संतोष कुमार

बच्चे कई बार ऐसे सवाल पूछ बैठते हैं, जिनके बारे में हम सपने में भी नहीं सोचते. वे बेहद सामान्य बातें होती हैं, लेकिन अचानक जवाब नहीं सूझता. ऐसे ही एक बातूनी बेटी के सवाल पर आज चर्चा करते हैं.

टेलीविजन और इंटरनेट की दुनिया ने बच्चों को बहुत ही क्यूरियस बना दिया है. टेलीविजन पर बच्चों के तमाम प्रोग्राम्स में उन्हें बहुत इंटेलीजेंट और बातूनी दिखाया जाता है. इससे आजकल नॉर्मल लाइफ में भी बच्चे काफी क्यूरियस हो गए हैं. वे डेली लाइफ की हर छोटी-बड़ी चीज के पीछे लॉजिक तलाशते हैं. कुछ ऐसी ही कहानी है एक 6-7 साल की बातूनी बेटी की. वह अपने पापा की लाडली रहती है. पापा उसके आइडियल होते हैं. वह अपने पापा को किसी सुपर मैन से कम नहीं समझती. वह मानती है कि पापा के पास ज्ञान का भंडार है. लेकिन, एक दिन इस बातूनी बेटी के सवाल पर पापा क्लिन बोल्ड हो जाते हैं.

दरअसल, सुबह का समय था. पापा नाश्ते में बॉइल ऐग ले रहे होते हैं. वह साथ में अपनी लाडली को भी ऐग खिला रहे होते हैं. वह बेटी से ऐग के फायदे और उसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन होने की बात बताते हैं. लेकिन, इस बीच बातूनी बेटी के दिमाग में कुछ और चल रहा होता है. दरअसल, बीते शाम जब पापा ऐग लेकर घर लौटे तो उसमें एक अड्डा बेटी ने तोड़ दिया था. वह पूरी फर्श पर फैल गया. बेटी के दिमाग में यह घटना सुबह तक ताजी थी. सुबह में जब पापा ऐग खा रहे थे तो उसने तपाक से उनसे सवाल कर दिया कि यह तो लिक्विड था पापा, अब सॉलिड कैसे बन गया. इस पर पापा एक मिनट के लिए चुप हो गए फिर बहाने बनाने लगे. लेकिन, बातूनी बेटी मानने को तैयार नहीं थी. फिर वह बेटी से शाम में डिटेल जवाब देने का प्रोमिस कर ऑफिस निकल लिए.

ऑफिस पहुंचने के बाद पापा महोदय इस सवाल का जवाब तलाशने लगे. उन्हें कुछ ऐसा जवाब मिला. दरअसल, एक ऐग में दो पार्ट होते हैं. एक व्हाइट और दूसरा पीला. पीले वाले भाग को यॉल्क कहा जाता है. इन दोनों पार्ट में भरपूर मात्रा में फोल्डेड प्रोटीन होता है. क्वेरा वेबासाइट पर एक यूजर ने इस सवाल के जवाब में एक पोस्ट लिखा है. इस यूजर का नाम जेनिफर डोनोवन है. वह 40 साल से ज्यादा का टीचिंग का अनुभव रखती हैं. उन्होंने लिखा है कि ऐग में मौजूद प्रोटीन हीट के संपर्क में आते ही अपना शेप बदल देते हैं. इस प्रक्रिया को साइंस की भाषा में डीनेचरिंग कहा जाता है. जब ऐसा होता है तो पहले ऐग का व्हाइट वाला पार्ट सॉलिड बनता है. फिर यॉल्क भी सॉलिड बन जाता है. दरअसल, इसको इस तरह और आसानी से समझा जाता है. गर्म करते ही ऐग के अंदर एक केमिकल चेंज आता है और उसका केमिकल फॉर्मूला बदल जाता है.

एक अन्य यूजर शॉन स्टीवेन लिखते हैं. ऐग के व्हाइट वाले पार्ट को एकबुमेन कहा जाता है. इसमें 90 फीसदी पानी और 10 फीसदी प्रोटीन होता है. ये प्रोटीन एमिनो एसिड के लंबे चेन से बने होते हैं. केमिस्ट्री के जानकार इस बात को आसानी से समझ सकते हैं. मगर हम आपको सहज से सहज भाषा में इस चीज को समझाने की कोशिश करते हैं. अंडे को गर्म करने में उसमें मौजूद एमिनो एसिड की वजह से प्रोटीन शेप बदलता है. इस शेप में कई अन्य कारक काम करते हैं.

गर्म करने से सॉलिड बन जाता है प्रोटीन?
ऊपर की पूरी चर्चा का एक अर्थ यह भी निकलता है कि क्या गर्म किए जाने से प्रोटीन सॉलिड बन जाता है. इसके जवाब में शॉन लिखते हैं. जब हम प्रोटीन को गर्म करते हैं तो कुछ स्थितियों में यह सॉलिड बन जाता है. हम कह सकते हैं कि हीट की वजह से प्रोटीन का स्पेशल शेप बदल जाता है. लेकिन, यह अलग-अलग तरह के प्रोटीन और तापमान पर निर्भर करता है. अलग-अलग स्थितियों में आपको अलग-अलग रिजल्ट देखने को मिल सकते हैं. लेकिन, अंडे की स्थिति में गर्म किए जाने के बाद जो प्रोटीन सॉलिड बन जाता है वह बाद में कभी भी पानी में नहीं घुल सकता है. अंडे के प्रोटीन के बीच बॉन्डिंग जबर्दस्त हो जाती है और वे सॉलिड बन जाते हैं.

   (‘न्यूज 18 हिन्दी’ से साभार )

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