डी. एन. एस. आनंद
अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति, महाराष्ट्र ने अंधविश्वास उन्मूलन के लिए एक सात दिवसीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया है। 10 से 16 दिसंबर तक चलने वाले इस आनलाइन प्रशिक्षण शिविर में देश भर से विज्ञान संचारक एवं जन विज्ञान कार्यकर्ता भाग लेंगे। यह आजादी का 75 वां वर्ष है। निश्चय ही यह जन जन तक विज्ञान पहुंचाने, लोगों में वैज्ञानिक चेतना का विकास एवं विस्तार के काम से जुड़े जन विज्ञान अभियान/ आंदोलन के लिए भी अपने अतीत के गौरवमय इतिहास को जानने, गलतियों से सीखने, उपलब्धियों को आगे बढ़ाने एवं अंधविश्वास मुक्त तर्कशील, समतामूलक, विविधतापूर्ण, धर्मनिरपेक्ष, विज्ञानपरक, न्यायपूर्ण, आधुनिक भारत के निर्माण के संकल्प एवं प्रयास का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
1982 में गठित अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति महाराष्ट्र का, एक शानदार, प्रभावशाली एवं गौरवमय अतीत है। इसके संस्थापकों – संघटकों में से एक डॉ . प्रो. श्याम मानव की अगुवाई में इस संगठन ने जन जन तक विज्ञान पहुंचाने एवं लोगों में वैज्ञानिक मानसिकता के विकास के लिए बेहद उल्लेखनीय कार्य किए। मानसिक जड़ता, प्रतिगामी सोच, रूढ़िवादी परम्पराओं, मूढ़ मान्यताओं एवं पाखंड को चुनौती देने एवं लोगों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास में अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति, महाराष्ट्र का योगदान अमूल्य है। हालांकि इसके लिए संगठन को अनेक रुकावटों का सामना करना पड़ा। संगठन ने देश के कुछ अन्य राज्यों में भी विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से अंधविश्वास उन्मूलन अभियान को बल प्रदान किया। राष्ट्रीय स्तर पर विज्ञान संचार एवं वैज्ञानिक जागरूकता अभियान से जुड़े विभिन्न संगठनों, समूहों, व्यक्तियों के जरिए एक तर्कशील, विज्ञान सम्मत, समाज एवं देश के निर्माण के कार्य को अपने अपने स्तर पर आगे बढ़ा रहे हैं। इसका ही असर है कि प्रतिगामी सोच को मिल रहे संरक्षण के मौजूदा परिदृश्य में भी देश भर में लोगों ने समाज से अंधश्रद्धा, अंधविश्वास, प्रतिगामी सोच समाप्त कर संविधान सम्मत, तर्कशील, विज्ञानपरक भारत के निर्माण का संकल्प व्यक्त किया।
संवैधानिक कर्तव्यों को स्वीकारें
यह बेहद महत्वपूर्ण है कि भारतीय संविधान ने वैज्ञानिक मानसिकता के विकास को नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों में शामिल किया है। भारतीय संविधान की धारा 51- क में कहा गया है कि –
” हर भारतीय नागरिक का यह मौलिक कर्तव्य है कि वह वैज्ञानिक मानसिकता, मानवतावाद, सुधार एवं खोज भावना विकसित करे।”
आजादी के 75 वें वर्ष को देश भर में आजादी का अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। इसके उपलक्ष्य में देश भर में एक वर्ष तक विविध विज्ञान गतिविधियां आयोजित होंगी। साइंस फार सोसायटी, झारखंड एवं वैज्ञानिक चेतना (नेशनल साइंस वेब पोर्टल) जमशेदपुर, झारखंड ने इस वर्ष को वैज्ञानिक दृष्टिकोण वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इसके तहत झारखंड में साल भर तक डायन बिसाही प्रथा एवं अंधविश्वास के खिलाफ सतत अभियान चलाया जाएगा। राज्य में विविध कार्यक्रमों का यह सिलसिला अभी भी जारी है।
प्रशिक्षण शिविर की अहमियत
समाज से अंधविश्वास उन्मूलन के लिए 10 से 16 दिसंबर तक आनलाइन आयोजित होने वाला यह प्रशिक्षण शिविर न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि विशाल हिंदी भाषी राज्यों को भी प्रभावित करेगा। इसका अंदाज इससे भी लगाया जा सकता है कि शिविर में भाग लेने के इच्छुक लोगों में राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब जैसे राज्यों के लोग भी शामिल हैं। इससे लोगों में आई जागरूकता का सहज ही अंदाजा हो जाता है। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि अपनी तमाम नकारात्मक भूमिका के बावजूद कोरोना संकट ने भी लोगों में वैज्ञानिक जागरूकता के स्तर को बढ़ाया है।
ऐसे में जरूरी है कि आखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति महाराष्ट्र के इस अभियान को देश भर में, खासकर विशाल हिंदी भाषी राज्यों में, जन जन तक पहुंचाया जाए। क्योंकि लोगों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास एवं विस्तार से ही संभव होगा अंधविश्वास मुक्त, तर्कशील, विज्ञान सम्मत, आधुनिक भारत का निर्माण। अतः जनहित, देश हित में यह ज़रूरी है कि जन विज्ञान अभियान को जन जन तक पहुंचाएं, समाज में वैज्ञानिक चेतना फैलाएं। यह आजादी के 75 वें वर्ष की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी।
डी. एन. एस. आनंद
महासचिव साइंस फार सोसायटी झारखंड
संपादक, वैज्ञानिक चेतना साइंस वेब पोर्टल जमशेदपुर झारखंड
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