विकास शर्मा

दुनिया में भूकंप की वजह से आने वाली तबाही काफी कम हो सकती है.तुर्किए सीरिया में आए भूकंप हमें सिखाते हैं कि हमें अपने शहरों का नियोजन और डिजाइनिंग ऐसे करना होगा जिससे नुकसान ना हो और पूरा का पूरा शहर ही भूकंप के झटके झेल सके. दुनिया में अभी कई जगह ऐसे शहर मौजूद भी हैं.

तुर्किये और सीरिया में आए भूकंप के कारण मची तबाही वहां की कमजोर इमारतें ज्यादा बड़ा कारण साबित हुई हैं. हाल ही में तुर्किये की सरकार ने उन बिल्डरों पर कार्रवाई करने का फैसला किया है जिनकी बनाई इमारतें बहुत कमजोर साबित हुईं. तुर्किये उन देशों में शामिल है जहां भूकंप आने की संभावना हमेशा बनी रहती है और पहले भी तुर्की में भूकंप आ चुके हैं, लेकिन इस बार उससे हुई तबाही अभूतपूर्व थी. ऐसे में इस बात की चर्चा भी है कि क्या वास्तव में ऐसा शहर विकसित किया जा सकता है तो पूरी  तरह से भूकंपरोधी हो यानि भूकंप से अप्रभावित हो? अगर वास्तव में यह संभव है तो ऐसा शहर आखिर होगा कैसा?

भूकंप का असर और तैयारी
भूकंपों जैसी प्राकृतिक आपदा अन्य आपदाओं से अलग होती हैं. इनके बारे में मौसम की तरह पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है. लेकिन अब तक आए भूकंपों की तरंगों के अध्ययन हमें उनके बारे में इतनी जानकारी तो दे ही दी है कि हम ऐसी व्यवस्था कर सकें इससे होने वाला नुकसान कम हो सके. इसी कड़ी में इमारतों की मजबूती एक ऐसा पहलू है जिस पर बात हो रही है कि क्या हम ऐसा शहर बना भी सकते हैं या नहीं.

क्या होता है भूकंप आने पर
तार्किक तौर पर कहें तो बिलकुल ऐसा असंभव तो नहीं है. इसके लिए पहले भूकंप और उसके असर को समझें जब भूकंप आता है तो धरती कांपती हैं क्योंकि पृथ्वी की पर्पटी में से सतह की ओर शक्तिशाली ऊर्जावान तरंगे आती हैं दो सतह को कंपा देती हैं. इन तरंगों में इतनी शक्ति होती है कि पर्वतों तक को गिरा सकती हैं. लेकिन ये केवल कमजोर सरंचना को ही गिरा सकती हैं.

मजबूत नींव है अहम
लेकिन यहां एक पेच हैं अगर कोई छोटे लेकिन लंबा पत्थर या कंक्रीट का स्तंभ मजबूत नींव के साथ खड़ा हो तो बहुत तेज भकंप भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं. यहीं इंजिनियरिंग और डिजाइन का पहलू शामिल हो जाता है जो हमारे पहले सवाल का जवाब देता है कि हमारी संरचनाएं मजबूत हों तो भूकंप से बच सकती हैं यानि भूकंपरोधी शहर की अवधारणा कपोल कल्पना नहीं हैं.

बिलकुल संभव है ये क्योंकि
इस बात की गवाही इतिहास में आए भूकंप ही दे देते हैं. और जिन देशों में भूकंप ज्यादा आते हैं या आ सकते हैं, जैसे की जापान, वहां तो लोगों को इस बात का प्रशिक्षण भी दिया जाता है कि अचानक भूकंप आने पर क्या करना चाहिए. इमारतों सहित सभी बड़ी मानवीय संरचनाओं की डिजाइन करते समय इस  बात का ख्याल रखा जाता है कि अगर भूकंप आए तो संरचना उसके झटके झेल सके. दुनिया भर के बांधो में इस बात का खास तौर पर ध्यान रखा जाता है.

डिजाइन सबसे अहम
इमारतों की डिजाइन सबसे अहम पहलू है और इस बात का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है कि यह डिजाइन भूकंप के लिहाज से भी मजबूत होनी चाहिए. भारत जैसे देश में अधिकांश रिहायशी मकान खास तौर पर से उपनगरीय और ग्रामीण इलाकों में डिजाइन के बिना और इंजिनियर तक की निगरानी के बिना बना दिए जाते हैं. लेकिन भूकंपरोधी शहर की इमारतों में तमाम डिजाइन पैमानों और मानकों का ख्याल रखा जाता है जिनमें भूकंप के कारकों को शामिल किया गया है.

आसपास की इमारत
इसके अलावा आसपास का इलाका भी अहम होता है. यानि अगर भूकंपरोधी इमारत एक कमोजर इमारत के ठीक बगल में बनी हो और वहीं इमारत भूकंपरोधी इमारत पर गिर जाए तो वह भी गिर सकती है यानि इमारत की डिजाइन के साथ आसपास के हालात भी देखना जरूरी है. यहां तक कि पास में कोई कमजोर पहाड़ भी बड़े नुकासन का सबब बन सकता है.

पहाड़ों और पर्वतों में इस बात खास ख्याल रखना होता है कि इमारतें भूस्खलन का शिकार तो नहीं हो जाएंगी यानि यहां पूरे के पूरे शहर की डिजाइन ही अहम हो जाएगी. नेपाल सहित  भारत के हिमालय के इलाके इस लिहाज से बहुत संवेदनशील हैं. ऐसे में जापान में पर्वतों पर शहर नियोजित करने से बचा जाता है क्योंकि पूरा जापान ही भूकंप के लिए संवेदनशील है. जापान के अमेरिका में दक्षिणी कैलिफोर्निया के कई शहरों को भूकंप को ध्यान में रख कर ही डिजाइन किया गया है और यकीन मानिए सहि आंकलन किया जाए तो ये सस्ते भी पड़ सकते हैं.

   (‘न्यूज 18 हिन्दी’से साभार )

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