अमृत चंद्र

वैज्ञानिक इंसानी दिमाग से जुड़ी गुत्थियों को सुलझाने के लिए लगातार शोध कर रहे हैं. अब एक नए अध्‍ययन में पता चला है कि 40 की उम्र में मानव मस्तिष्‍क में बड़े बदलाव होते हैं.

भारत में ज्‍यादातर शहरों, कस्‍बों और गांवों में 60 की उम्र पार कर चुके लोगों के लिए हंसी-मजाक या तंज में कहा जाता है कि व्‍यक्ति सठिया गया है. इसको दूसरे तरीके से समझें तो उसका दिमाग पहले के मुकाबले या तो कम काम करने लगा है या अनुभव के साथ हर चीज में तर्क-वितर्क करने की क्षमता बढ़ जाती है. अब वैज्ञानिकों ने पाया है कि इंसानी दिमाग में 40 की उम्र पर भी बड़े बदलाव होते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि उम्र के साथ मस्तिष्क अहम स्‍ट्रक्‍चरल, फंक्‍शनल और मेटाबॉलिक बदलावों से गुजरता है.

वैज्ञानिकों के मुताबिक, दिमाग में उम्र और अनुभव के साथ अनुभूति तथा व्यवहार से जुड़े बदलाव होते रहते हैं. जर्नल साइकोफिजियोलॉजी में प्रकाशित समीक्षा में ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने 144 अध्ययनों का विश्‍लेषण किया. उन्‍होंने बताया कि मानव मस्तिष्क की कनेक्टिविटी हमारे जीवन काल में कैसे बदलती है? उन्होंने पाया कि 40 साल की उम्र के बाद मस्तिष्क फिर से तार-तार होने लगता है. इसलिए दिमाग के विभिन्‍न नेटवर्क ज्‍यादा एकीकृत और जुड़े हुए होते हैं. उनका कहना है कि इससे व्‍यक्ति की सोच में लचीलापन घटने लगता है. साथ ही वह कम प्रतिक्रिया देने लगाता है और मौखिक व संख्यात्मक तर्क में गिरावट आने लगती है.

इमेजिंग टेक्‍नोलॉजी पर आधारित होते है अध्‍ययन
यहां ये ध्यान देने वाली बात है कि इस प्रकार के अध्ययन एक इमेजिंग टेक्‍नोलॉजी के नतीजों पर आधारित होते हैं, जिन्हें फंक्‍शनल एमआरआई कहा जाता है. ये न्यूरोसाइंटिस्ट्स को दिमाग के उन हिस्सों का निरीक्षण करने की अनुमति देते हैं, जो उत्तेजना के जवाब में या बस आराम करने पर रोशनी डालते हैं. हालांकि, हम वास्तव में यह सुनिश्चित नहीं कर सकते हैं कि ये उस समय की अनुभूति में बदलाव के लिए जिम्मेदार हैं. ये सिर्फ एक लिंक हो सकता है, लेकिन इसे साबित करना मुश्किल है.

उम्र बढ़ने पर बदलती है मस्तिष्‍क की संरचना
अध्ययन के आंकड़ों को देखते हुए कहा जा सकता है कि इंसानी दिमाग का ‘पुनर्गठन’ काफी क्रमिक है, न कि हर दशक में इसमें नाटकीय बदलाव को स्‍थापित करता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि दिमाग का पुनर्गठन बड़ी बात नहीं है. अभी तक ये स्‍पष्‍ट नहीं हुआ है कि यह कैसे अनुभूति में फर्क लाता है. इस सबके बाद भी शोधकर्ताओं की ये समीक्षा इस खोज में वजन पैदा करती है कि उम्र बढ़ने के साथ मस्तिष्क की संरचना में बदलाव होते हैं. हम जो कुछ भी करते हैं, उसमें लगभग हर चीज हमारे दिमाग की भौतिक संरचना को बदल देती है. इसमें हमारे सोचने का तरीका भी शामिल है.

क्या मस्तिष्क की वास्तविक संरचना बदलती है
हर बार जब आप किसी पुरानी स्मृति को याद करते हैं, तो आप अपने मस्तिष्क की कोशिकाओं के बीच संबंधों को प्रभावी ढंग से मजबूत कर रहे होते हैं. वाद्ययंत्र बजाना या शतरंज खेलना जैसी गतिविधियां मस्तिष्क के विशिष्‍ट क्षेत्रों के आकार में बड़े बदलावों से जुड़ी हैं. उदाहरण के लिए, वायलिन वादकों के मस्तिष्क के ऊतक उनके बायें हाथ की उंगलियों का प्रतिनिधित्व करने के लिए समर्पित होते हैं. विशेषज्ञ शतरंज के खिलाड़ियों के दिमाग में ग्रे मैटर कम हो जाता है. ये तंत्रिका दक्षता का एक संभावित संकेत है. ये दोनों इस बात का प्रतिनिधित्व करते हैं कि दिमाग के विशेष क्षेत्र में कैसे वस्तुएं एक दूसरे से संबंधित हैं.

    (‘न्यूज़ 18 हिंदी’ के साभार )

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