अनुराग

प्रेमानंद जी महाराज का 19 वर्षों तक किडनी फेलियर के साथ जीवित रहना: विज्ञान का चमत्कार है, न कि भगवान का ।

प्रेमानंद जी महाराज के 19 वर्षों तक किडनी फेल होने के बावजूद जीवित रहने की कहानी को अक्सर दैवीय चमत्कार के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। लेकिन जब इनके चिकित्सीय पृष्टभूमि तथा जीवनशैली की कुछ छानबीन गयी, तो पता चला कि यह किसी चमत्कार से अधिक आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की प्रगति का प्रमाण है। यह लेख उनके दीर्घायु होने के पीछे के वास्तविक कारणों को जानने की कोशिश है ।

ज्ञात सूत्रों के अनुसार उन्हें पिछले लगभग 17 से 19 वर्षों से ऑटोसोमल डोमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (Autosomal Dominant Polycystic Kidney Disease) हैं। इस बीमारी के कारण उनकी दोनों किडनियाँ खराब हो चुकी हैं। इस गंभीर स्थिति के बावजूद, वे सक्रिय और स्वस्थ जीवन जी रहे हैं, जो मुख्यतः नियमित डायलिसिस और सकारात्मक मानसिकता का परिणाम है।

ADPKD मरीजों की औसत जीवन प्रत्याशा ADPKD के मरीजों की जीवन प्रत्याशा उनकी उम्र, लक्षणों की गंभीरता, चिकित्सा देखभाल, और जीवनशैली पर निर्भर करती है।

  1. बिना डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के:

o अगर किडनी फेल हो जाती है और कोई उपचार नहीं मिलता, तो मरीज कुछ महीनों से 1-2 साल तक ही जीवित रह सकता है।

  1. डायलिसिस के साथ:

o  अगर मरीज नियमित रूप से डायलिसिस करवा रहा है, तो वह 10-20 साल या अधिक जीवित रह सकता है।

o  कुछ मरीज 30-40 साल तक भी डायलिसिस पर जीवित रहते हैं।

  1. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद:

o  सफल किडनी ट्रांसप्लांट के बाद मरीज की जीवन प्रत्याशा 20-30 साल या अधिक हो सकती है।

o  ट्रांसप्लांट के बाद, अगर मरीज स्वस्थ जीवनशैली अपनाता है और दवाइयों का सही तरीके से पालन करता है, तो वह लगभग सामान्य जीवन प्रत्याशा तक जी सकता है।

औसत जीवन प्रत्याशा के आँकड़े            

  • ADPKD के मरीजों की औसत जीवन प्रत्याशा 55-70 वर्ष तक हो सकती है।
  • जिन मरीजों को एंड-स्टेज किडनी डिजीज (ESRD) होती है, उनमें जीवन प्रत्याशा 55-65 वर्ष तक सीमित हो सकती है।
  • महिलाओं की तुलना में पुरुषों में किडनी फेलियर जल्दी हो सकता है।

प्रेमानंद जी महाराज द्वारा लिए गए चिकित्सा सहायता और उपचार:

  1. नियमित डायलिसिस: किडनी फेलियर के बाद, शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिए डायलिसिस आवश्यक होता है। प्रेमानंद जी महाराज नियमित रूप से डायलिसिस सत्रों से गुजरते हैं, जिससे उनके शरीर में विषैले पदार्थों का संचय नहीं होता और वे स्वस्थ रहते हैं।
  2. उचित चिकित्सा देखभाल: समय-समय पर, उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया जाता है, जहाँ विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम उनकी देखभाल करती है। उदाहरण के लिए, अप्रैल 2024 में, उनकी तबीयत खराब होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहाँ उन्हें उचित चिकित्सा सहायता प्रदान की गई।
  3. उनकी सकारात्मक सोच और नियमित चिकित्सा उपचार ने उन्हें इस गंभीर बीमारी के बावजूद एक सक्रिय और प्रेरणादायक जीवन जीने में सहायता की है।

ADPKD एक गंभीर बीमारी है, लेकिन सही उपचार, डायलिसिस या ट्रांसप्लांट से मरीज दशकों तक जीवित रह सकते हैं। जिन मरीजों को अच्छी चिकित्सा सुविधा और जीवनशैली सुधार मिलता है, वे 70-80 साल तक भी जी सकते हैं।

प्रेमानंद जी महाराज का 19 वर्षों तक किडनी फेलियर के साथ जीवित रहना आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की उपलब्धियों का प्रमाण है, न कि किसी चमत्कार का। डायलिसिस, उन्नत चिकित्सा देखभाल और विज्ञान की बदौलत ही यह संभव हुआ। हमें इसे चमत्कार मानने के बजाय उन डॉक्टरों, वैज्ञानिकों और चिकित्सा कर्मियों की सराहना करनी चाहिए जिन्होंने ऐसी तकनीकें विकसित की हैं, जिससे लाखों मरीजों को नया जीवन मिल रहा है। विज्ञान को समझना और स्वीकार करना ही असली जागरूकता है, क्योंकि चमत्कार वहीं होते हैं, जहाँ ज्ञान का अभाव होता है।

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