लक्ष्मी नारायण

अमेरिका के डॉक्टरों ने इतिहास रचते हुए पहली बार एक 57 साल के मरीज में टोटल आर्टिफिशियल हार्ट को एक मरीज में इंप्लांट कर दिया है. मेडिकल जगत में यह करिश्मा से कम नहीं है. मरीज में हार्ट फेल्योर अंतिम चरण में पहुंच गया था जिसके बाद यह हार्ट लगाया गया है.

डॉक्टरों ने मेडिकल जगत में नया इतिहास रचते हुए हुए पहली बार मेटल से बना टोटल आर्टिफिशियल हार्ट को एक मरीज में इंप्लांट कर दिया है. यह आर्टिफिशियल हार्ट नेचुरल हार्ट की तरह काम करेगा. रिपोर्ट के मुताबिक बेलर कॉलेज ऑफ मेडिसीन और टेक्सास हार्ट इंस्टीट्यूट के डॉक्टरों ने पहली बार बिफाकोर टोटल आर्टिफिशियल हार्ट को मरीज में इंप्लांट किया है. इस डिवाइस को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि नेचुरल हार्ट की तरह खून को पंप कर सके ताकि आखिरी चरण वाले हार्ट फेल्योर के मरीजों के लिए भरोसेमंद विकल्प के तौर पर काम कर सके.

इस सफल इंप्लांट के बाद हार्ट फेल्योर के गंभीर मरीजों में जिंदा रहने की क्षमता बढ़ सकती है. एक तरह से यह कार्डिएक टेक्नोलॉजी में महत्वपूर्ण सफलता है. रिपोर्ट के मुताबिक 57 साल के शख्स का हार्ट फेल्योर इंड स्टेज में था. इसी मरीज में 9 जुलाई को आर्टिफिशियल हार्ट इंप्लांट किया गया. अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने नवंबर 2023 में इस इंवेस्टिगेशनल डिवाइस को ट्रायल के तौर पर मरीजों में लगाने की मंजूरी दी थी. यह ट्रायल भी अध्ययन के तौर पर किया गया है.

हार्ट ट्रांसप्लांट तक करेगा काम
इटरेस्टिंग इंजीनियरिंग की रिपोर्ट के मुताबिक इस आर्टिफिशियल हार्ट को हार्ट फेल्योर के उस मरीज में विकल्प के तौर पर लगाया जाएगा जिन्हें हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. यानी अगर किसी मरीज को हार्ट ट्रांसप्लांट किया जाना है तो जब तक उसे कोई डोनर मिल न जाए तब तक के लिए इस आर्टिफिशियल हार्ट को विकल्प के तौर पर लगाया जाता है.

इस आर्टिफिशियल हार्ट को लगाने के बाद मरीज तीन साल हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए इंतजार कर सकता है. एक तरह से यह हार्ट इस बीच की अवधि के बीच पुल की तरह काम करेगा. इस आर्टिफिशियल हार्ट को ह्यूस्टन की कंपनी ने मेग्नेटिक लेविटेशन टेक्नोलॉजी के आधार पर बनाई है. इसी टेक्नोलॉजी पर हाई स्पीड ट्रेन चलती है.

भविष्य में स्थायी हार्ट का काम करेगा
बेलर सेंट ल्यूक मेडिकल सेंटर के सर्जिकल डायरेक्टर एलेक्सिस शफी ने बताया कि यह एक तरह का डिवाइस है जो हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए लाइफ सेविंग पुल की तरह काम कर सकेगा. फिलहाल यह कम समय तक काम करता है लेकिन भविष्य की स्टडी के बाद इसे लंबे समय तक पंप करने लायक बनाया जाएगा. इस तरह एक दिन ऐसा भी हो सकता है कि यही हार्ट वर्तमान में हार्ट ट्रांसप्लांट का स्थायी विकल्प बन जाए.

फिलहाल हम उम्मीद कर रहे हैं कि टोटल आर्टिफिशियल हार्ट धीरे-धीरे लाखों लोगों की जान बचाएगा और जिन मरीजों के लिए अन्य कोई विकल्प नहीं बचा है उन मरीजों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर करेगा. आर्टिफिशियल हार्ट प्रोग्राम के तहत दुनिया भर में रिसर्च चल रही है. इस कड़ी में BiVACOR कंपनी सबसे आगे है. पिछले साल ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने रिसर्च के लिए इस कंपनी को 1.2 करोड़ डॉलर का फंड मुहैया कराया था.

कैसे बना यह हार्ट
यह हार्ट पूरी तरह से मेटल का बना हुआ है. इसमें टाइटीनियम का इस्तेमाल किया गया है जिससे वायवेंट्रिकुलर रोटरी ब्लड पंप बनाया गया है. इसके साथ ही एक मूविंग पार्ट भी है जिसका इस्तेमाल मैग्नेटिक लेविनेटेड रोटर के रूप में किया जाता है. रोटर वेंट्रिकल्स से ब्लड को पंप करने में इस्तेमाल होता है. इस आर्टिफिशियल हार्ट की कीमत फिलहाल 2 लाख डॉलर है.

       (‘न्यूज़ 18 हिंदी’ से साभार )

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