दीपक वर्मा
वैज्ञानिकों ने चौंकाने वाली खोज की है कि पृथ्वी तेजी से घूम रही है, जिससे दिन कुछ मिलीसेकंड छोटे हो रहे हैं. 2025 में 5 अगस्त को दिन 1.51 मिलीसेकंड छोटा होगा. यदि यह रुझान जारी रहा, तो 2029 में पहली बार ‘लीप सेकंड’ घटाना पड़ सकता है.
धरती की चाल अब सामान्य नहीं रही. वैज्ञानिकों ने पाया है कि हमारी पृथ्वी अब पहले से तेज घूम रही है. यह बदलाव बहुत सूक्ष्म है, लेकिन असर बड़ा हो सकता है. पृथ्वी की एक घुमाव को पूरा करने में लगभग 86,400 सेकंड लगते हैं. यानी एक दिन. पर यह समय पूरी तरह स्थिर नहीं है. समय-समय पर इसमें सूक्ष्म बदलाव होते रहते हैं. इन दिनों पृथ्वी की रफ्तार कुछ मिलीसेकंड बढ़ गई है. इससे दिन छोटे होते जा रहे हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर यही ट्रेंड जारी रहा तो 2029 तक हमें समय की गणना में बदलाव करना पड़ सकता है.

अभी तक जब धरती की रफ्तार कम होती थी, तो एटॉमिक घड़ियों में लीप सेकेंड जोड़ा जाता था. लेकिन पहली बार अब लीप सेकेंड हटाने की नौबत आ सकती है. यह इतिहास में पहली बार होगा. एक सेकंड समय से हटाना, तकनीकी रूप से बड़ी घटना मानी जाएगी. वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह बदलाव आम लोगों की दिनचर्या पर असर नहीं डालेगा. लेकिन समय गणना के लिए यह बेहद अहम है.

कब आएंगे ये सबसे छोटे दिन?
-9 जुलाई 2025
-22 जुलाई 2025
-5 अगस्त 2025
इन तारीखों को पृथ्वी सबसे तेज घूमेगी. 5 अगस्त को तो दिन 1.51 मिलीसेकंड छोटा होने की संभावना है. भले ही ये अंतर आम लोगों को न महसूस हो, पर वैज्ञानिक दुनिया के लिए ये बड़ा बदलाव है.

पृथ्वी की चाल पहले कैसी थी?
लाखों साल पहले पृथ्वी की चाल आज से बहुत अलग थी. डायनासोर के जमाने में दिन सिर्फ 23 घंटे के हुआ करते थे. कांस्य युग तक यह समय बढ़ा, लेकिन आज से फिर भी थोड़ा कम था. वैज्ञानिक मानते हैं कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब पृथ्वी पर दिन 25 घंटे का होगा. लेकिन इसमें 20 करोड़ साल लगेंगे.

क्यों बढ़ी पृथ्वी की रफ्तार?
इस सवाल का जवाब अभी पूरी तरह साफ नहीं है. वैज्ञानिकों के पास कुछ थ्योरी हैं, लेकिन ठोस वजह अब भी अनसुलझी है. कुछ संभावित कारण:
-जमीन का वापस उठना (ग्लेशियर मेल्ट के बाद)
-समुद्री धाराओं या वायुमंडलीय दबाव में बदलाव
-भूकंप या अंदरूनी प्लेट मूवमेंट
पृथ्वी के कोर में हलचल
मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता लियोनिद जोतोव ने 2022 में इस पर एक स्टडी की थी. उन्होंने भी माना कि ‘कोई भी इसे आते नहीं देख रहा था’. उनके अनुसार, शायद पृथ्वी के पिघले हुए बाहरी कोर में हो रही गतिविधियां ही इसकी वजह हों.

लीप सेकेंड क्यों जरूरी है?
धरती की घूर्णन गति और एटॉमिक घड़ियों के समय में फर्क होता है. यही वजह है कि समय-समय पर लीप सेकेंड जोड़ा जाता है. अब तक ये सेकेंड जोड़े जाते थे. लेकिन अगर पृथ्वी यूं ही तेज घूमती रही, तो घटाने पड़ सकते हैं. 2029 में पहला मौका आ सकता है जब हमें एटॉमिक टाइम से एक सेकंड हटाना पड़े.

क्या इसका असर हमारी जिंदगी पर होगा?
नहीं. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह पूरी तरह तकनीकी प्रक्रिया है. न तो हमारे मोबाइल फोन पर असर होगा, न घड़ियों पर. न ही इंटरनेट या सैटेलाइट सिस्टम पर कोई रुकावट आएगी. लेकिन यह जरूर याद रखने वाली बात है कि समय, जिसे हम सबसे स्थिर मानते हैं, वह भी पृथ्वी के मूवमेंट से प्रभावित होता है.
(‘न्यूज़ 18 हिंदी’ से साभार )