विकास शर्मा
बुजुर्गों पर हुए अध्ययन में पाया गया है कि प्रकृति के साथ समय बिताने से और वहां के वातावरण में सामाजिक मेल जोल को बढ़ाने से शारीरिक और मानसिक सेहत के साथ जीवन की गुणवत्ता बेहतर होती है. इस अध्ययन के नतीजे उनके कंपनियों के लिए बहुत काम के हैं जो बुजुर्गों के लिए अवकाश परियोजनाएं तैयार करती हैं.
प्रकृति और सेहत के संबंधों पर बहुत से अध्ययन हुए हैं. इनमें दलील दी जाती है कि प्रकृति के सान्निध्य में समय बिताने के बहुत सारे मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक, और शारीरिक लाभ होते हैं. नए अध्ययन में पाया गया है कि प्राकृतिक क्षेत्र में नियमित रूप से समय बिताने वाले 65 साल की उम्र के बुजुर्गों के समूह के नजरिए, विश्वास और गतिविधियों की पड़ताल करने पर पाया गया है कि ऐसे वातावरण में सामाजिक नातों को पोषित करने से सेहत और जीवन की गुणवत्ता बेहतर होती है.
जापान में शिनिरिन योकू “वनस्नान” को कहते हैं जिसका मतलब कि अपने सभी संवेदनाओं के साथ प्रकृति के साथ समय बिताना होता है. जिन बुजुर्गों को चढ़ाई करने में परेशानी होती हैं, वन स्नान प्रकृति के साथ समय बिदाने का मजेदार और सुरक्षित विकल्प हो सकता है. वास्तव में यह गतिविधि जापान, चीन, ताइवान सहित अमेरिका में भी लोकप्रिय हो रही है.
साल 2022 में अप्रैल और जून के बीच अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने 292 बुजुर्ग यात्रियों का एक जत्थे का सर्वे किया जो जिंतोउ नेचर एजुकेशन एरिया में घूमने आए थे जो ताइवान का एक प्राकृतिक पर्यटन स्थल है. 65 साल ऊपर की उम्र के लोगों के जत्थे के प्रतिभियों ने हफ्ते में कम से कम एक बार पार्क में समय बिताया जहां उनसे, उन्हें दूसरों की मदद करना कैसा लगता है, वे अपने भविष्य के बारे में क्या सोचते हैं, जैसे बहुत सारे सवाल पूछे गए थे.
विश्लेषण में खुलासा हुआ कि जिन लोगों ने दूसरों के साथ प्रकृति में रहते हुए अपने अनुभव साझा किए थे उनमें वन स्नान से ज्यादा लगाव और जीवन के उद्देश्यों प्रति ज्यादा संवेदना थी. शोधकर्ताओं के मुताबिक ये वो कारक हैं जो बेहतर मानसिक और शारीरिक सेहत के साथ बेहतर जीवन गुणवत्ता से संबंधित हैं. ये नतीजे उन लोगों के लिए बहुत उपयोगी हो सकती है जो बुजुर्गों के लिए एक बेहतरीन रिटायर्ड जीवन देने के लिए परियोजनाओं पर काम करते हैं.
पेनसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी में रीक्रिएशन, पार्क एंड टूरिज्म मैनेजमेंट के प्रोफेर और अध्ययन के सहलेखक जॉनडाटिलो ने बताया कि बुजुर्ग समुदायों और राज्यों के पार्क तक जा सकते हैं जहां उनके लिए प्रकृति के साथ समय बिताना सुरक्षित हो सकता है. ऐसी जगहों पर पैदल चलने की जगह, सुविधाजनक पार्किंग भी मददगार होती है. फुरसत या अवकाश की सेवाएं प्रदाता परिवाहन सुविधाओं की व्यवस्था करा सकते हैं और उसके बाद वे प्रतिभागियों के बीच सामाजिक अतरक्रियाएं भी करा सकते हैं.
वनस्नान का एक पहलू यह है कि लोगों के आसपास प्रकृति का अनुभव के लिए उनको बाहर लाना होता है . यह उसी का हिस्सा है जिसमें शोधकर्ताओं ने सकारातमक सामाजिक संबंध और प्रकृति के साथ समय बिताने की बीच कड़ी पाई है. इसलिए अवकाश सेवा प्रादाता बुजुर्गों के लिए इस तरह के अनुभव की सेवा बनाते हैं जहां वे अनुभवों की बात कर सकें तो इसमें लोगों के बीच संबंधों का मूल्य भी होगा.
शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसा लगता है कि वन स्नान लोगों को वर्तमान और दुनिया से जोड़ने का काम करता है. और जब बुजुर्ग उसी अनुभव को सामाजिक कड़ियों को जोड़ने और सहयोग के लिए उपयोग करते है, उन्हें इसके बहुत से शारीरिक कार्य और संज्ञानात्मक सेहत में फायदा हो सकता है. यह अध्ययन लेश्जर साइंसेस में प्रकाशित हुआ है.
(‘न्यूज 18 हिन्दी’ से साभार )