दीप राज दीपक

हूगरबीट्स ने तुर्किये क्षेत्र में भूकंप आने की की भविष्यवाणी की थी. हूगरबीट्स की अन्य वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो रहा है. वीडियो में वे भारतीय उपमहाद्वीप के हिंद महासागर क्षेत्र पर यानी भारत-पाकिस्तान सहित अफगानिस्तान के आसपास के कई इलाकों में बड़ा भूकंप आने का दावा कर रहे हैं.

तुर्किए और सीरिया में आए भयानक भूकंप ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है. तुर्किए में भूकंप आए भूकंप के साथ-साथ डच शोधकर्ता फ्रैंक हूगरबीट्स अभी चर्चा का विषय बने हुए हैं. उन्होंने तुर्किए और उसके पड़ोसी क्षेत्रों में खतरनाक भूकंप के बारे में भविष्यवाणी की थी, बता दें कि तुर्किए में आए भूकंप से अब तक 33,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. अभी हाल में ही हूगरबीट्स की अन्य वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में वे भारतीय उपमहाद्वीप के हिंद महासागर क्षेत्र पर यानी भारत-पाकिस्तान सहित अफगानिस्तान के आसपास के कई इलाकों में बड़ा भूकंप आने का दावा कर रहे हैं.

कौन है हूगरबीट्स?

फ्रैंक हूगरबीट्स सोलर सिस्टम ज्योमेट्री सर्वे (SSGEOS) के लिए काम करते हैं. फ्रैंक हूगरबीट्स ग्रहों की गति को आधार बना कर पृथ्वी पर भूकंप की भविष्यवाणी करते हैं. SSGEOS एक शोध संस्थान है, जो भूकंप की गतिविधि का अनुमान लगाने के लिए आकाशीय पिंडों जैसे ग्रहों की निगरानी करता है. फ्रैंक तुर्किये और उसके आसपास के क्षेत्रों में भूकंप आने की भविष्यवाणी की थी.

फ्रैंक के दावों पर उठा सवाल

ट्विटर पर फ्रैंक के दावों को लेकर कई सवाल खड़े किये गए गए हैं. वहीं, फ्रैंक का भी कहना है कि भूकंप की भविष्यवाणी सैद्धांतिक रू से सही नहीं होता है. वहीं, अमेरिकी भूवैज्ञानिकों का मानना है कि भूकंपीय घटनाओं का सटीक भविष्यवाणी संभव नहीं है.

भारतीय उपमहाद्वीप में भूकंप का अनुमान

फ्रैंक ने अफगानिस्तान, पाकिस्तान  और भारत के साथ हिंद महासागर क्षेत्र तक शक्तिशाली भूकंप आने की भी भविष्यवाणी की है. फ्रेंक खुद कहते हैं कि ये साफ नहीं है कि अफगानिस्तान से शुरू होकर भूकंप हिंद महासागर तक जाएगा. लेकिन फ्रैंक ने अपने अनुमान को लेकर सौ फीसद आश्वस्त नहीं हैं. उन्होंने 2001 में भारत में आये भूकंप की तरह तबाही का अनुमान लगा रहे हैं लेकिन आगे ये जोड़ कर कह रहे हैं कि ये शत प्रतिशत सही नहीं हो सकता है.

भारतीय वैज्ञानिकों से बात करने को तैयार

फ्रैंक ने मीडिया को बताया कि अगर भारत सरकार इजाजत देती है तो वे भारतीय वैज्ञानिकों से इस बारे में अपना ज्ञान साझा करने को तैयार हैं.

( न्यूज 18 हिन्दी से साभार )

Spread the information

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *