होमी जहांगीर भाभा की मौत एक विमान हादसे में हुई थी. वैसे तो यह एक दुर्घटना थी. उन्हें भारत के परमाणु कार्यक्रम का पिता कहा जाता है और यह भी माना जाता है कि अगर वे कुछ सालों तक और जिंदा रहते तो भारत बहुत पहले ही परमाणु शक्ति सम्पन्न देश बन जाता . उनकी संदिग्ध हालातों में मौत इस संदेह को मजबूती देती है कि उनकी मौत एक साजिश के तहत की गई थी.

होमी जहांगीर भाभा भारत के महान वैज्ञानिक होने के साथ साथ देश के परमाणु कार्यक्रम के जनक भी थे. उन्होंने ही देश को परमाणु ऊर्जा सम्पन्न राष्ट्र बनाने का काम उस समय किया था जब दुनिया शीत युद्ध में उलझी थी और परमाणु हथियारों की होड़ के दुष्परिणामों की भविष्यवाणी की जा रही थी. भाभा ने भी दुनिया की तत्कालीन होड़ को पहचाना था और भारत को परमाणु हथियार सम्पन्न राष्ट्र बनने की जरूरत को भी महसूस किया था. लेकिन उनकी संदिग्ध हालात में मौत इस थ्योरी को मजबूती देती है कि उनकी मौत एक साजिश के तहत हुई थी.

नाभाकीय ऊर्जा के क्षेत्र में विशेष रूचि
होमी जहांगीर भाभा का जन्म मुंबई के एक अमीर पारसी परिवार में 30 अक्टूबर 1909 को हुआ था. 18 साल की उम्र में उन्होंने कैंब्रिज यूनवर्सिटी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की और बाद में उनका रुझान भौतिकी की ओर बढ़ता गया इसलिए मैकेनिकल इंजीनियर बनने के बाद उन्होंने भौतिकी में शोधकार्य शुरू किए नाभकीय ऊर्जा को अपने प्रमुख विषय बनाया.

56 साल की उम्र में ही मौत
यह दावा किया जाता है कि अगर होमी जहांगीर भाभा की मौत विमान हादसे में न हुई होती तो शायद भारत नाभीकीय विज्ञान के क्षेत्र में कहीं बड़ी उपलब्धि हासिल कर चुका होता. कई विशेषज्ञ तो यह भी मानते हैं कि भारत 1960 के दशक में ही परमाणु शक्ति से सम्पन्न राष्ट्र बन जाता.

कैसे हुई थी मौत
भाभा की केवल 56 साल की उम्र में ही 24 जनवरी 1966 में मौत हो गई. जब वे एयर इंडिया की फ्लाइट 101 में सफर कर रहे थे  और वह विमान  फ्रांस और इटली की सीमा पर आल्प्स पर्वत श्रेणी के माउंड ब्लैंक में क्रैश हो गया था. इस दुर्घटना का आधिकरिक कारण यह बताया गया था कि जिनेवा एयरपोर्ट और पायलट के बीच विमान की स्थिति को लेकर भ्रम की स्थिति हो गई थी.

करवाई गई होगी दुर्घटना
कहा जाता है कि जिस विमान हादसे में उनकी मौत हुई थी वह जानबूझ कर कराया गया था. भारत के परमाणु कार्यक्रम पर अमेरिका को बहुत ज्यादा संदेह और आपत्ति थी इसलिए अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने भाभा के विमान की दुर्घटना करवा दी जिससे भारत का परमाणु कार्यक्रम आगे ना बढ़ सके. इस बात का कभी सिद्ध नहीं किया जा सका.

हालात भी थे कुछ ऐसे
उस समय देश के हालात भी ऐसे ही थे कि देश को परमाणु शक्ति बनने की जरूरत भी थी. नेहरु युग और 1965 में भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध के बाद भारत को सैन्य और रणनीति रूप से सम्पन्न राष्ट्र बनने की जरूरत थी. अमेरिका का यह संदेह करने की पुख्ता कारण थे कि भारत जरूर खुद को परमाणु सम्पन्न बनाने के प्रयास कर रहा होगा.

कई तरह की धारणाएं
लेकिन उस हादसे पर भी कई तरह की बाते हैं जिन पर गौर नहीं किया गया. जहां कई लोग मानते हैं कि इस दुर्घटना के लिए हालात पैदा किए गए थे तो वहीं कई लोग मानते हैं कि विमान में एक बड़ा धमाका हुआ था तो कुछ लोगों ने इसे मिसाइल या लड़ाकू विमान के जरिए गिरवाया गया, ऐसा तक संदेह जताया है. हां यह भी सच है कि इसकी ना तो साजिश के लिहाज से जांच हुई और ना ही पूर सच कभी सामने आ सका.

लेकिन कई कारण हैं जो ऐसे संदेहों को बल देने का काम करते हैं. सबसे पहला यही कि भाभा और भारतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत के बीच केवल 13 दिन का अंतर था और दोनों की मौत संदिग्ध हालात में हुई थीं. इस विमान का पता ही नहीं चला. 2017 में इस विमान हादसे के कुछ सबूत हाथ लगे थे. फ्रांस की आल्प्स पहाड़ियों में माउंट ब्लैंक पर एक खोजकर्ता को मानव अवशेष मिले थे जिनके बारे में कहा गया कि वे 1966 के एयरइंडिया के हादसे के हो सकते हैं.

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