दीपक मिश्रा
इसरो के अनुसार, एसएसएलवी ‘लॉन्च-ऑन-डिमांड’ के आधार पर पृथ्वी की निचली कक्षाओं में 500 किलोग्राम तक के उपग्रहों के प्रक्षेपण को पूरा करता है. रॉकेट SSLV-D2 बहुत कम लागत में अंतरिक्ष तक पहुंच प्रदान करता है, कम टर्न-अराउंड समय और कई उपग्रहों को एक साथ अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित करने में सक्षम है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से अपने लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV-D2) के दूसरे संस्करण को आज लॉन्च कर दिया. यह लॉन्चिंग आज सुबह 9:18 मिनट पर हुई. इसरो ने कहा कि उसके नए रॉकेट SSLV-D2 ने अपनी 15 मिनट की उड़ान के दौरान 3 उपग्रहों – इसरो के EOS-07, अमेरिका स्थित फर्म Antaris के Janus-1, और चेन्नई स्थित अंतरिक्ष स्टार्टअप SpaceKidz के AzaadiSAT-2 को 450 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया.
इसरो के अनुसार, एसएसएलवी ‘लॉन्च-ऑन-डिमांड’ के आधार पर पृथ्वी की निचली कक्षाओं में 500 किलोग्राम तक के उपग्रहों के प्रक्षेपण को पूरा करता है. रॉकेट SSLV-D2 बहुत कम लागत में अंतरिक्ष तक पहुंच प्रदान करता है, कम टर्न-अराउंड समय और कई उपग्रहों को एक साथ अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापितक करने में सक्षम है. इसको का यह रॉकेट न्यूनतम लॉन्च इंफ्रास्ट्रक्चर की मांग करता है. SSLV एक 34 मीटर लंबा, 2 मीटर व्यास वाला लॉन्च व्हिकल है, जिसका उत्थापन भार 120 टन है. रॉकेट को 3 सॉलिड प्रोपल्शन स्टेज और 1 वेलोसिटी टर्मिनल मॉड्यूल के साथ कॉन्फिगर किया गया है.
एसएसएलवी की पहली परीक्षण उड़ान पिछले साल 9 अगस्त को आंशिक रूप से विफल रही थी, जब प्रक्षेपण यान के ऊपरी चरण ने वेलोसिटी में कमी के कारण उपग्रह को अत्यधिक अण्डाकार अस्थिर कक्षा में पहुंचा दिया था. इसरो के अनुसार, इस परीक्षण की विफलता की जांच से यह भी पता चला था कि रॉकेट के दूसरे चरण के अलगाव के दौरान इक्विपमेंट बे डेक पर एक छोटी अवधि के लिए कंपन भी हुआ था. वाइब्रेशन ने रॉकेट के इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS) को प्रभावित किया. फॉल्ट डिटेक्शन एंड आइसोलेशन (FDI) सॉफ्टवेयर का सेंसर भी प्रभावित हुआ था.
SSLV को अभी आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड से लॉन्च किया जाएगा. कुछ समय बाद इस रॉकेट की लॉन्चिंग के लिए श्रीहरिकोटा के एसडीएससी में एक स्मॉल सैटेलाइल लॉन्च कॉम्प्लेक्स (SSLC) बना बनेगा. तमिलनाडु के कुलाशेखरापट्नम में नया स्पेस पोर्ट भी बन रहा है. उसके तैयार होने पर एसएसएलवी की लॉन्चिंग वहीं से होगी. इसरो के मुताबिक SSLV के एक यूनिट की लॉन्चिंग पर 30 करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जबकि PSLV के एक यूनिट की लॉन्चिंग में यह खर्च 130 से 200 करोड़ रुपये के बीच बैठता है. यानी जितने में 1 पीएसएलवी रॉकेट जाता था, उतनी कीमत में 4 SSLV लॉन्च होंगे. हालांकि, इससे सिर्फ कम वजनी उपग्रह ही अंतरिक्ष में भेजे जा सकेंगे.
(‘न्यूज 18 हिन्दी’ से साभार )