शंकर पंडित

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ का कहना है कि चंद्रयान-3 का रोवर ‘प्रज्ञान’ चंद्रमा की सतह पर सुप्तावस्था में है, लेकिन इसके फिर से सक्रिय होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी इस बात से भली-भांति अवगत है कि रोवर और लैंडर ‘विक्रम’ चंद्रमा की सतह पर सुप्तावस्था या निष्क्रय अवस्था में चले गये हैं. उन्होंने कहा कि ‘चंद्रयान-3’ मिशन का उद्देश्य ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ था और इसके बाद अगले 14 दिन तक प्रयोग किए गए और सभी जरूरी आंकड़े एकत्र कर लिये गये हैं.

चंद्रयान-3 के प्रज्ञान और विक्रम को लेकर कितनी उम्मीद रखनी चाहिए और कितनी नहीं, इसे लेकर नया अपडेट सामने आया है. इसरो यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का महत्वाकांक्षी मून मिशन चंद्रयान-3 फिलहाल चंद्रमा पर निष्क्रिय अवस्था यानी सुप्त अवस्था में है. मिशन चंद्रयान-3 को हमेशा के लिए स्लीप मोड में डाल दिया गया है. बता दें कि चंद्रयान-3 इसी साल 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरा था और उसके रोवर प्रज्ञान और विक्रम लैंडर ने कइ प्रयोग किए. फिलहाल, दोनों स्लीप मोड में हैं. इसरो प्रमुख एस सोमनाथ का कहना है कि जब तक मिशन पूरा नहीं हो जाता, चंद्रयान-3 कभी पृथ्वी पर वापस नहीं आएगा और हमेशा चंद्रमा की सतह पर ही रहेगा. विक्रम लैंडर अपना काम बहुत अच्छे से करने के बाद चंद्रमा पर खुशी से सो रहा है.

दरअसल, चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को निष्क्रिय कर दिया गया है और अब चंद्रमा पर उनके सामने सबसे बड़ा खतरा सूक्ष्म उल्कापिंड प्रभावों का है, जो चंद्रमा की सतह पर बमबारी करते रहते हैं. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि रोवर प्रज्ञान और विक्रम लैंडर दोनों माइक्रोमीटरोइड्स से प्रभावित हो सकते हैं, जो चंद्रमा की सतह पर बमबारी करते रहते हैं. उन्होंने कहा कि इसरो को इसकी जानकारी है, क्योंकि अतीत में अन्य मिशनों को इसी तरह का नुकसान उठाना पड़ा था, जिसमें अपोलो अंतरिक्ष यान भी शामिल था जो चंद्रमा की सतह पर रह गया था.

सूर्य से विकिरण की बमबारी का खतरा
रिपोर्ट में मणिपाल सेंटर फॉर नेचुरल साइंसेज के प्रोफेसर और निदेशक डॉ. पी. श्रीकुमार के हवाले से बताया गया कि चूंकि चंद्रमा पर कोई वायुमंडल या ऑक्सीजन नहीं है, इसलिए अंतरिक्ष यान के क्षरण का कोई खतरा नहीं है. मगर जो देखा जाना बाकी है, वह सूक्ष्म उल्कापिंड प्रभाव है, जो लंबी चंद्र रात के ठंडे तापमान के अलावा अंतरिक्ष यान को और नुकसान पहुंचा सकते हैं. प्रोफेसर ने आगे कहा कि चूंकि चंद्रमा पर कोई वायुमंडल नहीं है इसलिए सूर्य से लगातार विकिरण बमबारी भी हो रही है. इससे चंद्रयान-3 को कुछ नुकसान भी हो सकता है. हालांकि, हमें अभी तक पता नहीं है कि अब आगे क्या होगा क्योंकि इसके बारे में हमारे पास भी ज्यादा डेटा नहीं है.

