विकास शर्मा

20 मार्च को हर साल इंटरनेशनल डे ऑफ हैप्पीनेस मनाया जाता है. साल 2013 में सयुंक्त राष्ट्र ने इसे मानना शुरू किया था. इसका उद्देश्य आर्थिक वृद्धि की नीति को समावेशी बनाना है जिससे सभी लोगों का सेहतमंद और खुशियों वाला जीवन प्रोत्साहित हो सके. खुश रहने के लिए आपको बहुत कुछ करने की जरूरत बिल्कुल नहीं होती है, बल्कि कुछ चीजों से आप खुद को हैप्पी रख सकते हैं. स्पेशल डे पर जानिए कैसें रहें हैप्पी- खुद को खुश रखना काफी ज्यादा जरूरी है. खुश रहना अपने आप में कई बीमारियों को दूर रखने का सबसे आसान और कारगर उपाय है.

अच्छे और आदर्श जीवन के पैमाने का सबसे मुख्य पहलू क्या होना चाहिए. सारी सुविधाएं, स्वस्थ्य जीवन या फिर खुशहाल जीवन. इसमें कोई शक नहीं एक खुशहाली के आगे जीवन के सारे लक्ष्य फीके या कमजोर हैं. यानि अगर किसी लक्ष्य को हासिल करने के बाद खुशी नहीं होती है तो उसकी सार्थकता अपने आप ही खत्म ही हो जाती है. इसलिए संयुक्तराष्ट्र के लक्ष्यों में खुशियां भी हैं, खुशियों का सूचकांक भी है और खुशियों के लिए संयुक्त राष्ट्र कि दिवस भी है जो हर साल 20 मार्च को मनाया जाता है. इस साल खुशियों के लिए सचेत, कृतज्ञ और उदार रहने पर जोर दिया जा रहा है.

एक समाज सेवी के प्रयासों का नतीजा
संयुक्त राष्ट्र संसार के लोगों में खुशी के महत्व के प्रति जागरुकता को बढ़ाने के लिए यह दिन मनाता है. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 12 जुलाई 2012 को इसे मनाने का संकल्प लिया था. इस दिवस को मनाने के पीछ प्रसिद्ध समाज सेवी जेमी इलियन की कोशिशें थी जिससे संयुक्त राष्ट्र के महासचिव जनरल बान की मून को प्रेरित हुए और इन्ही प्रयासों का नतीजा रहा कि 20 मार्च का दिन 2013 को इंटरनेशल डे ऑफ हैप्पीनेस घोषित किया गया.

कितनी अहमियत है खुशी की
खुशियां हासिल करने के कई तरीके हैं लेकिन सबसे जरूरी बात हमें जो ध्यान रखना चाहिए कि हमें जिन उद्देश्यों और लक्ष्यों के लिए जी रहे हैं उनमें खुशियों का क्या स्थान है यह जरूर तय करें. हमारे में मूल्यों के तंत्र में खुशियों का क्या स्थान हैं यह विचार करना भी जरूरी है. आखिर हम किस हद तक जाकर खुशियां हासिल करना चाहते हैं और उसके क्या क्या खोने के लिए तैयार हैं.

कई तरह के उपाय
इसमें कोई शक नहीं कि मानवों के उद्देश्यों में खुशी और सुकून ही अंतिम लक्ष्यों में शामिल होते हैं. लेकिन इसे हासिल करने के लिए हमें क्या करना चाहिए बल्कि हम क्या क्या  कर सकते हैं इसको लेकर डॉक्टर, मनोचिकित्सक, आध्यात्मिक और धार्मिक गुरू कई तरह के उपाय सुझाते हैं. इस पर कई तरह के वैज्ञानिक शोध भी हुए हैं.

इस साल के तीन बड़े मंत्र
इस साल संयुक्त राष्ट्र ने अपनी थीम, “बी माइंडफुल, बी ग्रेटफुल, बी काइंड” यानि “सचेत रहें. कृतज्ञ रहें, उदार रहे” रखी है. सचेतन हो कर हम खुशियों का सही तरह से और संपूर्ण आनंद ले सकेंगे.  वहीं कृतज्ञता का भाव ही हमें खुशीयों के करीब लाता और उससे दूर जाने से बचाने का काम करता है. जबकि उदारता हमारी खुशियों को सही, सच्चा और सार्थक आकार देने का काम करेगी.

कई समस्याओं का हल
हैरानी की बात है कि इस बात को अक्सर ही नजरअंदाज कर दिया जाता है कि खुशियां हमारी कई समस्याओं का एक साथ समाधान पैदा करने का काम करती हैं. जैसे खुश व्यक्ति ज्यादा सेहतमंद होता है. उसके जीवन में ना केवल तनाव कम होता है बल्कि उसमें तनाव झेलने की क्षमता भी अधिक हो जाती है.

केवल महत्व याद रखना ही बहुत
इससेभी रोचक बात यह भी है कि एक दूसरे को केवल खुशियों के महत्व को ही याद दिलाते रहने से हम खुद को कई उलझनों में फंसाने से बचा सकते हैं. खुशियों को केंद्र में रखने से हम लोगो को अपने बेहतरी के लिए प्राथमिकताएं तय करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं और उसके साथ ही उनकी साकारत्मक मानसिक सेहत को भी बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं.

खुशियों से संबंधित एक और अनोखी बात यह है कि खुशी के लिए बहुत बड़े प्रयास करना जरूरी नहीं है हम छोटे छोटे कामों से भी खुशियां हासिल कर सकते हैं और एक मुस्कुराहट से आसान क्या हो सकता है. अपनों और बच्चों के मुख पर मुस्कुराहट अपने आप ही हमारे चेहरे पर भी सुकून, मुस्कुराहट और खुशी के भाव आ जाते हैं.

   (‘न्यूज 18 हिन्दी’ से साभार )

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