ललित मौर्या
क्वींसलैंड विश्वविद्यालय से जुड़े वैज्ञानिकों का दावा है कि पानी में मौजूद फ्लोराइड बच्चों के दिमागी विकास को प्रभावित नहीं करता। वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पुष्टि की है कि पानी में फ्लोराइड की मौजूदगी और बच्चों के मानसिक विकास पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों के बीच कोई संबंध नहीं है। इस अध्ययन के नतीजे जर्नल ऑफ डेंटल रिसर्च में प्रकाशित हुए हैं।
गौरतलब है कि आमतौर दांतों की सड़न को रोकने के लिए ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में पीने के पानी में फ्लोराइड मिलाया जाता है। प्रेस विज्ञप्ति में क्वींसलैंड विश्वविद्यालय और अध्ययन से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर लॉक डो ने जानकारी है कि अध्ययन में मनोवैज्ञानिकों ने 357 युवाओं के आईक्यू स्कोर का मूल्यांकन किया है, ताकि यह पता चल सके कि क्या बचपन में फ्लोराइड के संपर्क में आने से मस्तिष्क के विकास पर बुरा असर पड़ता है।
गौरतलब है कि इन युवाओं ने 2012 से 2014 के बीच किए गए नेशनल चाइल्ड ओरल हेल्थ स्टडी में हिस्सा लिया था। इन सभी लोगों की आयु 16 से 26 वर्ष के बीच थी। अपने अध्ययन में शोधकर्ताओं ने परिणामों का विश्लेषण करते समय सामाजिक-आर्थिक स्थिति जैसे कारकों पर भी विचार किया है जो फ्लोराइड और आईक्यू के बीच संबंध को प्रभावित कर सकते थे।
क्या कहते हैं नतीजे
प्रोफेसर डो का कहना है कि, “हमने पाया कि जो लोग लगातार फ्लोराइड युक्त पानी पी रहे थे, उनका आईक्यू स्कोर उन लोगों की तुलना में औसतन 1.07 अंक बेहतर था, जो फ्लोराइडयुक्त पानी नहीं पीते थे।”
प्रेस को जारी अपने बयान में प्रोफेसर डो ने यह भी कहा, “डेंटल फ्लोरोसिस, जो बचपन में उच्च फ्लोराइड के सेवन का संकेत है, उससे पीड़ित लोगों का आईक्यू स्कोर उन लोगों की तुलना में औसतन 0.28 अंक अधिक था, जिनमें यह समस्या नहीं थी।”
उनके मुताबिक कुछ लोगों का दावा कि पानी में फ्लोराइडेशन से बच्चों के मस्तिष्क के विकास को नुकसान पहुंच सकता है। लेकिन परिणाम स्पष्ट तौर पर दर्शाते हैं कि यह सच नहीं है। ऑस्ट्रेलिया में पानी में मिलाया जा रहा फ्लोराइड बच्चों के विकास के लिए सुरक्षित है।
वहीं अध्ययन से जुड़े अन्य शोधकर्ता डॉक्टर डीप हा ने प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दी है कि पानी में फ्लोराइडेशन दांतों को सड़न से रोकने में अत्यंत प्रभावी है। उनके मुताबिक ऑस्ट्रेलिया की 90 फीसदी आबादी तक फ्लोराइड युक्त पानी उपलब्ध है, लेकिन कई क्षेत्रीय और दूरदराज के हिस्सों में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक दांतों की सड़न या कैविटी दुनिया भर में बच्चों के दांतों में होने वाली बेहद आम बीमारी है, जो लम्बे समय तक बनी रह सकती है। इसकी वजह से दर्द की समस्या बनी रह सकती है। वहीं कभी-कभी दांतों को निकालना भी पड़ सकता है।
(‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )