विकास शर्मा

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस ऐसा दिवस है जिसमें बाघ सरंक्षण ही नहीं बल्कि उनकी संख्याओं को बढ़ाने पर भी जोर दिया जाता है. उनके बचाने से हम एक बड़ा आवास बचाते हैं. क्योंकि उनके बचने से उस आवास की नदियां, अन्य जीव और पारिस्थितिकी प्रक्रियाओं का भी संरक्षण होता है इस दिवस पर इसी को लेकर जागरूकता फैलाई जाती है.

दुनिया में बहुत सारी प्रजातियों ऐसी हैं जिनके संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं. उनमें भी बहुत सी ऐसी भी हैं जिनके विलुप्त होने से पारिस्थितिकी संतुलन ज्यादा बिगड़ सकता है. तो किसी के गायब होने से उनके खाद्य जाल या खाद्य शृंखला पर असर हो सकता है. लेकिन आपने यह जरूर सुना होगा कि बाघ को बचने से एक पूरा का पूरा जंगल बच जाता है. आखिर ऐसा क्यों  कहा जाता है. अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौका यह समझने के लिए बहुत ही अच्छा अवसर है जो हर साल  29 जुलाई को बाघों के संरक्षण और उनकी आबादी के बढ़ाने के लिए प्रयासों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है.

ज्यादा पुराना नहीं है ये दिवस
29 जुलाई 2010 में दुनिया के 13 देशों, जिसमें भारत भी शामिल था, रूस में सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर शिखर सम्मेलन किया था. जिसमें इन देशों ने एक करार किया था जिसके मुताबिक उन्होंने साल 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुना करने का संकल्प लेने के साथ ही दुनिया में बाघों की घटती आबादी के प्रति जागरूकता फैलाने के साथ उनके प्राकृतिक आवासों को भी बचाने के लिए प्रयास करने का फैसला किया था.

जंगल से गहरा संबंध
बाघों का एक बहुत बड़ा आवासीय क्षेत्र होता है. इनका और जंगलों का गहरा संबंध होता है. वे यहां एक शीर्ष शिकारी की तरह शिकार करते हैं और एक विस्तृत और स्वस्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र का संकेत होते हैं. वे जंगलों को कई तरह के खतरों से बचाते हैं जिनमें इंसानों के आवासीय दखल को रोकना भी शामिल है. इतना ही नहीं वे जंगल के साथ जंगल की नदी को बचाने का काम भी करते हैं.

आवास बचाते हैं जंगल
वास्तव में बाघ किसी जंगल को नहीं बल्कि के एक नाजुक आवास को बचाने का काम करते हैं. विश्व वन्यजीव निधि ने बाघ के 14 प्रमुख भूभागों का निर्धारण किया है जो कटिबंधीय, सदाबहार, मोन्टेन, बोरियल और कांट वाली झाड़ियों के जंगल हैं. यहां बाघों की उपस्थिति सरकार को इन जगलों के वनों की कटाई से संरक्षित करने के लिए प्रेरित करती है.

जंगल सहेजने के लाभ
ये बाघों के संरक्षणों के प्रयासों का ही नतीजा है कि जंगलों के भूभाग संरक्षित रहते हैं, कार्बन सहेजते हैं और जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने में मदद करते हैं और साथ ही जैवविविधता को भी कायम रखते हैं, पोषित करते हैं. लेकिन यहां यह समझना जरूरी है कि यह केवल बाघों के लिए ही नहीं है और बाघों को संरक्षित करना भी आसान नहीं है.

संसाधनों और निवेश की जरूरत
बाधों को संरक्षण के लिए बहुत सारे संसाधनों और निवेश की जरूरत होती है.  इसमें रेजर्स की भर्ती, स्थानीय समुदायों से साझेदारी के साथ ही संरक्षण पर निगरानी और बेंचमार्किंग की भी जरूरत होती है. अगर हम इसकी प्रगति का मापन कर सकें तो हम जानते हैं कि कहां और कैसे सरकरों को अपने संसाधनों पर निवेश करना है.

प्रबंधन की कारगरता का मापन
इसी मकसद को पूरा करने का काम कंजरवेशन एश्योर्ड टाइगर स्टैंडर्ड (CA|TS) को डिजाइन किया गया है. इसके जरिए इलाकों के प्रबंधन की प्रभावोत्पादकता का मापन,  प्रगति पर निगरानी, और जंगलों में बाघों की बहाली सुनिश्चित की जाती है. यह समझना जरूरी है कि एक जीवित जंगल का मूल्य उसकी लकड़ी के मूल्य से कहीं ज्यादा कीमती है.

किसी इलाके में CA|TS के उपयोग का तरीका संरक्षण का एक ज्यादा विश्वनीय मापन है. इसमें पूरे भूभाग के संवेनदनशील इलाकों के वन प्रबंधन को बेहतर करने का लक्ष्य होता है जिससे वह बाघों के लिए आदर्श और सुरक्षित जगह बन सके. जंगल दुनिया भर में स्थानीय समुदायों के लिए भोजन, दवा और अन्य संसाधनों का प्राकृतिक सुपरमार्केट है. बाघों और जंगलों का अध्ययन उनके बीच के गहरे संबंध को आपसी निर्भरता की और ज्यादा जानकारी देता है.

   (‘न्यूज़ 18 हिंदी’ के साभार )

 

 

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