की कक्षाओं में स्थापित किया जाता है. यह व्हिकल 44.5 मीटर ऊंचा है, जबकि इसका मास यानी द्रव्यमान 320 टन है. पिछले कुछ सालों में इसरो ने PSLV के जरिय कई स्पेस मिशन को सफलतापूर्वक ऑरबिट में भेज चुका है. ऐसे में दुनियाभर में भी इसकी साख बनी है.
ISRO पर दुनिया को भरोसा
एक वक्त था जब ISRO को प्रतिबंधित कर दिया गया था. इसके बावजूद देश के वैज्ञानिकों ने कभी भी देश के मान को झुकने नहीं दिया. रिसर्च का काम लगातार चलता रहा. कम पैसे और प्रतिबंधों के बावजूद ISRO ने स्पेस रिसर्च के क्षेत्र में सफलता के झंडे गाड़े हैं. ISRO तुलनात्मक रूप से कम पैसों में स्पेस मिशन को पूरा करने के मामले में अपनी विश्वसनीयता बनाई है. यही वजह है कि आज के दिन ISRO यूरोपीय स्पेस एजेंसी के स्पेसक्राफ्ट को भी अंतरिक्ष में स्थापित कर रहा है.