चांद पर मौजूद धूल रोवर और लैंडर को करेंगे खराब?
इतना ही नहीं, चंद्रमा की धूल भी विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान की सतह तक पहुंच जाएगी. धरती की धूल के विपरीत चंद्रमा पर हवा की अनुपस्थिति के कारण चंद्रमा की धूल रोवर और लैंडर से चिपक सकती है. इस बात को पुष्ट करने के लिए डेटा उपलब्ध है कि चंद्रयान-3 पर धूल कैसे जगह घेरती है, जैसा कि अपोलो मिशन के दौरान देखा गया था. बहरहाल, चंद्रयान-3 के अब तक के प्रदर्शन से इसरो वैज्ञानिक संतुष्ट हैं क्योंकि चंद्रयान-3 ने वही किया, जो उसे चंद्रमा पर करने के लिए बनाया गया था और स्लीप मोड में जाने से पहले अपना 14-दिवसीय लंबा मिशन सफलतापूर्वक पूरा किया.

इसरो प्रमुख ने दिया चंद्रयान-3 पर अपडेट
वहीं, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ का कहना है कि चंद्रयान-3 का रोवर ‘प्रज्ञान’ चंद्रमा की सतह पर सुप्तावस्था में है, लेकिन इसके फिर से सक्रिय होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी इस बात से भली-भांति अवगत है कि रोवर और लैंडर ‘विक्रम’ चंद्रमा की सतह पर सुप्तावस्था या निष्क्रय अवस्था में चले गये हैं. उन्होंने कहा कि ‘चंद्रयान-3’ मिशन का उद्देश्य ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ था और इसके बाद अगले 14 दिन तक प्रयोग किए गए और सभी जरूरी आंकड़े एकत्र कर लिये गये हैं.

इसरो प्रमुख को अब भी है रोवर और लैंडर के सक्रिय होने की उम्मीद
सोमनाथ ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि अब यह वहां शांति से सो रहा है. इसे अच्छे से सोने दो..हम इसे परेशान न करें…जब यह अपने आप उठना चाहेगा, तो उठेगा…मैं अभी इसके बारे में यही कहना चाहता हूं. यह पूछे जाने पर कि क्या इसरो को अब भी उम्मीद है कि रोवर फिर से सक्रिय हो जाएगा, उन्होंने कहा कि उम्मीद रखने का कारण है. सोमनाथ ने अपनी ‘उम्मीद’ के कारण बताते हुए कहा कि इस मिशन में एक लैंडर और एक रोवर शामिल थे. उन्होंने बताया कि चूंकि लैंडर एक विशाल संरचना है, इसलिए इसका पूरी तरह से परीक्षण नहीं किया जा सका. उन्होंने कहा कि लेकिन जब रोवर का परीक्षण शून्य से 200 डिग्री सेल्सियस नीचे पर किया गया, तो यह उससे भी कम तापमान पर काम करता हुआ पाया गया. इसरो प्रमुख ने स्पष्ट किया कि ‘चंद्रयान-3’ मिशन का उद्देश्य पूरा हो गया है. उन्होंने कहा कि इसरो मिशन के माध्यम से एकत्र किए गए वैज्ञानिक डेटा का पता लगाने की कोशिश कर रहा है.

कब चांद पर लैंड हुआ था चंद्रयान-3
बता दें कि गत 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरने के बाद, लैंडर तथा रोवर और पेलोड ने एक के बाद एक प्रयोग किए ताकि उन्हें 14 पृथ्वी दिन (एक चंद्र दिवस) के भीतर पूरा किया जा सके. चंद्रमा पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है. पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा पर रात्रि की शुरुआत होने से पहले, लैंडर और रोवर दोनों क्रमशः चार और दो सितंबर को सुप्तावस्था या निष्क्रय अवस्था (स्लीप मोड) में चले गये थे. इसरो ने 22 सितंबर को कहा था कि उसने अपने चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ के लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ के साथ सम्पर्क करने के प्रयास किए हैं, ताकि उनके सक्रिय होने की स्थिति का पता लगाया जा सके लेकिन अभी तक उनसे कोई सिग्नल नहीं मिला है.

     (‘न्यूज़ 18 हिंदी’ से साभार )

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